समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
वर्ष 2021 में चीनी उत्पादों पर भारत की निर्भरता में वृद्धि :
विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-चीन के बीच व्यापारिक संबंधों का रुझान।
संदर्भ:
वर्ष 2021 में चीन से भारत को हुए आयात में लगभग 16 बिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2020 के आयात की तुलना में दो-तिहाई की वृद्धि को दर्शाता है।
विवरण:
Image Source: The Hindu
वर्ष 2021 में चीन से भारत को हुआ कुल आयात 97.5 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया।
वर्तमान में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 125 अरब डॉलर का हो गया है, जो पहली बार 100 अरब डॉलर के आँकड़े को पार कर गया है।
भारत द्वारा चीन से विभिन्न प्रकार की 8,455 वस्तुओं का आयात किया जाता है।
इस सूची में रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो घटकों और वस्त्रों की एक श्रृंखला शामिल है।
इन आयातित वस्तुओं में मूल्य के हिसाब से शीर्ष 100 वस्तुओं की कीमत 41 अरब डॉलर थी,जो वर्ष 2020 में 25 अरब डॉलर थी।
इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated circuits-IC) में 147%, लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर में 77% और ऑक्सीजन उपकरणों के आयात में चार गुना वृद्धि हुई है।
मध्यवर्ती उत्पादों (Intermediate products) में, विशेष रूप से रसायनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
उदाहरण के लिए, एसिटिक एसिड में आठ गुना वृद्धि देखी गई।
आयात में वृद्धि के कारण:
चीन में तैयार उत्पादों की घरेलू मांग में लगातार हो रहे सुधार के कारण मांग में वृद्धि देखने को मिली हैं।
दुनिया भर में भारत के निर्यात में वृद्धि ने चीन से महत्त्वपूर्ण मध्यवर्ती आदानों की आवश्यकता को भी बढ़ा दिया है।
अन्य देशों के साथ व्यापार में व्यवधान के कारण अल्पावधि में चीन से अधिक आयात हुआ है।
भारत अपने बाजार के लिए चीन में तैयार माल का आयात करता है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स और यह कई मध्यवर्ती औद्योगिक उत्पादों के लिए भी चीन पर निर्भर है, जिन्हें कहीं और से प्राप्त नहीं किया जा सकता है एवं जिनका निर्माण देश में पर्याप्त रूप से नहीं किया जाता है।
निष्कर्ष:
खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स, या फर्नीचर जैसे तैयार माल के आयात में वृद्धि, जिसे भारत में निर्मित किया जा सकता है, एक अच्छा संकेत नहीं है और इन वस्तुओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
भारत-चीन सीमा पर लंबे समय से जारी उथल-पुथल के बावजूद चीन से भारत आयात होने वाले उत्पादों में निरंतर वृद्धि, भारत की उस पर बढ़ती निर्भरता का संकेत देती है, साथ ही इस तथ्य ने भारत सरकार द्वारा समर्थित "आत्मनिर्भर भारत" (Self-reliant India) अभियान पर फिर से बहस छेड़ दी है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
परिधानों में रेडियोधर्मी पदार्थों का सम्मिश्रण अनुचित है:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग एवं इनका प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: उत्पादों में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति एवं इससे सम्बंधित चिंताएं।
संदर्भ:
हाल ही में, परमाणु सुरक्षा और विकिरण संरक्षण प्राधिकरण (ANVS), नीदरलैंड ने एक बयान जारी कर ऐसे विभिन्न परिधानों की पहचान की जिनमें वैधानिक अनुमति से अधिक रेडियोधर्मिता शामिल है।
विवरण:
परमाणु सुरक्षा और विकिरण संरक्षण प्राधिकरण ने मैग्नेटिक्स मैग्नेटिक नेकलेस, मैग्नेटिक्स स्पोर्ट्स बूस्ट ब्रेसलेट, स्माइली किड्स ब्रेसलेट, एथलेटिक नेकलेस जैसे उत्पादों की पहचान की, जिनमें अनुमेय सीमा से अधिक रेडियोधर्मिता थी।
एजेंसी ने जनता को "क्वांटम पेंडेंट," "एंटी -5G पेंडेंट" या "नेगेटिव आयन" ज्वेलरी आइटम अथवा स्लीप मास्क का उपयोग न करने की चेतावनी दी है।
एक वायु शोधक (नकारात्मक आयनाइज़र) एक ऐसा उपकरण है जो अपने शीर्ष पर स्थित काले ब्रश से प्रति सेकंड दो मिलियन स्वस्थ नकारात्मक आयन उत्सर्जित करता है।
ये आयन प्रदूषकों से प्रतिक्रिया कर सकते हैं, उन्हें नकारात्मक रूप से चार्ज कर सकते हैं, और उन्हें सतहों पर एकत्र कर सकते हैं।
एजेंसी ने सुझाव दिया हैं कि "नकारात्मक आयन उत्पादों" में रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते हैं।
निर्धारित सीमा से अधिक:
शोधकर्ताओं ने पाया कि 20 में से 8 पेंडेंट उन्हें पहनने वाले व्यक्ति को एक ऐसी वार्षिक मात्रा के संपर्क में लाने में सक्षम थे,जो जनता के लिए निर्धारित एक mSv की सीमा से ऊपर है।
सबसे अधिक रेडियोधर्मी पेंडेंट में इसकी मात्रा 2.8 mSv/वर्ष थी।
mSv यूनिट क्या है?
