यूपी टीजीटी हिंदी 2023 मिनी मॉक - 12
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Question 1
सच्चा भेद पूर्व और पश्चिम का नहीं, सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य का है, आधिभौतिक और आध्यात्मिक मानव का है, चिंतनशील (रेफ्लेक्टिव) और कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) व्यक्तित्व का है। एशिया और यूरोप दोनों दु:खी हैं, दोनों विषण्ण हैं। यह ठीक है कि यूरोप का स्थूल मनुष्य समृद्धियों की गोद में बड़े ही उत्साह से जी रहा है, किंतु वहाँ जो सूक्ष्म मनुष्य है वह उतने उत्साह में नहीं है। वह स्थूल मनुष्य के भीतर सूक्ष्मता जगाना चाहता है, किंतु अत्यंत अल्पमत में होने के कारण उसकी बात लोग ठीक से नहीं सुन पाते। उचित है कि सूक्ष्म मानवता के भारतीय और एशियाई उपासक अपनी आवाजों को तेज करें जिससे यूरोप और अमेरिका में उनके सहधर्मियों को बल पहुंचे तथा सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसमें सूक्ष्मता का पक्ष दबा नहीं रह जाय।
'विषण्ण' का क्या अर्थ है?
Question 2
सच्चा भेद पूर्व और पश्चिम का नहीं, सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य का है, आधिभौतिक और आध्यात्मिक मानव का है, चिंतनशील (रेफ्लेक्टिव) और कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) व्यक्तित्व का है। एशिया और यूरोप दोनों दु:खी हैं, दोनों विषण्ण हैं। यह ठीक है कि यूरोप का स्थूल मनुष्य समृद्धियों की गोद में बड़े ही उत्साह से जी रहा है, किंतु वहाँ जो सूक्ष्म मनुष्य है वह उतने उत्साह में नहीं है। वह स्थूल मनुष्य के भीतर सूक्ष्मता जगाना चाहता है, किंतु अत्यंत अल्पमत में होने के कारण उसकी बात लोग ठीक से नहीं सुन पाते। उचित है कि सूक्ष्म मानवता के भारतीय और एशियाई उपासक अपनी आवाजों को तेज करें जिससे यूरोप और अमेरिका में उनके सहधर्मियों को बल पहुंचे तथा सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसमें सूक्ष्मता का पक्ष दबा नहीं रह जाय।
Question 3
सच्चा भेद पूर्व और पश्चिम का नहीं, सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य का है, आधिभौतिक और आध्यात्मिक मानव का है, चिंतनशील (रेफ्लेक्टिव) और कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) व्यक्तित्व का है। एशिया और यूरोप दोनों दु:खी हैं, दोनों विषण्ण हैं। यह ठीक है कि यूरोप का स्थूल मनुष्य समृद्धियों की गोद में बड़े ही उत्साह से जी रहा है, किंतु वहाँ जो सूक्ष्म मनुष्य है वह उतने उत्साह में नहीं है। वह स्थूल मनुष्य के भीतर सूक्ष्मता जगाना चाहता है, किंतु अत्यंत अल्पमत में होने के कारण उसकी बात लोग ठीक से नहीं सुन पाते। उचित है कि सूक्ष्म मानवता के भारतीय और एशियाई उपासक अपनी आवाजों को तेज करें जिससे यूरोप और अमेरिका में उनके सहधर्मियों को बल पहुंचे तथा सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसमें सूक्ष्मता का पक्ष दबा नहीं रह जाय।
Question 4
सच्चा भेद पूर्व और पश्चिम का नहीं, सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य का है, आधिभौतिक और आध्यात्मिक मानव का है, चिंतनशील (रेफ्लेक्टिव) और कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) व्यक्तित्व का है। एशिया और यूरोप दोनों दु:खी हैं, दोनों विषण्ण हैं। यह ठीक है कि यूरोप का स्थूल मनुष्य समृद्धियों की गोद में बड़े ही उत्साह से जी रहा है, किंतु वहाँ जो सूक्ष्म मनुष्य है वह उतने उत्साह में नहीं है। वह स्थूल मनुष्य के भीतर सूक्ष्मता जगाना चाहता है, किंतु अत्यंत अल्पमत में होने के कारण उसकी बात लोग ठीक से नहीं सुन पाते। उचित है कि सूक्ष्म मानवता के भारतीय और एशियाई उपासक अपनी आवाजों को तेज करें जिससे यूरोप और अमेरिका में उनके सहधर्मियों को बल पहुंचे तथा सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसमें सूक्ष्मता का पक्ष दबा नहीं रह जाय।
Question 5
सच्चा भेद पूर्व और पश्चिम का नहीं, सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य का है, आधिभौतिक और आध्यात्मिक मानव का है, चिंतनशील (रेफ्लेक्टिव) और कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) व्यक्तित्व का है। एशिया और यूरोप दोनों दु:खी हैं, दोनों विषण्ण हैं। यह ठीक है कि यूरोप का स्थूल मनुष्य समृद्धियों की गोद में बड़े ही उत्साह से जी रहा है, किंतु वहाँ जो सूक्ष्म मनुष्य है वह उतने उत्साह में नहीं है। वह स्थूल मनुष्य के भीतर सूक्ष्मता जगाना चाहता है, किंतु अत्यंत अल्पमत में होने के कारण उसकी बात लोग ठीक से नहीं सुन पाते। उचित है कि सूक्ष्म मानवता के भारतीय और एशियाई उपासक अपनी आवाजों को तेज करें जिससे यूरोप और अमेरिका में उनके सहधर्मियों को बल पहुंचे तथा सूक्ष्म और स्थूल मनुष्य के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसमें सूक्ष्मता का पक्ष दबा नहीं रह जाय।
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