शिक्षण परीक्षा के लिए गद्यांश पर हिंदी भाषा के स्टडी नोट्स

By Ashish Kumar|Updated : January 4th, 2021

प्रिय पाठकों

टी ई टी और सी टी ई टी एवं अन्य परीक्षाओं में  व्याकरण भाग से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते है ये प्रश्न आप  बहुत आसानी से हल कर सकते है  यदि आप हिंदी भाषा से सम्बंधित नियमों का अध्ययन ध्यानपूर्वक करें। यहां बहुत ही साधारण भाषा में विषय को समझाया गया है तथा विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से भी अवधारणा को स्पष्ट किया गया है प्रस्तुत नोट्स को पढ़ने के बाद आप गद्यांश से सम्बंधित विभिन्न प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे।

इस प्रकार का अभ्यास परीक्षार्थी की योग्यता को जांचने का सर्वोचित मापदंड होता है। पूर्वाभ्यास के बावजूद इससे परीक्षार्थी की सही सूझ बूझ तथा ग्रहण करने की सही क्षमता की परख की जा सकती है।

गद्यांश संबंधी सामान्य बातें:

  • दिए गए पाठ का स्तर,विचार,भाषा,शैली आदि प्रत्येक दृष्टि से परीक्षा के स्तर के अनुरूप होता है।
  • पाठ का स्वरूप साहित्यिक,वैज्ञानिक,तथा विवरणात्मक भी होता है।
  • दिया गया गद्यांश अपठित होता है।
  • पाठ से ही सम्बंधित कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न निचे दिए गए होते हैं तथा प्रत्येक के चार वैकल्पिक उत्तर दिए होते हैं। जिनमे से सही उत्तर आपको चुनना होता है तथा उसे चिन्हित करना होता है।

प्रिय पाठकों

टी ई टी और सी टी ई टी एवं अन्य परीक्षाओं में  व्याकरण भाग से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते है ये प्रश्न आप  बहुत आसानी से हल कर सकते है  यदि आप हिंदी भाषा से सम्बंधित नियमों का अध्ययन ध्यानपूर्वक करें। यहां बहुत ही साधारण भाषा में विषय को समझाया गया है तथा विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से भी अवधारणा को स्पष्ट किया गया है प्रस्तुत नोट्स को पढ़ने के बाद आप गद्यांश से सम्बंधित विभिन्न प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे।

इस प्रकार का अभ्यास परीक्षार्थी की योग्यता को जांचने का सर्वोचित मापदंड होता है। पूर्वाभ्यास के बावजूद इससे परीक्षार्थी की सही सूझ बूझ तथा ग्रहण करने की सही क्षमता की परख की जा सकती है।

गद्यांश संबंधी सामान्य बातें:

  • दिए गए पाठ का स्तर,विचार,भाषा,शैली आदि प्रत्येक दृष्टि से परीक्षा के स्तर के अनुरूप होता है।
  • पाठ का स्वरूप साहित्यिक,वैज्ञानिक,तथा विवरणात्मक भी होता है।
  • दिया गया गद्यांश अपठित होता है।
  • पाठ से ही सम्बंधित कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न निचे दिए गए होते हैं तथा प्रत्येक के चार वैकल्पिक उत्तर दिए होते हैं। जिनमे से सही उत्तर आपको चुनना होता है तथा उसे चिन्हित करना होता है।

गद्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करने के लिए सुझाव:

  • गद्यांश को ध्यानपूर्वक तथा समय की बचत करते हुए पढ़े तथा उसकी विषय वस्तु तथा केंद्रीय भाव जानने का प्रयास करें।
  • जो तथ्य आपको गद्यांश पढ़ते हुए महत्वपूर्ण लगे उन्हें रेखांकित अवश्य करें इससे आपका समय आवश्यक रूप से बचेगा।
  • प्रश्नों के सही उत्तर को ध्यानपूर्वक चिन्हित करें।
  • उत्तर गद्यांश पर आधारित होना चाहिए कल्पनात्मक उत्तर न दें।

प्रत्येक विकल्प पर विचार करके देखें की उनमे से किसके अर्थ की संगति सम्बंधित वाक्य के साथ सही बैठ रही है।

गद्यांश का उदाहरण

ज़रुरत इस बात की है की हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा या मातृभाषा हो, जिसमे राष्ट्र के हृदय मन प्राण के सूक्षतम और गंभीर संवेदन मुखरित हो और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका के पाठ्यक्रम पर आधारित न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करे। भारतीय भाषाओँ, भारतीय इतिहास, भारतीय दर्शन, भारतीय धर्म और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें उन्हें अपना शिक्षाक्रम में गौण स्थान देकर या शिक्षित जान को उनसे वंचित रखकर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान रिक्ति को जनम दिया है, जो नयी पीढ़ी को भीतर से खोखला कर रहा है। हम राष्ट्रीय परंपरा से नहीं सामयिक जीवन प्रवाह से भी दूर हो गए हैं। विदेशी पश्चिमी चश्मों के भीतर से देखने पर अपने घर के प्राणी भी अनजाने और अजीब से लगने लगे हैं शिक्षित जान और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गयी है। और विश्व संस्कृति के दावेदार होने का दम्भ करते हुए रह गए हैं इस स्थिति को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।

1. उपरोक्त गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है -

  • हमारा शिक्षा माध्यम और पाठ्यक्रम। 
  • शिक्षित जान और सामान्य जनता। 
  • हमारी सांस्कृतिक परंपरा। 
  • शिक्षा का माध्यम। 

2. हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा इसलिये होना चाहिए क्योंकि उसमें -

  • विदेशी पाठ्यक्रम का अभाव होता है। 
  • भारतीय इतिहास और भारतीय दर्शन का ज्ञान निहित होता है।
  • सामयिक जीवन निरंतर प्रवाहित होता रहता है।
  • भारतीय मानस का स्पंदन ध्वनित होता है। 

3. हमारी शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रम की आवश्यकता है जिसमे-

  • सामयिकी जान संस्कृति का समावेश हो।
  • भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का प्रतिनिधित्व हो।
  • पाश्चात्य संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कराने की क्षमता हो।
  • आधुनिक वैज्ञानिक विचारधाराओं का मिश्रण हो। 

4. हमें राष्ट्रीय सांस्कृतिक परम्परा के साथ साथ जुड़ना चाहिए -

  • सामयिक जीवन प्रवाह से।
  • समसामयिक वैज्ञानिक विचारधारा से।
  • अद्यतन साहित्यिक परंपरा से।
  • भारतीय नव्य समाजशास्त्र से। 

5. शिक्षित जन और सामान्य जनता में निरंतर अंतर बढ़ने का कारण है की हम

  • भारतीय समाजशास्त्र को सर्वोपरी स्थान नहीं देते।
  • विदेशी चश्में लगाकर अपने लोगों को देखते हैं।
  • भारतीय भाषाओँ का अध्ययन नहीं करते।
  • नयी पीढ़ी को भीतर से खोखला कर रहे हैं। 

उत्तर –

  • 1.  - a
  • 2.  - d
  • 3.  - b
  • 4.  - d
  • 5.  - b

गद्यांश की क्विज 

धन्यवाद

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