सीवर्ट (Sv), इंटरनेशनल सिस्टम ऑफ यूनिट्स (SI) में विकिरण अवशोषण की एक इकाई है।
सिवर्ट आयनकारी विकिरण के सापेक्ष जैविक प्रभावशीलता से संबंधित है।
जब एक्स-रे, गामा किरणों, या इलेक्ट्रॉनों से ऊतकों द्वारा अवशोषित भौतिक ऊर्जा एक जूल/किलोग्राम होती है, तो जैविक रूप से प्रभावी मात्रा को एक Sv माना जाता है।
चूँकि Sv एक बहुत बड़ी इकाई है, इसलिए विशेषज्ञ एक इकाई के रूप में मिलीएसवी या "mSv" (एक एसवी का एक हजारवां हिस्सा) का उपयोग करते हैं।
छाती के एक्स-रे परीक्षण में त्वचा के लिए निर्धारित मात्रा लगभग 0.1 mSv है।
चिंता का कारण:
परीक्षण किए गए उत्पादों में रेडियोधर्मी पदार्थ हैं और ये पदार्थ लगातार आयनकारी विकिरण का उत्सर्जन करते हैं, जिसके संपर्क में इन्हें पहनने वाले आ सकते हैं।
आयनकारी विकिरण के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
लंबी अवधि तक इन उत्पादों को पहनने से स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है जिसमें ऊतक और डीएनए की क्षति शामिल है।
विकिरणों के हानिकारक प्रभाव इस प्रकार हैं:
त्वचा का जलना।
गंभीर विकिरण संबंधी रोग जो कैंसर और बालों के झड़ने का कारण बन सकता है।
सफेद रक्त कोशिकाओं की अस्थायी कमी।
गुणसूत्रों की संभावित क्षति।
संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरोध में कमी।
IAEA द्वारा समर्थित एक अन्य परियोजना में, शोधकर्ताओं ने पाया कि मलेशिया और अन्य जगहों पर अंडरगारमेंट उद्योग ने यह विज्ञापित किया था कि उनके "नकारात्मक आयन अंडरगारमेंट्स" में टूरमैलीन, मोनाजाइट और जिरकोन हैं, जिनमें यूरेनियम और थोरियम के अवशेष होते हैं।
उनके द्वारा मूल्यांकन किए गए अंडरगारमेंट्स के 13 नमूनों में से तीन में 1 mSV से अधिक की वार्षिक प्रभावी मात्रा पाई गई।
निष्कर्ष:
विकिरण का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उनके द्वारा संभावित स्वास्थ्य जोखिम को देखते हुए कानून के माध्यम से उनके उपयोग को प्रतिबंधित करने हेतु नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
सारांश (Nut Graf):
पहनने योग्य उत्पादों में रेडियोधर्मिता की उपस्थिति को लेकर आई हालिया रिपोर्टों के पश्चात IAEA ने दोहराया है कि खिलौनों,व्यक्तिगत आभूषणों या श्रृंगार सामग्री में रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग अनुचित है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
संपादकीय :
राजव्यवस्था:
क्या विधायकों के निलंबन की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है?
