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हिंदी साहित्य: वैकल्पिक विषय-UPPSC PCS

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 13th, 2023

UPSC PCS सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिये उम्मीदवारों को एक वैकल्पिक विषय चुनना पड़ता है। यह वैकल्पिक विषय मुख्य परीक्षा में रैंकिंग तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। UPSC PCS की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय में हिंदी साहित्य भी शामिल है।
इस लेख में, हम आपको UPSC PCS सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य का पाठ्यक्रम और इसकी PDF प्रदान करेंगे।

हिंदी साहित्य: वैकल्पिक विषय

यूपीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में शामिल होने के पात्र होते हैं। यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा में कुल आठ पेपर होते हैं जो प्रकृति में वर्णनात्मक हैं। मुख्य परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है।यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा में शामिल वैकल्पिक विषय की कुल संख्या 36 है।

इसमें एक वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य है। वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य के सिलेबस की व्याख्या इस प्रकार है:

भाग-1 हिन्दी भाषा तथा नागरी लिपि का इतिहास

1. पालि, प्राकृत एवं अपभ्रंश तथा पुरानी हिन्दी का संक्षिप्त परिचय।

2. मध्यकाल में ब्रज और अवधी का काव्य भाषा के रूप में विकास।

3. खड़ी बोली साहित्यिक भाषा के रूप में विकास।

4. राजभाषा, सम्पर्क भाषा, राष्ट्रभाषा एवं मानक भाषा के रूप मे हिन्दी।

5. वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में हिन्दी भाषा की स्थिति।

6. हिन्दी भाषा का क्षेत्र और अवधी, ब्रज, खड़ी बोली, भोजपुरी, बुन्देली का क्षेत्र एवं भाषिक विशेषताएं।

7. मानक हिन्दी का व्याकरणिक स्वरूप।

8. नागरी लिपि का उद्भव और विकास, देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता, समस्यायें और समाधान ।

9. हिन्दी शब्द – सम्पदा।

भाग-2 हिन्दी साहित्य का इतिहास

1. हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा।

2. हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल- विभाजन तथा नामकरण ।

3. आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, आधुनिक काल की प्रमुख प्रवृतियां।

4. आधुनिक कालः पुनर्जागरण और भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता एवं परवर्ती काव्यधारायें।

(क) हिन्दी उपन्यास, हिन्दी कहानी, हिन्दी नाटक एवं रंगमंचः उद्भव -विकास एवं इनकी अधुनातन प्रवृत्तियां
(ख) हिन्दी निबन्ध तथा अन्य गद्य विधाएँ: जीवनी, आत्मकथा, रेखाचित्र, संस्मरण यात्रा वृतांन्त।
(ग) हिन्दी आलोचना का प्रांरम्भ और विकास। प्रमुख आलोचक: रामचंद्र शुक्ल, नन्ददुलारे बाजपेयी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, नगेन्द्र, रामविलास शर्मा, नामवर सिंह, रामस्वरूप चतुर्वेदी।

:: प्रश्न पत्र – II (Paper – II) ::

भाग- प्रथम (Part – I)

इस प्रश्न-पत्र में निर्धारित रचनाओं में से व्याख्या एवं उन पर आलोचनात्मक प्रश्न पूछे जायेंगे। कबीर ग्रन्थावली, सम्पादक -श्याम सुन्दर दास, साखी संख्या 1 से 100 तक और पद संख्या 1 से 20 तक।

सूरदास (भ्रमरगीत सार) सम्पादक- रामचन्द्र शुक्ल, पद संख्या 51 से 100 (कुल 50 पद)

तुलसीदास- रामचरितमानस उत्तरकाण्ड- (दोहा संख्या- 75 से अन्त तक) । जायसी (पदमावत),

सम्पादक – रामचन्द्र शुक्ल (सिंहलदीप खण्ड और नागमती वियोग खण्ड), बिहारी संग्रह (प्रारम्भ से 100 दोहे तक ) हिन्दी परिषद प्रकाशन, इलाहाबाद।

जयशंकर प्रसाद – कामायनी – (श्रद्धा और इड़ा सर्ग) सुमित्रानन्दन पन्त- नौका बिहार, परिवर्तन, निराला

राम की शक्ति पूजा, अज्ञेय – असाध्यवीणा, मुक्ति बोध- अन्धेरे में, नागार्जुन-बादल को घिरते देखा है, अकाल के बाद।

भाग द्वितीय (Part – II)

नाटक-  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र अन्धेर नगरी, जयशंकर प्रसाद-स्कन्द गुप्त,

निबन्ध- रामचन्द्र शुक्ल, चिन्तामणि भाग-एक (कविता क्या है, श्रद्धा और भक्ति)। हजारी प्रसाद द्विवेदी -कुटुज (निबन्ध)

उपन्यास- प्रेमचन्द्र-गोदान, फणीश्वरनाथ रेणु- मैला आंचल।

हिन्दी की कहानियां-

1- प्रेमचन्द्र- माँ,
2- जयशंकर प्रसाद- आकाशदीप,
3-अज्ञेय-रोज,
4- राजेन्द्र यादव- जहां लक्ष्मी कैद है,
5- उषा प्रियम्बदा-वापसी।

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