Time Left - 12:00 mins

यूपी टीजीटी हिंदी 2024 मिनी मॉक - 14

Attempt now to get your rank among 43 students!

Question 1

निर्देश:- पद्यांश को पढ़कर सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए।

पहले लटकाई मैने

धान की बालियों वाली झालर

दरवाजे की चौखट पर

फिर भेजा चिड़ियों को न्योता

गृह प्रवेश का विधिवत।

चिड़ियों ने भी

न्योते को मान दिया,

आई दाना चुगा।

और लौट गयीं

बाहर ही बाहर दरवाजे से

वैसे समारोह के बाद

जैसे लौटते हैं

आमंत्रित अतिथि सब।

तब लटकाया मैंने एक आईना

भीतर

अंतः पुर की दीवार पर।

किसी अतिथि की तरह

बाहर ही बाहर से

नहीं लौटी इस बार

चिड़िया

अब अंतः पुर में

चिड़ियाँ

काँच के आईने में

अपने को निहारती श्रृंगार करती

और एक घर को सजाती

घर

धीरे-धीरे घर बन रहा था।

'धीरे-धीरे घर बन रहा था वाक्य में धीरे-धीरे है

Question 2

निर्देश:- पद्यांश को पढ़कर सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए।

पहले लटकाई मैने

धान की बालियों वाली झालर

दरवाजे की चौखट पर

फिर भेजा चिड़ियों को न्योता

गृह प्रवेश का विधिवत।

चिड़ियों ने भी

न्योते को मान दिया,

आई दाना चुगा।

और लौट गयीं

बाहर ही बाहर दरवाजे से

वैसे समारोह के बाद

जैसे लौटते हैं

आमंत्रित अतिथि सब।

तब लटकाया मैंने एक आईना

भीतर

अंतः पुर की दीवार पर।

किसी अतिथि की तरह

बाहर ही बाहर से

नहीं लौटी इस बार

चिड़िया

अब अंतः पुर में

चिड़ियाँ

काँच के आईने में

अपने को निहारती श्रृंगार करती

और एक घर को सजाती

घर

धीरे-धीरे घर बन रहा था।

चिड़ियों को बुलाने के लिए कवि क्या करता है?

Question 3

निर्देश:- पद्यांश को पढ़कर सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए।

पहले लटकाई मैने

धान की बालियों वाली झालर

दरवाजे की चौखट पर

फिर भेजा चिड़ियों को न्योता

गृह प्रवेश का विधिवत।

चिड़ियों ने भी

न्योते को मान दिया,

आई दाना चुगा।

और लौट गयीं

बाहर ही बाहर दरवाजे से

वैसे समारोह के बाद

जैसे लौटते हैं

आमंत्रित अतिथि सब।

तब लटकाया मैंने एक आईना

भीतर

अंतः पुर की दीवार पर।

किसी अतिथि की तरह

बाहर ही बाहर से

नहीं लौटी इस बार

चिड़िया

अब अंतः पुर में

चिड़ियाँ

काँच के आईने में

अपने को निहारती श्रृंगार करती

और एक घर को सजाती

घर

धीरे-धीरे घर बन रहा था।

सूनापन दूर करने के लिए कवि कौन-सा उपाय करता है

Question 4

निर्देश:- पद्यांश को पढ़कर सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए।

पहले लटकाई मैने

धान की बालियों वाली झालर

दरवाजे की चौखट पर

फिर भेजा चिड़ियों को न्योता

गृह प्रवेश का विधिवत।

चिड़ियों ने भी

न्योते को मान दिया,

आई दाना चुगा।

और लौट गयीं

बाहर ही बाहर दरवाजे से

वैसे समारोह के बाद

जैसे लौटते हैं

आमंत्रित अतिथि सब।

तब लटकाया मैंने एक आईना

भीतर

अंतः पुर की दीवार पर।

किसी अतिथि की तरह

बाहर ही बाहर से

नहीं लौटी इस बार

चिड़िया

अब अंतः पुर में

चिड़ियाँ

काँच के आईने में

अपने को निहारती श्रृंगार करती

और एक घर को सजाती

घर

धीरे-धीरे घर बन रहा था।

कविता में चिड़िया प्रतीक है-

Question 5

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

मनुष्य ही प्रकृति के विनाश का कारण बनता जा रहा है। प्रकृति ने मनुष्य का ही नहीं, अपने सभी प्राणियों को सुख और संतोषपूर्वक जीवन बिताने के सभी साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए हैं। अन्य जीव आज भी प्रकृति से आजभर के लिए साधन पाना चाहते हैं, जबकि मनुष्य आज ही जाने कब तक के लिए साधन आज पाना चाहता है। उसे भले ही सोने के लिए दो गज ज़मीन ज़रूरी हो मगर वह फर्लांगो में फैले बंगले का निर्माण करता है। भले ही इसके लिए कितने ही पेड़ क्यों काटने पड़ें। भले ही इससे प्रकृति के अनंत जीव बेआसरा क्यों होते हों। भले ही प्रकृति प्रदूषित होती हो, मगर वह यहाँ से वहाँ अन्य प्रणियों की भाँति पाँव-पाँव नहीं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में ही जाएगा। उसे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आने वाली पीढ़ियाँ कहाँ रहेंगी, कैसे रहेंगी, प्रकृति से कुछ पा सकेंगी या नहीं। वह तो आज ही अपनी विलासिता के लिए, अपनी सनक के लिए, अपनी फिजूल खर्ची की आदत के वशीभूत हो प्रकृति का अधिक से अधिक दोहन कर लेना चाहता है।

उसे इससे अंतर नहीं पड़ता है। इसमें रेखांकित शब्द के स्थान पर क्या प्रयोग कर सकते हैं?

