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पद्यांश पर हिंदी भाषा का क्विज: 18.11.2020

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Question 1

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।

कबीरदास

हम तौ एक एक करि जांनां।

दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।

एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।

एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा सांनां।।

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां।

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।
कबीर परमात्मा के किस स्वरूप में आस्था रखते हैं ?

Question 2

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।

कबीरदास

हम तौ एक एक करि जांनां।

दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।

एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।

एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा सांनां।।

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां।

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।
कबीर ने किन लोगों को नरक का अधिकारी माना है?

Question 3

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।

कबीरदास

हम तौ एक एक करि जांनां।

दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।

एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।

एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा सांनां।।

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां।

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।
कबीर के अनुसार प्रभु को जानने के लिए क्या आवश्यक है?

Question 4

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
कबीरदास
हम तौ एक एक करि जांनां।
दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।
एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।
एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा सांनां।।
जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां।
निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।
‘बाढ़ी’ शब्द में प्रत्यय है।

Question 5

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।

कबीरदास

हम तौ एक एक करि जांनां।

दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।

एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।

एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा सांनां।।

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां।

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।
पवन का संधि विच्छेद क्या होगा?

Question 6

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए -
 
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी ।
कुंठाओं की टहनी छिन्न भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी ।
काव्यांश में "चमकीली सुबह" का क्या आशय है?

Question 7

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए -
 
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी ।
कुंठाओं की टहनी छिन्न भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी ।
गद्यांश में कवि को क्या विश्वास है?

Question 8

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए -
 
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी ।
कुंठाओं की टहनी छिन्न भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी ।
गद्यांश के आधार पर "आशा " शब्द का विलोम है -

Question 9

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए -
 
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी ।
कुंठाओं की टहनी छिन्न भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी ।
‘दिल के दरवाजे खुल जाएँगे’ का क्या अर्थ है?

Question 10

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए -
 
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी ।
कुंठाओं की टहनी छिन्न भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी ।
कुसुम’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है।
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