विषय: राज्य विधानमंडल - संरचना, कार्यपद्धति, कार्य का संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: न्यायिक समीक्षा के दायरे को निर्धारित करने की आवश्यकता।
संदर्भ:
महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा विधायकों के निलंबन की वैधता पर कई तर्क-वितर्क हुए हैं और यह मामला न्यायालय में लंबित है।
मुद्दे का अवलोकन:
महाराष्ट्र विधानसभा ने नियम-विस्र्द्ध आचरण के आरोप में 12 विधायकों को एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया है।
निलंबन की लंबी अवधि और इसकी वैधता को लेकर सवालों की बाढ़ सी आ गई है।
इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय कर रहा है और उसने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गहन जांच: निलंबन पर सवाल
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की खंडपीठ ने मौजूदा सत्र के बाद भी विधायकों का निलंबन जारी रहने के तर्क पर सवाल उठाया।
संविधान के अनुच्छेद 190(4) के अनुसार, सदन बिना अनुमति के 60 दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले सदस्य की सीट को रिक्त घोषित कर सकता है। इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या निलंबन इस 60 दिन की सीमा से भी अधिक हो सकता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों में उल्लेख है कि सदन में किसी भी रिक्ति को उप-चुनाव के माध्यम से 6 महीने के भीतर भरा जाना चाहिए।
इसने पीठ को यह विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया कि क्या कोई निर्वाचन क्षेत्र अपने प्रतिनिधियों के निलंबन के कारण पूरे वर्ष बिना प्रतिनिधित्व के रह सकता है।
पीठ ने चल रहे घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की, क्योंकि यह निलंबन की उस असीमित शक्ति का निर्धारण करता है जिसका दुरुपयोग उस राजनीतिक दल के खिलाफ किया जा सकता है जिसके पास सदन में कम बहुमत है।
राज्य सरकारों की राय: निलंबन का समर्थन
राज्य सरकार के वकील ने विधायिका की कार्यवाही के दौरान विशेषाधिकार के उल्लंघन के लिए अपने किसी भी सदस्य को दंडित करने की इसकी असीमित शक्ति का स्पष्ट रूप से समर्थन किया है।
एक बार सदस्यों को निलंबित करने की विधायिका की शक्ति को मान्यता प्राप्त हो जाने के पश्चात, जिस तरह से इसका प्रयोग किया गया था, उसकी कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है।
सदन के नियमों के अनुसार, अध्यक्ष किसी सदस्य को कदाचार के कारण विधानसभा के शेष सत्र से भी बाहर जाने का निर्देश दे सकता है। यह निर्णय सदन में बहुमत से प्रस्ताव पारित करने के बाद लिया जाता है।
वकील ने तर्क दिया कि निलंबन के दौरान, सदस्य विधायिका में अपने पद पर बने रहते हैं, परंतु अधिकारों से वंचित रहते हैं।
वर्तमान मुद्दे के समाधान के तरीके:
न्यायपालिका का दायरा पूरे मामले का परीक्षण करने एवं निष्पक्ष तरीके से विधायकों के निलंबन की अवधि के औचित्य की जांच करने और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है।
ज्यादातर उदाहरणों में न्यायिक रचनात्मकता ने उन मामलों में जनता की व्यापक भलाई के लिए संवैधानिक प्रावधानों के दायरे को सफलतापूर्वक विस्तारित किया है जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं। यह उस खतरे पर अंकुश लगाएगा जो हमारे लोकतंत्र की जीवंत प्रकृति को कार्यपालिका के मनमाने निर्णयों से है।
चूँकि न्यायिक समीक्षा मूल संरचना सिद्धांत का एक हिस्सा है, ऐसी अपेक्षा है कि महाराष्ट्र में चल रहा मामला उच्चतम न्यायालय के निष्पक्ष प्रयासों के जरिए हल कर लिया जाएगा।
हालाँकि, एक वर्ष की अवधि हेतु विधायकों के निलंबन की संवैधानिक वैधता के बारे में सभी आकलनों पर विराम न्यायालय के अंतिम फैसले या राज्य सरकार और न्यायिक पीठ के बीच होने वाली आम सहमति पर ही निर्भर करता है, जो कई तरह की जटिलताओं के कारण एक बोझिल काम हो सकता है।
दूसरी ओर, इस मामले में न्यायिक समीक्षा किस हद तक की जा सकती है, इसे लेकर भी सवाल है।
सारांश (Nut Graf):
विधायकों के निलंबन से उत्पन्न जटिल स्थिति को समाप्त करने हेतु, कार्यपालिका के मनमाने कार्यों पर रोक लगाने के लिए संभवतः न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
संपादकीय :
सुरक्षा:
विमान के भूभाग के निकट उड़ान भरने का क्या कारण हो सकता है?
