PIB Summary & Analysis: 26-01-2022

By BYJU'S IAS|Updated : January 26th, 2022

प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) भारत सरकार द्वारा मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी विज्ञप्ति आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समसामयिक मामलों के संबंध में समझने में उम्मीदवारों की मदद करेगा। 

1. पश्चिमी नौसेना कमान द्वारा समुद्री अभ्यास ‘पश्चिम लहर (एक्सपीएल-2022)’ का आयोजन: 

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा: 

विषय: संयुक्त समुद्री अभ्यास ।

प्रारंभिक परीक्षा:  संयुक्त समुद्री अभ्यास ‘पश्चिम लहर (एक्सपीएल-2022)’। 

मुख्य परीक्षा: समसामयिक समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त समुद्री अभ्यास किस प्रकार अहम् भूमिका निभाते हैं।  

प्रसंग: 

  • पश्चिमी नौसेना कमान द्वारा संयुक्त समुद्री अभ्यास ‘पश्चिम लहर (एक्सपीएल-2022)’ का आयोजन किया गया।  

उद्देश्य:

  • भारतीय नौसेना द्वारा पश्चिमी तट पर आयोजित एक संयुक्त समुद्री अभ्यास ‘पश्चिम लहर (एक्सपीएल-2022)’ 25 जनवरी, 2022 संपन्न हुआ। 

विवरण:  

  • यह अभ्यास 20 दिनों की अवधि तक चला और इसका आयोजन पश्चिमी नौसेना कमान की परिचालन संबंधी योजनाओं को सुदृढ़ करने और भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना, भारतीय थल सेना एवं तटरक्षक बल के बीच अंतर-सेवा तालमेल बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। 

  • यह अभ्यास पश्चिमी नौसेना कमान के एफओसी-इन-सी के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। 

  • इस इंट्रा-थिएटर अभ्यास में भारतीय नौसेना के 40 से अधिक जहाजों और पनडुब्बियों ने भाग लिया । 

  • इसके अलावा, भारतीय नौसेना के समुद्री टोही विमान पी8आई, डोर्नियर्स, आईएल  38 एसडी, मानव रहित हवाई प्रणाली और मिग-29के  युद्धक विमान (स्ट्राइक एयरक्राफ्ट) के साथ - साथ भारतीय वायुसेना के एसयू 30 एमकेआई एवं जगुआर समुद्री युद्धक विमान (मेरीटाइम स्ट्राइक एयरक्राफ्ट), हवा में ईंधन भरने वाले विमान (फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट) और अवाक्स ने भी भाग लिया।  

  • इस अभ्यास में एयर डिफेन्स बैटरी सहित भारतीय थल सेना के विभिन्न अंगों को भी शामिल किया गया था।  

  • एक लंबे अंतराल के बाद, तटरक्षक बल के कई ओपीवी, एफपीवी और एयर कुशन वेसल्स ने भी अभ्यास ‘पश्चिम लहर’ में भाग लिया। 

  • विभिन्न सेटिंग्स के तहत परिचालन संबंधी मिशनों एवं दायित्वों के सत्यापन के अलावा, इस अभ्यास के दौरान एक यथार्थवादी सामरिक परिदृश्य में विभिन्न प्रकार के हथियारों से फायरिंग की गई। 

  • इस अभ्यास ने भाग लेने वाले सभी बलों को इस कमान के दायित्व वाले क्षेत्रों में समसामयिक समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए यथार्थवादी परिस्थितियों में मिलकर काम करने का अवसर प्रदान किया।       

2. नए अधिसूचित सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021: 

सामान्य अध्ययन: 2

राजव्यवस्था:

विषय: नए अधिसूचित सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021।  

प्रारंभिक परीक्षा: नए अधिसूचित सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021।    

मुख्य परीक्षा: नए अधिसूचित सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 और चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक का उपयोग।  

प्रसंग: 

  • नए अधिसूचित सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 की जानकारी देने और चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के माध्यम से  डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाने के संबंध में एक वेबीनार का आयोजन किया गया। 

उद्देश्य:

  • इस बैठक का उद्देश्य विभाग और पेंशनभोगी के संघों के बीच आपसी संवाद को बढ़ाना था, जिससे वे हर एक को व्यक्तिगत रूप से जान सकें और संघ इसके लिए आश्वस्त हो सके कि सचिव उनकी चिंताओं को समझने और सुनने के लिए मौजूद हैं। 

  • इस वेबीनार में देश के सभी हिस्सों से केंद्र सरकार के पेंशनभोगी संघों ने हिस्सा लिया। 

विवरण:  

