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Question 1
Question 2
Question 3
Reason (R): Multiple options of representation cater to the needs of diverse learners such as those with reading related disorders.
Choose the correct option.
Question 4
Question 5
Question 6
Question 7
Question 8
Indicator colour in acidic medium colour in basic medium
A) Turmeric yellow x
B) China rose y green
C) Methyl orange red z
Question 9
Question 10
The very nature of the mind is restlessness. It cannot stay at one place or hold one thought for long. For every thought that appears, there are comments, judgements and associations. Thinking is a continuous activity with the mind jumping from one thought to another from morning till night. Like clouds in the sky or waves in the ocean, thoughts appear and disappear as if in ceaseless activity.
However, all thoughts that pass through our mind do not affect us. But we get affected when our ego is hit. Then the mind whirls and creates a tornado of restlessness within. A variety of probable scenarios crop up ‘how dare he insult me; what does she think of herself? Where I am not respected, I will not go; if he speaks thus, I will reply so’. And so, it goes on and on.
We have an inbuilt filter in our mind which chooses the types of thoughts or subjects that we like to brood upon. We are not born with this filter but we acquire it over the years with the kind of books we read, the company we keep and the subjects we are interested in.
That is why some people are obsessed with football, cricket or fashion while others could not care less for such things. This filter is built day by day by our actions, suggestions, teachings and influence of others. We can ultimately choose our own filter. So, let us learn to build our filter wisely and strengthen it daily.
Question 11
As I Watch You Grow
Do you know how much you mean to me?
As you grow into what you will be.
You came from within, from just beneath my
Heart
It's there you'll always be though your own life will now start.
You're growing so fast it sends me a whirl,
With misty eyes I ask, Where's my little girl?
I know sometimes to you I seem harsh and so unfair,
But one day you will see, I taught you well because I care.
The next few years will so quickly fly,
With laughter and joy, mixed with a few tears to cry.
As you begin your growth to womanhood, this fact you must know,
You'll always be my source of pride, no matter where you go.
You must stand up tall and proud, within you feel no fear,
For all you dreams and goals, sit before you very near.
With God's love in your heart and the world by its tail,
You'll always be my winner, and victory will prevail.
For you this poem was written, with help from above,
To tell you in a rhythm of your Mother's heartfelt love!
KayTheese
Question 12
Question 13
पाठ्यक्रम को कक्षाक्रम से बहुत कड़ाई के साथ बांध देने के परिणामस्वरूप बच्चे का विकास एक अनवरत प्रक्रिया नहीं बन पाता, अपितु कृत्रिम खंडों में बंट जाता है। एक स्थिर पाठ्यक्रम बच्चे की व्यक्तिगत रुचियों और क्षमताओं के विकास में सहयोग न देकर एक मजबूरी बन जाता है, जिसे बच्चा और उसका अध्यापक दोनों बेबस होकर स्वीकार करते हैं। यदि एक बच्चा किसी विषय में अपने सहपाठियों से अधिक दिलचस्पी रखता है, तो पाठ्यक्रम की बदौलत उसे पूरे एक वर्ष या इससे भी अधिक प्रतीक्षा करनी होती है, जब वह उस विषय में कुछ अधिक विस्तृत जानकारी अध्यापक और नई पुस्तक से प्राप्त कर सकेगा। श्री अरविन्द आश्रम के शिक्षा केंद्र में, जहाँ पाठ्यक्रम पूर्व निर्धारित और स्थिर नहीं रहता, बच्चों को अपनी व्यक्तिगत रुची और सामर्थ्य के अनुसार किसी विषय की जानकारी की प्रगति जारी रखने की छूट रहती है। सामान्य स्कूलों में, जहाँ यह छूट नहीं दी जाती। होता प्रायः यह है किन कक्षा में आने पर उसे वही विषय बिलकुल नया और अपरिचित लगता है, जिसके बारे में काफी-कुछ वह पिछली कक्षा में जान चूका था। विशेष तौर पर ऐसा तब होता है, जब पाठ्यक्रम पाठ्यपुस्तकों का पर्याय हो, जैसा भारत में है।
Question 14
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था- 'साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ। आम आदमी से लेकर खास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती। यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते है। मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे- 'मास के लिए या 'क्लास' के लिए। उनके दायरे सीमित थे। लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ। शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ। बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी। तब मैं 'ओ. हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे। न कोई मशक्कत, न कोई गहरी सोच। यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल। फिर भी ये रचनाएँ कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता किस्सागोई हैं। पर यह किस्सागोई जिंदगी से अलग नहीं हो सकती।
Question 15
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CTET & State TET Exams