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और उनकी एजेंसियां और उनके अधिदेश
मुख्य परीक्षा: विमान दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए आवश्यक उपाय।
संदर्भ:
भारतीय वायु सेना ने Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच के माध्यम से प्रारंभिक निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया है। ज्ञात हो कि इस दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 13 अन्य कर्मियों की दुखद मृत्यु हो गई थी।
भारतीय वायु सेना के जांच -परिणाम:
यह बताया गया है कि मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन के परिणामस्वरूप विमान के पायलट का स्थानिक भटकाव हुआ जिसके कारण कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (CFIT) की घटना हुई।
कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (CFIT) का क्या अर्थ है?
कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (CFIT) को एक दुर्घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें विमान उड़ान के दौरान भूभाग, पानी या किसी बाधा से टकरा जाता है। ऐसी स्थिति में पायलट यह समझ नहीं पाता है कि विमान नियंत्रण से बाहर हो रहा है।
यह परिभाषा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) द्वारा दी गई है जो एयरलाइन की कुशलता और सुरक्षा के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने यह उल्लेख किया है कि CFIT की घटना विभिन्न संभावित कारकों जैसे पर्यावरणीय परिस्थितियों, खराब मौसम और कभी-कभी चालक दल की त्रुटियों की वजह से भी होती है।
एक अध्ययन से पता चला है कि एक विमान के जमीन पर पहुंचने से पहले-सह-लैंडिंग चरण (approach-cum-landing phase) CFIT संबंधी सभी घटनाओं में दो-तिहाई और CFIT संबंधी प्राणघातक दुर्घटनाओं में 62% योगदान होता है।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की दुर्घटना विश्लेषण रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया था कि 2008-17 के दौरान 837 वाणिज्यिक विमानन दुर्घटनाओं में से 6% दुर्घटनाएँ कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (CFIT) घटनाओं के कारण हुई थी।
इसलिए, CFIT को घातक दुर्घटनाओं की दूसरी सबसे अधिक आवृति वाली श्रेणी माना जाता है,ऐसी 42 दुर्घटनाएँ हुई हैं, जो कि प्रकार से दुर्घटनाग्रस्त हुए विमानों का 28% है।
ऐसे हादसों से बचाव के उपाय:
विशेषज्ञों का सुझाव है कि भविष्य में विमान दुर्घटनाओं से बचने का रास्ता प्रौद्योगिकी के संयोजन तथा उपयुक्त उपयोग एवं पर्याप्त पायलट प्रशिक्षण में निहित है।
वायुयानों में ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम लगाने से प्रारंभिक संकेत (early signals) उत्पन्न होंगे जो कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (CFIT) की स्थिति आने पर निवारक उपाय करने के लिए उड़ान चालक दल को सचेत कर सकते हैं।
पायलट प्रशिक्षण में स्थितिजन्य जागरूकता विकसित करने और उस स्थिति में उचित कदम उठाने में समर्थ होने के लिए उनके प्रभावी प्रशिक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए।
सारांश (Nut Graf):
विमान दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए पायलटों के उचित प्रशिक्षण के साथ-साथ बेहतर तकनीकी समावेशन की तत्काल आवश्यकता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
1.केरल को मिला पहला वैज्ञानिक पक्षी एटलस (atlas):
भारत में अपनी तरह के प्रथम राज्य स्तरीय पक्षी एटलस, केरल बर्ड एटलस (KBA) का निर्माण किया गया है।
विवरण:
KBA को भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से एशिया का सबसे बड़ा पक्षी एटलस माना जा रहा है।
KBA को नागरिक विज्ञान संचालित अभ्यास के रूप में आयोजित किया गया है, जिसमें पक्षी देखने वाले समुदाय के 1,000 से अधिक स्वयंसेवकों की भागीदारी है।