  • चूंकि पेंशन विभाग एक बहुत ही विधि-सम्मत व नीति आधारित विभाग है, इसे देखते हुए यह समझना महत्वपूर्ण है कि सुधार कहां जरूरी है और पेंशनभोगियों को अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए कानून में निरंतर अद्यतन व संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।  

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग: 

  • पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, केन्‍द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के अंतर्गत शामिल केन्‍द्र सरकार के कार्मिकों की पेंशन एवं सेवानिवृति लाभों से संबंधित नीतियां तैयार करने के लिए नोडल विभाग है ।  

  • केन्‍द्र सरकार के पेंशनभोगियों/ कुटुंब पेंशनभोगियों के लिए पेंशन संबंधी नीति तैयार करने के अलावा यह विभाग पेंशनभोगियों के कल्‍याण को बढ़ावा देने के लिए भी तत्‍पर रहता है और पेंशनभोगियों की शिकायतों का निपटारा करने वाले मंच के रूप में कार्य करता है । 

  • तथापि, रेलवे और रक्षा मंत्रालय की स्‍वयं की स्‍वतंत्र प्रशासनिक संरचना होने के कारण वहां के पेंशनभोगियों पर उनके संबंधित पेंशन नियम प्रभावित होते हैं। 

  • कर्मचारी भविष्‍य निधि और अन्‍य प्रावधान अधिनियम 1950 से संलग्न अनुसूची में सूचीबद्ध उद्योगों / अन्य प्रतिष्ठान के वर्ग से संबंधित प्रतिष्ठानों में काम कर रहे कर्मचारी, श्रम मंत्रालय द्वारा प्रशासित कर्मचारी भविष्‍य निधि योजना के अंतर्गत आते हैं।  

  • इसके अलावा, उन लोगों की पेंशन संबंधी मामलों की देखरेख नई पेंशन योजना के तहत वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवा विभाग) द्वारा की जा रही है जिन्‍होंने 1.1.2004 को या इसके बाद केन्द्र सरकार में कार्यभार ग्रहण किया है।

पृष्ठ्भूमि: 

  • 25 दिसंबर, 2021 को सीसीएस पेंशन नियम 2021 जारी करने और हाल ही में चेहरा प्रमाणीकरण के जरिए डीएलसी बनाने की शुरुआत की गई। 

3. भारत और फ्रांस के बीच विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर: 

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: भारत और फ्रांस के बीच विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर। 

प्रारंभिक परीक्षा:  वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)।   

मुख्य परीक्षा: यह समझौता दोनों देशों के साथ साथ समग्र वैश्विक कल्याण के लिए  किस प्रकार प्रभावी  होगा।  

प्रसंग: 

  • भारत और फ्रांस के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और इंस्टीट्यूट पाश्चर के बीच स्वास्थ्य अनुसंधान में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर 25 जनवरी 2022 को हस्ताक्षर किए गए।  

उद्देश्य:

  • सीएसआईआर और इंस्टिट्यूट पाश्चर नए उभरते तथा हुए संक्रामक रोगों और वंशानुगत विकारों पर संयुक्त रूप से शोध पर ध्यान केंद्रित करेंगे तथा न केवल भारत और फ्रांस के लोगों के लिए बल्कि समग्र वैश्विक कल्याण के लिए प्रभावी तथा किफायती स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करेंगे ।  

  • इस समझौता ज्ञापन में सीएसआईआर एवं  इंस्टीट्यूट पाश्चर और इसके अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के वैज्ञानिकों तथा संस्थानों/प्रयोगशालाओं के बीच मानव स्वास्थ्य के उन्नत और उभरते क्षेत्रों में संभावित वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग तथा नेटवर्किंग विकसित करने का प्रावधान है। 

  • भारत ने इस सहयोग को अपना पूरा समर्थन दिया है, जो महामारी के इस कालखंड में वैश्विक मानव स्वास्थ्य में विभिन्न मुद्दों के हल से सम्बंधित है।

विवरण:  

  • समझौता ज्ञापन के अंतर्गत सहयोग गतिविधियों के क्रियान्वयनपर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केन्द्र (सीसीएमबी), हैदराबाद द्वारा इंस्टीट्यूट पाश्चर के सीनियर एक्जीक्यूटिव साइंटिफिक वाइस –प्रेजीडेंट के साथ चर्चा की गई । 

  • सीएसआईआर और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और इंस्टीट्यूट पाश्चर के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ ही भारतीय और फ्रांसीसी मिशनों तथा भारतीय विदेश मंत्रालय के 10 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस (भारतीय पक्ष में हाइब्रिड) बैठक में भाग लिया। 

