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Hindi Quiz for IBPS RRB Main: Day 6

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Question 1

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

प्रतिष्ठित लेखक अमिताभ घोष को किस भाषा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया?

Question 2

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में प्रतिष्ठित लेखक अमिताभ घोष को किस वर्ष के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार देने के निर्णय लिया गया ?

Question 3

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

अमिताभ घोष को साहित्य अकादमी के अलावा और किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया ?

Question 4

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

अमिताभ घोष को उनकी किस किताब के लिए दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड जीते?

Question 5

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

अंग्रेजी भाषा के अलावा अमिताभ घोष के पुस्तकों को कितनी भाषाओँ में अनुवादन किया गया ?

Question 6

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

अमिताभ घोष को उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न के लिए कौन-सा अवार्ड प्राप्त हुआ?

Question 7

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

1965 में पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार किस मलयालम लेखक को मिला ?

Question 8

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले को कितने रूपये की राशि प्रदान की जाती हैं ?

Question 9

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

1972 तक ज्ञान पीठ पुरस्कार सबसे ज्यादा 7 बार किस भाषा के लेखकों ने प्राप्त किया है ?

Question 10

निर्देश: निम्नलिखित गधांश को सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये तथा प्रश्नों के उत्तर दीजिये ।

अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताभ घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया । देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं। घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। अमिताव घोष का जन्म कलकत्ता में हुआ और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में वे पले-बढे। दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और एलेक्जेंड्रिया से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की उनकी किताब दी सर्किल ऑफ रीज़न को 1990 में फ्रांस प्रिक्स मेडिसिन अवार्ड दिया गया और उसी साल उनकी किताब दी शैडो लाइन्स ने दो प्रसिद्द भारतीय अवार्ड भी जीते, जिनमें साहित्य अकादमी अवार्ड और अनंदा पुरस्कार शामिल है। अमिताव घोष की पुस्तकों को 20 से भी ज्यादा भाषाओँ में अनुवादन किया गया है और साथ ही उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2001 का जूरी बने रहते हुए भी सेवा की है । उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं।
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार
1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

भारतीय ज्ञानपीठ के किस संस्थापक के जन्मोत्सव पर इस पुरस्कार को देने की घोषणा की गई ?
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Oct 20PO, Clerk, SO, Insurance