प्रिय पाठक, सीटीइटी की परीक्षा में कक्षा में दोनों ही प्रश्न पत्रों अर्थात कक्षा I से V के लिए प्रथम प्रश्न पत्र एवं कक्षा VI से VIII के लिए द्वीतीय प्रश्न पत्र में बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र अर्थात अध्यापन कला की प्रमुख भूमिका होती है. दोनों ही प्रश्न पत्रों में लगभग 60 प्रतिशत प्रश्न अध्यापन कला से पूछे जाते हैं. कुल 150 प्रश्नों में से 30 प्रश्न बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र से तो होते ही हैं पुनः प्रत्येक खंड के अध्यापन कला से भी 15 प्रश्न पूछे जाते हैं. ऐसे में अध्यापन कला की उपेक्षा करके हम इस परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर सकते हैं. इस लेख के माध्यम से सभी विषयों से संबंधित अध्यापन कला को रणनीतिक ढंग से आप कैसे हल करें इस सम्बन्ध में कुछ चर्चा की जा रही है उम्मीद है इससे आपको अवश्य लाभ होगा.
इस परीक्षा के विगत वर्षों के पर्श्नो का अवलोकन करने पर पता चलता है की इस परीक्षा में सैद्धान्तिक प्रश्नों के बजाय व्यवहारात्मक प्रश्नों के पूछे जाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. दोनों ही प्रश्न पत्रों में 30 प्रश्न बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy) के सैद्धान्तिक पक्षों पर आधारित प्रश्न होते हैं जैसे- निम्नलिखित में से किसने बालक के संज्ञानात्मक विकास में समाज एवं उसके सांस्कृतिक संबंधों के बीच संवाद को एक महत्वपूर्ण आयाम घोषित किया है?
- वाइगोत्सकी
- पियाजे
- कोलबर्ग
- ऐरिक्सन
यह प्रश्न शिक्षा शास्त्र के सैद्धान्तिक पक्ष से संबंधित है लेकिन इस परीक्षा का उद्देश्य अभ्यर्थियों में शिक्षण कला के सिद्धांतों को व्यवहार में प्रयुक्त करने का कौशल है या नहीं यह जांचना भी है. अभ्यार्थियों को यह पता होना चाहिए कि व्यवहार में शिक्षण पद्धतियों को कैसे प्रयुक्त किया जायेगा। व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित प्रश्नों में निम्न प्रकार के प्रश्नों को शामिल किया जा सकता है पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक के रूप में चिड़ियाँ घर के भ्रमण का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए:
- शिक्षार्थियों को आनंद एवं मजा उपलब्ध कराना
- नित्य शिक्षण कार्यक्रम की एकरसता को बदलना
- शिक्षार्थियों को सक्रिय अधिगम अनुभव उपलब्ध कराना
- शिक्षा की गुणवत्ता के बारें में अभिभावकों को संतुष्ट करना
एक अभिप्रेरित शिक्षण (motivated teaching) का संकेतक माना जाता है।
- कक्षा में एकदम खामोशी
- विद्यार्थियों द्वारा प्रश्न पूछना
- कक्षा में अधिकतम उपस्थिति
- शिक्षक का उपचारात्मक कार्य
इस प्रकार के प्रश्नों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है परीक्षा में शिक्षण के दौरान समस्याओं को सुलझानें में अभ्यर्थी के कौशल की जांच की जाएगी। जो अभ्यर्थी बाल-मनोविज्ञान में दक्ष है और व्यावहारिक शिक्षण की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं, वे इसमें सफल होंगे। ऐसे प्रश्नों को सुलझाने की एक विधि होती है जिसके तहत आपको एक शिक्षक के बजाय बच्चे की भूमिका में जाकर समस्या प्रकृति को समझना होगा. इस प्रकार के प्रश्नों को उपचारात्मक प्रकार का प्रश्न कहा जाता है जैसे- किसी भाषा की कक्षा में अन्य भाषी बच्चे उस भाषा को सीखने मे क्यों कठिनाई महसूस करेंगे?
- दूसरी भाषा को सीखने में अरुचि होगी
- दूसरी भाषा कठिन होगी
- उसकी भाषा व दूसरी भाषा की संरचना में अंतर होगा
- वे मन लगाकर दूसरी भाषा नहीं सीखते।
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए यह समझना होगा कि किसी अन्य भाषा को हम क्यों नहीं समझ या बोल पाते हैं क्योंकि उस भाषा और हमारी अपनी भाषा की संरचना में अंतर होता है. इस प्रकार इसके व्यावहारिक पक्ष को समझ कर हम इस प्रकार के प्रश्नों को आसानी से हल कर सकते हैं. इस परीक्षा में शिक्षा शास्त्र के प्रश्नों के माध्यम से यह परखने की भी कोशिश की जाती है कि शिक्षण प्रक्रिया के प्रति आपका दृष्टिकोण क्या है, शिक्षा के प्रति आपकी अभिरुचि की जाँच की जाएगी, इसमें आपके शिक्षण दृष्टिकोण की जांच की जाएगी। जैसे- आप शिक्षक क्यों बनाना चाहते हैं?
- एक आदर्श समाज के निर्माण के लिए
- एक उचित सेवायोजन प्राप्त करने के लिए
- राष्ट्र को शिक्षित बनाने के लिए
- यह अपेक्षाकृत आसान कार्य है
इस परीक्षा में शिक्षण अधिवृति से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं जैसे- पठन-कुशलता (reading ability) का मूल्यांकन करने के लिए आप क्या करेंगे?
- बच्चों से जोर-जोर से बोलकर पढने के लिए कहेंगे ताकि उच्चारण की जांच हो सके।
- किसी पाठ की पंक्तियां पढवाएंगे
- पढी गई सामग्री पर प्रश्न बनवाएंगे
- पढी सामग्री पर तथ्यात्मक प्रश्न पूछेंगे।
इस प्रकार के प्रश्न महत्वपूर्ण होंगे। अत: कहा जा सकता है कि परीक्षा में आपके शिक्षक बनने के प्रति अभिरुचि या क्षमता का मूल्यांकन न कर यह मूल्यांकन किया जायेगा कि आप शिक्षण स्थितियों में किस प्रकार का दृष्टिकोण प्रदर्शित करेंगे।
शुभकामनायें!
धन्यवाद ग्रेडअप टीम
(GradeUp Team)
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