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1. भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातकबना :
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: भारत ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक।
प्रारंभिक परीक्षा: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए)।
मुख्य परीक्षा: प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात में एपीडा की भूमिका ?
प्रसंग:
भारत दुनिया में खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।
उद्देश्य:
भारत ने अप्रैल-अक्टूबर (2020-21) के दौरान 114 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के साथ 1,23,846 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात किया है।
विवरण:
भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के निर्यात का 200 मिलियन अमरीकी डालर का आंकड़ा पार कर लिया है, इसे खीरे के अचार बनाने के तौर पर वैश्विक स्तर पर गेरकिंस या कॉर्निचन्स के रूप में जाना जाता है।
2020-21 में, भारत ने 223 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के साथ 2,23,515 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात किया था।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत वाणिज्य विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैश्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयोँ में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन के लिए कई पहल की गई हैं।
खीरे की दो श्रेणियों का निर्यात किया जाता है जिन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है।
खीरे का प्रसंस्करण और निर्यात की शुरूआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक से हुई और बाद में इसका शुभारंभ पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुआ।
भारत विश्व के खीरा का लगभग 15% उत्पादन करता है ।
खीरे को वर्तमान में 20 से अधिक देशों को निर्यात किया जाता है, जिसमें प्रमुख गंतव्य उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और महासागरीय देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजराइल हैं।
अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में,अनुबंध खेती के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़में खीरे की खेती की जाती है।
प्रसंस्कृत खीरे को कच्चे माल के रूप में थोक में निर्यात किया जाता है।
भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरा का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं।
एपीडा ने प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और संसाधित खीरे की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
औसतन, एक खीरा किसान प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है।
खीरे की फसल 90 में दिन तैयार होती है ।
विदेशी खरीदारों की मांग को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
सभी खीरा उत्पादन और निर्यात कंपनियां या तो आईएसओ, बीआरसी, आईएफएस, एफएसएससी 22000 प्रमाणित और एचएसीसीपी प्रमाणित हैं।
कई कंपनियों ने सोशल ऑडिट को अपनाया है जो यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को सभी वैधानिक लाभ मिलें।
एपीडा निर्यात मूल्य को बढ़ाने के लिए खीरे के मूल्यवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
2. नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा का होलोग्राम।
प्रारंभिक परीक्षा: पराक्रम दिवस, सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार।
मुख्य परीक्षा: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीय इतिहास में योगदान।
प्रसंग:
प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण किया।
उद्देश्य:
23 जनवरी को नेताजी का 125वां जन्मदिन है और कुछ समय पहले ही नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
पराक्रम दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए यह भी निर्णय लिया गया कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में गणतंत्र दिवस की शुरूआत भी 23 जनवरी से की जाएगी
विवरण:
नेताजी का 125 वां जन्मदिन मनाने के हिस्से के रूप में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा लगाने का निर्णय भी देश के प्रधानमंत्री ने लिया है।
नेताजी की प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को कई वर्षों तक पराक्रम, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा देगी क्योंकि यह सिर्फ़ ग्रेनाईट से बनी हुई प्रतिमा नहीं होगी, बल्कि देश के करोड़ों लोगों के मन में नेताजी के लिए भाव की अभिव्यक्ति होगी।
कलकत्ता से बर्लिन के रास्ते जापान तक की यात्रा भारत को आज़ाद करने का नेताजी का एक भव्य प्रयास था और यह प्रतिमा इसका प्रतीक होगी।
देश के करोड़ों लोगों के मन को शांति मिलेगी कि नेताजी का जिस प्रकार का योगदान देश के आज़ादी में दिया उसका सम्मान देश के प्रधानमंत्री जी ने इतने सालों के बाद किया है और यह प्रतिमा इसका प्रतीक होगी ।
दिल्ली चलो का नारा आज भी युवाओं को चेतना और ऊर्जा प्रदान करता है, नेताजी के संघर्ष की गाथाएं आज भी युवाओं को भारत के पुनर्निर्माण के साथ जोड़ती हैं और उनके व्यक्तित्व से कई युवा प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे।
नेताजी की प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को कई वर्षों तक पराक्रम, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा देगी क्योंकि यह सिर्फ़ ग्रेनाईट से बनी हुई प्रतिमा नहीं होगी, बल्कि देश के करोड़ों लोगों के मन में नेताजी के प्रति सम्मान की की अभिव्यक्ति होगी।
एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने अपने पूरे जीवन का सुखका त्याग करते हुए लगभग 35,000 किलोमीटर की यात्रा कार या पनडुब्बी से की।
कलकत्ता से बर्लिन के रास्ते जापान तक की यात्रा भारत को आज़ाद करने का नेताजी का पुरूषार्थ और एक भव्य प्रयास था और यह प्रतिमा इसका प्रतीक होगी।
जब तक ये प्रतिमा लगेगी तब तक होलोग्राम से नेताजी की प्रतिमा की प्रतिकृति देखेंगे।
आज देश के करोड़ों लोगों के मन को शांति मिलेगी कि नेताजी का जिस प्रकार का योगदान देश के आज़ादी संघर्ष में रहा यह प्रतिमा इसका प्रतीक होगी ।
कई सालों तक देश की आज़ादी के संघर्ष में जिन्होंने बड़ा पराक्रम दिखाया और योगदान दिया, उनके नाम को भुलाने का प्रयास किया गया।
आज आज़ादी के अमृत वर्ष के दौरान नेताजी की प्रतिमा लगाने का जो फ़ैसला किया गया है, इससे पूरा देश संतोष और उत्साह का अनुभव कर रहा है।
इस अवसर पर वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
ये नई शुरूआत हुई है उससे देश के युवाओं को अनेक वर्षों तक प्रेरणा मिलती रहेगी।
सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार 2022:
इस वर्ष के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (संस्थान श्रेणी) और प्रोफेसर विनोद शर्मा (व्यक्तिगत श्रेणी) का चयन किया गया है।
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देश में व्यक्तिगत स्तर पर तथा संगठनों के अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान देने और उन्हें सम्मानित करने के लिए, भारत सरकार द्वारा सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से वार्षिक पुरस्कार दिय जायँगे ।
इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जायगी ।
पुरस्कार के रूप में संस्थान को 51 लाख रुपये नकद तथा एक प्रमाण पत्र एवं व्यक्तिगत स्तर पर 5 लाख रुपये नकद तथा एक प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं।
वर्ष 2022 के लिए, (i) गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (संस्थान श्रेणी) और (ii) प्रोफेसर विनोद शर्मा (व्यक्तिगत श्रेणी) को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए चुना गया है।
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में 2022 के पुरस्कार विजेताओं के उत्कृष्ट कार्यों का सारांश:
(i) गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआईडीएम) 2012 में स्थापित गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान, गुजरात के आपदा जोखिम को कम-से-कम करने संबंधी (डीआरआर) क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
रणनीतिक रूप से डिज़ाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से, जीआईडीएम ने महामारी के दौरान बहु-संकट जोखिम प्रबंधन और इसे कम करने से संबंधित विभिन्न विषयों पर 12,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है।
हाल के कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं – उपयोगकर्ता-अनुकूल गुजरात अग्नि सुरक्षा अनुपालन पोर्टल का विकास और एकीकृत रोग निगरानी परियोजना के पूरक के रूप में कोविड-19 निगरानी प्रयासों के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उन्नत कोविड -19 सिंड्रोम निगरानी (एसीएसवाईएस) प्रणाली का विकास आदि।
(ii) प्रोफेसर विनोद शर्मा, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं।
वे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र के संस्थापक संयोजक हैं, जिसे अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने आपदा जोखिम को कम-से-कम करने (डीआरआर) से सम्बंधित विषय को राष्ट्रीय एजेंडा के रूप में शामिल करने की दिशा में अथक प्रयास किये हैं।
भारत में डीआरआर में उनके अग्रणी कार्यों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) तथा अन्य सभी प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) में आपदा प्रबंधन विषय के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और डीआरआर को जोड़ने के लिए पंचायत स्तर पर योजनाओं की शुरुआत करते हुए सिक्किम को डीआरआर लागू करने के लिए एक आदर्श राज्य बनाया है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज शाम आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019, 2020 और 2021 के पुरस्कार विजेताओं के साथ इन्हें भी सम्मानित किया जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
राष्ट्रीय बाल पुरस्कार:
प्रधानमंत्री 24 जनवरी, 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत करेंगे।
ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये वर्ष 2022 और 2021 के पीएमआरबीपी पुरस्कार विजेताओं को डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
पुरस्कार विजेताओं को प्रमाण पत्र देने के लिए पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
भारत सरकार नवाचार, सामाजिक सेवा,शैक्षिक योग्यता, खेल, कला एवं संस्कृति और बहादुरी जैसी छह श्रेणियों में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए पीएमआरबीपी पुरस्कार प्रदान करती है।
इस वर्ष, बाल शक्ति पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियों के तहत देश भर से 29 बच्चों को पीएमआरबीपी-2022 के लिए चुना गया है।
पुरस्कार विजेता हर साल गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लेते हैं।
पीएमआरबीपी के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाते हैं।
नकद पुरस्कार पीएमआरबीपी 2022 विजेताओं के खातों में अंतरित किये जायेंगे।
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