KBA ने सभी प्रमुख पर्यावासों में पक्षियों की प्रजातियों के वितरण और बहुतायत के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी एकत्र की है, जो भविष्य के अध्ययन को गति प्रदान करेगी।
KBA में 361 प्रजातियों के लगभग तीन लाख रिकॉर्ड शामिल हैं,जिनमे से प्रमुख इस प्रकार हैं:
94 अत्यंत दुर्लभ प्रजातियां
103 दुर्लभ प्रजातियां
110 आम प्रजातियां
44 बहुत ही सामान्य प्रजातियां
10 सबसे प्रचुर प्रजातियां
KBA को विभिन्न पारिस्थितिक परिकल्पनाओं के परीक्षण और विज्ञान समर्थित संरक्षण उपायों का सुझाव देने के लिए एक मूल्यवान संसाधन माना जाता है।
मुख्य निष्कर्ष:
यह पाया गया कि आर्द्र मौसम की तुलना में शुष्क मौसम के दौरान प्रजातियों की संख्या अधिक थी।
जबकि इन प्रजातियों की प्रचुरता और समानता दक्षिणी जिलों की तुलना में उत्तरी और मध्य जिलों में अधिक थी।
अधिकांश स्थानिक प्रजातियां पश्चिमी घाट में केंद्रित थीं, जबकि संकटग्रस्त प्रजातियां ज्यादातर तटीय क्षेत्र में केंद्रित थीं।
बेसल स्टेम रोट (तंजावुर विल्ट) से जुड़ी कवक की दो प्रजातियां खोजी गईं:
संदर्भ:
केरल के शोधकर्ताओं ने जीनस गणोडर्मा से कवक की दो नई प्रजातियों की पहचान की है जो नारियल के तने के सड़न रोग से संबंधित हैं।
विवरण:
शोधकर्ताओं ने कवक की दो नई प्रजातियों की खोज की है,और इन प्रजातियों के लिए जीनोटाइप और आनुवंशिक बायोमार्कर की पहचान की है।
कवक की दो प्रजातियों को गैनोडर्मा केरलेंस और गनोडर्मा स्यूडोएप्लानाटम नाम दिया गया है।
नारियल का बट रोट या बेसल स्टेम रुट :
Image Source: The Hindu
भारत के विभिन्न भागों में नारियल के मूल तने को कई नामों से जाना जाता है:
आंध्र प्रदेश में गणोडर्मा विल्ट
कर्नाटक में अनाबरोगा
तमिलनाडु में तंजावुर विल्ट
यह संक्रमण जड़ों से शुरू होता है; एवं इसके लक्षणों में तनों और पत्तियों का रंग फीका पड़ना और उनका सड़ना शामिल हैं।
इसके साथ ही इनमे से लाल-भूरे रंग का स्राव होता है और यह स्राव केवल भारत में पाए जाने वाले वृक्षों में होता है।
एक बार यदि कोई पौधा संक्रमित हो जाता हैं तो इसके ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है।
संक्रमण के अंतिम चरण में, वृक्ष में फूल आना कम हो जाते है और नारियल के फल भी नष्ट हो जाते है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य:
बीटिंग रिट्रीट की सूची से महात्मा का पसंदीदा भजन बाहर किया गया :
संदर्भ:
पारंपरिक ईसाई भजन "अबाइड विद मी", जिसे महात्मा गांधी का पसंदीदा माना जाता है, को 2022 के बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए बजाए जाने वाली धुनों की सूची से हटा दिया गया है।
बीटिंग रिट्रीट समारोह:
बीटिंग रिट्रीट एक पुरानी सैन्य परंपरा है, जो उन दिनों से प्रचलित है जब सैनिक सूर्यास्त के पश्चात युद्ध क्षेत्र से वापस लौटते थे।
जैसे ही बिगुलर 'रिट्रीट' की धुन बजाते थे, सैनिक लड़ना बंद कर युद्ध के मैदान से वापस लौटने लगते थे।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर हर साल 29 जनवरी की शाम को बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का प्रतीक है।
"एबाइड विद मी" हर साल "मास्ड बैंड्स" द्वारा बजाया जाता था; इसके बजाय, अब वर्ष 2022 के समारोह में तीन अन्य गाने बजाए जाएंगे।
वर्ष 2022 में "मास्ड बैंड्स" द्वारा बजाई जाने वाली तीन धुनें हैं "कदम कदम बढ़ाए जा", "ड्रमर कॉल", और "ऐ मेरे वतन के लोगों"।
वर्ष 2020 में पहली बार राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम बजाया गया था।
2.तालिबानी प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए ओस्लो रवाना:
संदर्भ:
मानवाधिकारों और मानवीय सहायता पर चर्चा हेतु पश्चिमी अधिकारियों से मिलने के लिए अफगान शासन का प्रतिनिधिमंडल ओस्लो (नॉर्वे) रवाना हुआ।
विवरण:
अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से यह तालिबान की पश्चिम के साथ पहली आधिकारिक बैठक है, जिसमें नाटो बलों के खिलाफ 20 साल के विद्रोह के बाद युद्ध के माहौल को बदलने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता पर पुनः अधिकार कर लिया क्योंकि नाटो सैनिकों ने यहां से वापस लौटना शुरू कर दिया था।