Question 6

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

मनुष्य ही प्रकृति के विनाश का कारण बनता जा रहा है। प्रकृति ने मनुष्य का ही नहीं, अपने सभी प्राणियों को सुख और संतोषपूर्वक जीवन बिताने के सभी साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए हैं। अन्य जीव आज भी प्रकृति से आजभर के लिए साधन पाना चाहते हैं, जबकि मनुष्य आज ही जाने कब तक के लिए साधन आज पाना चाहता है। उसे भले ही सोने के लिए दो गज ज़मीन ज़रूरी हो मगर वह फर्लांगो में फैले बंगले का निर्माण करता है। भले ही इसके लिए कितने ही पेड़ क्यों काटने पड़ें। भले ही इससे प्रकृति के अनंत जीव बेआसरा क्यों होते हों। भले ही प्रकृति प्रदूषित होती हो, मगर वह यहाँ से वहाँ अन्य प्रणियों की भाँति पाँव-पाँव नहीं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में ही जाएगा। उसे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आने वाली पीढ़ियाँ कहाँ रहेंगी, कैसे रहेंगी, प्रकृति से कुछ पा सकेंगी या नहीं। वह तो आज ही अपनी विलासिता के लिए, अपनी सनक के लिए, अपनी फिजूल खर्ची की आदत के वशीभूत हो प्रकृति का अधिक से अधिक दोहन कर लेना चाहता है।

पेड़ों की अत्यधिक कटाई का प्रभाव किस पर पड़ेगा?

Question 7

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

मनुष्य ही प्रकृति के विनाश का कारण बनता जा रहा है। प्रकृति ने मनुष्य का ही नहीं, अपने सभी प्राणियों को सुख और संतोषपूर्वक जीवन बिताने के सभी साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए हैं। अन्य जीव आज भी प्रकृति से आजभर के लिए साधन पाना चाहते हैं, जबकि मनुष्य आज ही जाने कब तक के लिए साधन आज पाना चाहता है। उसे भले ही सोने के लिए दो गज ज़मीन ज़रूरी हो मगर वह फर्लांगो में फैले बंगले का निर्माण करता है। भले ही इसके लिए कितने ही पेड़ क्यों काटने पड़ें। भले ही इससे प्रकृति के अनंत जीव बेआसरा क्यों होते हों। भले ही प्रकृति प्रदूषित होती हो, मगर वह यहाँ से वहाँ अन्य प्रणियों की भाँति पाँव-पाँव नहीं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में ही जाएगा। उसे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आने वाली पीढ़ियाँ कहाँ रहेंगी, कैसे रहेंगी, प्रकृति से कुछ पा सकेंगी या नहीं। वह तो आज ही अपनी विलासिता के लिए, अपनी सनक के लिए, अपनी फिजूल खर्ची की आदत के वशीभूत हो प्रकृति का अधिक से अधिक दोहन कर लेना चाहता है।

अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमें क्या कदम उठाना होगा?

Question 8

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

मनुष्य ही प्रकृति के विनाश का कारण बनता जा रहा है। प्रकृति ने मनुष्य का ही नहीं, अपने सभी प्राणियों को सुख और संतोषपूर्वक जीवन बिताने के सभी साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए हैं। अन्य जीव आज भी प्रकृति से आजभर के लिए साधन पाना चाहते हैं, जबकि मनुष्य आज ही जाने कब तक के लिए साधन आज पाना चाहता है। उसे भले ही सोने के लिए दो गज ज़मीन ज़रूरी हो मगर वह फर्लांगो में फैले बंगले का निर्माण करता है। भले ही इसके लिए कितने ही पेड़ क्यों काटने पड़ें। भले ही इससे प्रकृति के अनंत जीव बेआसरा क्यों होते हों। भले ही प्रकृति प्रदूषित होती हो, मगर वह यहाँ से वहाँ अन्य प्रणियों की भाँति पाँव-पाँव नहीं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में ही जाएगा। उसे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आने वाली पीढ़ियाँ कहाँ रहेंगी, कैसे रहेंगी, प्रकृति से कुछ पा सकेंगी या नहीं। वह तो आज ही अपनी विलासिता के लिए, अपनी सनक के लिए, अपनी फिजूल खर्ची की आदत के वशीभूत हो प्रकृति का अधिक से अधिक दोहन कर लेना चाहता है।

पाँव-पाँव' शब्द है

Question 9

“तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण हे चिर नवीन”

उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है?

Question 10

निम्न में से 'गीत गोविंद' के लेखक हैं।

Question 11

"हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती" इस पंक्ति में कौन-सा गुण है?

Question 12

किस काव्य-संकलन के लिए महादेवी वर्मा को 'भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्रदान किया गया है?

Question 13

गूंगे का गुड़ मुहावरे का अर्थ क्या है?

Question 14

हिन्दी में सॉनेट लिखने के लिए कौन-से कवि प्रसिद्ध हैं?

Question 15

निम्नलिखित में से कौन संत कवि नहीं है?
  • 43 attempts
  • 0 upvotes
  • 1 comment
Apr 15PRT, TGT & PGT Exams