  • वैज्ञानिकों ने वर्ष 2019 में इस सहयोग सम्पर्क की शुरुआत की और वर्ष 2020 में संयुक्त कार्यशाला में हुई बातचीत से दोनों पक्षों के बौद्धिक युवा उत्साही कार्यबल और कोशिका जीव विज्ञान, विषाणु विज्ञान, वैक्सीन विकसित करने, संक्रामक रोगों, तथ्‍रर गणनीय जीव विज्ञान (कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी) और मानव उत्पत्ति आनुवंशिकी अध्ययन में नई कार्यप्रणालियों और मॉडल की पहचान तथा विकास के लिए एक साथ काम करने के लिए व्यापक संभावनाओं वाले अवसरों का संकेत दिया।  

  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) मानव जाति को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने की दिशा में उपयोगी सहयोग के लिए पाश्चर संस्थान के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है। 

4. गणतंत्र दिवस का आयोजन: 

सामान्य अध्ययन: 1 

इतिहास

विषय: गणतंत्र दिवस का आयोजन ।

प्रारंभिक परीक्षा: गणतंत्र दिवस का आयोजन । 

मुख्य परीक्षा: 26 जनवरी का महत्व। । 

प्रसंग: 

  •  वर्ष 1950 में 26 जनवरी के दिन देश का संविधान अस्तित्व में आया था।  

उद्देश्य:

  • 1947 में आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। 

  • इसी उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस का आयोजन किया जाता हैं। 

विवरण:  

  • वर्ष 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम (वर्तमान नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। वर्ष 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था।  

  • देश के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।  

  • इसी दिन पहली बार राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया था।  

  • 26 जनवरी 1950 को देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने सुबह दस बजकर अठारह मिनट पर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था।  

  •  1955 में राजपथ पर पहली बार  गणतंत्र दिवस परेड हुई थी।  

  •  पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक मोहम्मद समारोह के मुख्य अतिथि थे।    

  • देशवासियों की अधिक भागीदारी हेतु वर्ष 1951 से गणतंत्र दिवस समारोह प्रत्येक वर्ष किंग्सवे पर आयोजित होने लगा, जिसे आज राजपथ के नाम से जाना जाता है।  

  • यह सिलसिला आज भी जारी हैं। अब आठ किलोमीटर लम्बी यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला पर समाप्त  होती है।  

  • आज़ादी के आंदोलन से लेकर देश में संविधान लागू होने तक, 26 जनवरी की तारीख़ का अपना महत्व है।  

  • इस दिन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसमें कहा गया था कि अगर ब्रिटिश सरकार ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का दर्जा (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा।  

  • ब्रिटिश सरकार द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया अतः कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 की आधी रात को भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा करते हुए एक सक्रिय आंदोलन शुरू कर दिया था।  

  • गौरतलब हैं कि कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगा फहराया गया था, इसके साथ ही हर साल 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का भी निर्णय लिया गया था।  

  • इस तरह आजादी मिलने से पहले ही 26 जनवरी, अनौपचारिक रूप से देश का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। 

      प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: 

गणतंत्र दिवस परेड में आने वाले सभी मुख्य अतिथियों की सूची:

वर्ष

अतिथि 

देश

1950

राष्ट्रपति सुकर्णो 

इंडोनेशिया

1951

राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह   

नेपाल

1952

कोई निमंत्रण नहीं

---

1953

कोई निमंत्रण नहीं

---

1954

राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक

भूटान 

1955

गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद

पाकिस्तान 

1956

चांसलर ऑफ द एक्सचेकर आर ए बटलर

मुख्य न्यायाधीश कोटारो तनाका 

यूनाइटेड किंगडम

जापान

1957

रक्षा मंत्री जियोर्जी ज़ुकोव

सोवियत संघ

1958

मार्शल ये जियानयिंग

चीन

1959

ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप

यूनाइटेड किंगडम

1960

राष्ट्रपति क्लेमेंट वोरोशिलोव

सोवियत संघ

1961

क्वीन एलिजाबेथ II

यूनाइटेड किंगडम

1962

प्रधान मंत्री विगगो कैंपमैन

डेनमार्क

1963

राजा नोरोडोम सिहानोक

कंबोडिया

1964

रक्षा स्टाफ के प्रमुख लॉर्ड लुईस माउंटबेटन

यूनाइटेड किंगडम

1965

खाद्य और कृषि मंत्री राणा अब्दुल हमीद

पाकिस्तान

1966

कोई निमंत्रण नहीं

---

1967

राजा मोहम्मद ज़हीर शाह

अफ़ग़ानिस्तान

1968

प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसियगिन 

सोवियत संघ

राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो

एसएफआर यूगोस्लाविया

1969

बुल्गारिया के प्रधानमंत्री टॉड झिवकोव

बुल्गारिया

1970

बेल्जियम के राजा बौदौइन

बेल्जियम

1971

राष्ट्रपति जूलियस न्येरे

तंजानिया

1972

प्रधान मंत्री सीवोसागुर रामगुलाम

मॉरीशस

1973

राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको

जायरे 

1974

राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो

यूगोस्लाविया

प्रधानमंत्री सिरीमावो रवात्ते दीस बंदरनैके

श्रीलंका

1975

राष्ट्रपति केनेथ कौंडा

जाम्बिया

1976

प्रधानमंत्री  जैक शिराक

फ्रांस

1977

पहले सचिव एडवर्ड गियर्क

पोलैंड

1978

राष्ट्रपति पैट्रिक हिलरी

आयरलैंड

1979

प्रधानमंत्री मैल्कम फ्रेजर

ऑस्ट्रेलिया

1980

राष्ट्रपति वैलेरी गिसकार्ड डी-एजिंग

फ्रांस

1981

राष्ट्रपति जोस लोपेज़ पोर्टिलो

मेक्सिको 

1982

राजा जुआन कार्लोस प्रथम

स्पेन 

1983

राष्ट्रपति शेहु शगारी

नाइजीरिया 

1984

किंग जिग्मे सिंगये वांगचुक

भूटान 

1985

राष्ट्रपति राउल अल्फोंसिन

अर्जेंटीना 

1986

प्रधान मंत्री एंड्रियास पापांड्रेउ

ग्रीस 

1987

राष्ट्रपति एलन गार्सिया

पेरू 

1988

राष्ट्रपति जुनियस जयवर्धने

श्रीलंका 

1989

महासचिव गुयेन वान लिन्ह

वियतनाम 

1990

प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ 

मॉरीशस

1991

राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम

मालदीव

1992

राष्ट्रपति मेरियो सोरेस

पुर्तगाल

1993

प्रधानमंत्री जॉन मेजर

यूनाइटेड किंगडम

1994

प्रधानमंत्री गोह चोक टोंग

सिंगापुर

1995

नेल्सन मंडेला

दक्षिण अफ्रीका

1996

राष्ट्रपति डॉ. फर्नांडो हेनरिक कार्डसो

ब्राज़ील

1997

प्रधानमंत्री बसदेव पांडे

त्रिनिदाद और टोबैगो

1998

राष्ट्रपति जैक्स शिराक

फ्रांस

1999

राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव

नेपाल

2000

राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासंजो

नाइजीरिया

2001

राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका

अल्जीरिया 

2002

राष्ट्रपति कसम उतेम

मॉरीशस

2003

राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी

ईरान

2004

राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा

ब्राज़ील 

2005

किंग जिग्मे सिंग्ये वांगचुक

भूटान

2006

किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद 

सऊदी अरब

2007

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस

2008

राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी

फ्रांस

2009

राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव

कजाखस्तान

2010

राष्ट्रपति ली म्युंग बाक

दक्षिण कोरिया

2011

राष्ट्रपति सुसीलो बंबांग युधोयोनो

इंडोनेशिया

2012

प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा

थाईलैंड

2013

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक

भूटान

2014

प्रधानमंत्री शिंजो आबे

जापान

2015

राष्ट्रपति बराक ओबामा

संयुक्त राज्य अमेरिका

2016

राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद

फ्रांस

2017

क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद

संयुक्त अरब अमीरात

2018

सुल्तान हसनल बोल्कियाह

जोको विडोडो

थॉन्गलौन सिसोलिथ

प्रधानमंत्री हुन सेन

नजीब रज़ाक

राष्ट्रपति हतिन क्याव

रोड्रिगो रो ड्यूटरे

हलीम याकूब

प्रथुथ चान-ओशा

गुयेन जुआन फुक

ब्रुनेई

इंडोनेशिया

लाओस

कंबोडिया

मलेशिया

म्यांमार

फिलीपींस

सिंगापुर

थाईलैंड

वियतनाम

2019

राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा 

दक्षिण अफ्रीका

2020

राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो

ब्राज़ील

2021

कोई मुख्य अतिथि नहीं 

 

2022

कोई मुख्य अतिथि नहीं 

 

 

  •  भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर विदेशी नेता को आमंत्रित करने का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का प्रदर्शन करना है। 




Comments

write a comment

Follow us for latest updates