अभी तक किसी भी देश ने तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है।
अफगानिस्तान में संकट:
तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति खराब हो गई है।
इसके साथ ही उसे प्राप्त होने वाली अंतर्राष्ट्रीय सहायता रोक दी गई है और अमेरिका ने विदेशों में रखी अफगान केंद्रीय बैंक की 9.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है।
वर्तमान में तालिबान को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दुनिया भर के देशों ने उसकी वित्तीय सहायता बंद कर दी है, जिसके द्वारा अफगान बजट का लगभग 80% भाग वित्तपोषित किया जाता था।
तालिबान के अधिग्रहण के बाद से लाखों अफगान नागरिकों का रोजगार छीन गया हैं।
कड़ाके की सर्दी, भयंकर सूखे और कोरोना वायरस महामारी ने अफगानों के लिए हालात और खराब कर दिए हैं।
लगभग 23 मिलियन अफगानी नागरिकों अथवा इसकी 55% आबादी पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है।
तालिबान ने महिलाओं पर पुरुष रिश्तेदार के बिना उनकी आवाजाही को प्रतिबंधित करने से लेकर उच्च शिक्षा से लड़कियों को प्रभावी रूप से वंचित करने जैसे कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए हैं।
ओस्लो बैठक का एजेंडा:
अफगानिस्तान में एक प्रतिनिधि राजनीतिक व्यवस्था का गठन।
मानवीय और आर्थिक संकट पर तत्काल प्रतिक्रिया देना।
सुरक्षा और मानवाधिकारों के मुद्दों को संबोधित करना।
निष्कर्ष:
हालाँकि इस वार्ता का इरादा तालिबान को मान्यता देने का नहीं है, बल्कि इस वार्ता में अफगानिस्तान की मौजूदा राजनीतिक स्थिति से निपटने के लिए समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे मानवीय आपदा की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. चकमा (Chakmas) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1.चकमा मुख्यतः बौद्ध होते हैं।
2.ये पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश और नेपाल में पाए जाते हैं।
3.चकमा भाषा, इंडो-आर्यन भाषा परिवार का हिस्सा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं ?UU
केवल 1
केवल 2 और 3
केवल 1 और 3
1, 2 और 3
उत्तर: C
व्याख्या:
कथन 1 सही है: चकमा मुख्यतः बौद्ध धर्म के अनुयायी होते हैं।
कथन 2 गलत है: ये पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और म्यांमार में पाए जाते हैं।
चकमा मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के चटगांव पहाड़ी इलाकों के निवासी थे; 1960 के दशक में कर्णफुली नदी पर बने कप्ताई बांध परियोजना द्वारा उनकी भूमि जलमग्न होने पर वे वहां से कूच कर गए।
कथन 3 सही है: चकमा भाषा भारतीय उपमहाद्वीप के इंडो-आर्यन भाषा परिवार का हिस्सा है, और बंगाली भाषा से निकटता से संबंधित है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
1.भारत में बाघों की कुल संख्या का अनुमान लगाने के लिए बाघों की गिनती राष्ट्रीय स्तर पर हर चार वर्ष पर होती है।
2.2018 की बाघ जनगणना में कर्नाटक में बाघों की संख्या सबसे अधिक थी।
विकल्प:
केवल 1
केवल 2
दोनों
कोई नहीं
उत्तर: A
व्याख्या:
कथन 1 सही है: भारत में बाघों की कुल संख्या का अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उनकी गणना हर चार वर्ष पर होती है।
कथन 2 गलत है: वर्ष 2018 में हुई बाघों की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या सबसे अधिक थी,जहां 526 बाघ थे , इसके बाद 524 बाघों के साथ कर्नाटक और 442 बाघों की आबादी के साथ उत्तराखंड क्रमशः द्वितीय और तृतीय स्थान पर थे।
प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
बाघ अभयारण्यराज्य
1.मुदुमलाई तमिलनाडु
2.पेंच मध्य प्रदेश
3.पन्ना अरुणाचल प्रदेश
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं?
केवल 1 और 2
केवल 2 और 3
केवल 1 और 3
1, 2 और 3
उत्तर: A
व्याख्या:
बाघ अभयारण्य
राज्य
मुदुमलाई
तमिलनाडु
पेंच
मध्य प्रदेश
पन्ना
मध्य प्रदेश
प्रश्न 4. बसल स्टेम रॉट (तंजावुर विल्ट) एक बीमारी है जो निम्नलिखित में से किसे प्रभावित करती है ?
कपास
नारियल
तंबाकू
गेहूं
उत्तर: B
व्याख्या:
बट रोट या बेसल स्टेम रुट नारियल के वृक्ष में होने वाली बीमारी हैं :
भारत के विभिन्न भागों में नारियल के मूल तने को कई नामों से जाना जाता है:
आंध्र प्रदेश में गणोडर्मा विल्ट
कर्नाटक में अनाबरोगा
तमिलनाडु में तंजावुर विल्ट
यह संक्रमण जड़ों से शुरू होता है; एवं इसके लक्षणों में तनों और पत्तियों का रंग फीका पड़ना और उनका सड़ना शामिल हैं।
इसके साथ ही इनमे से लाल-भूरे रंग का स्राव होता है और यह स्राव केवल भारत में पाए जाने वाले वृक्षों में होता है।
एक बार यदि कोई पौधा संक्रमित हो जाता हैं तो इसके ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है।
संक्रमण के अंतिम चरण में, वृक्ष में फूल आना कम हो जाते है और नारियल के फल भी नष्ट हो जाते है।
केरल के शोधकर्ताओं ने जीनस गणोडर्मा से कवक की दो नई प्रजातियों की पहचान की है जो नारियल के तने के सड़न रोग से संबंधित हैं।
प्रश्न 5. प्राचीन भारत के इतिहास के संदर्भ में, भवभूति, हस्तिमल्ल तथा क्षेमेश्वर क्यों प्रसिद्ध थे ? (UPSC CSE 2021)
जैन साधू
नाटककार
मंदिर वास्तुकार
दार्शनिक
उत्तर: B
व्याख्या:
भवभूति मौखरी राजा यशोवर्मा (कन्नौज) के दरबारी कवि थे, जिन्होंने लगभग 730 ईस्वी के दौरान शासन किया था।
कवि भवभूति की कृतियों में महावीरचरित, मालतीमाधव और उत्तररामचरित उल्लेखनीय हैं।
हस्तिमल्ल13वीं सदी के कन्नड़ कवि और होयसल साम्राज्य के नाटककार थे।
उनकी कृतियों में पूर्वपुराण, विक्रांतकौरव, सुभद्रा-मैथिलीकल्याण और अंजना-पवनंजय शामिल हैं।
क्षेमेश्वर कश्मीर के 11वीं शताब्दी के संस्कृत कवि थे।
दशावतार चरित उनकी महत्त्वपूर्ण रचना थी।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. विधानसभा की विधायकों को निलंबित करने की शक्ति और हाल ही में सामने आए मुद्दों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II - राजनीति)
प्रश्न 2. पहनने योग्य उपकरणों और यंत्रों में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से संबंधित चिंताओं की चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III - विज्ञान और प्रौद्योगिकी)
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