यू.पी. स्टडी नोट्स : महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय

By Abhishek Jain |Updated : August 30th, 2022

In this article, we will see all the constitutional bodies that have provisions in the constitution of India. You can also download the PDF of these notes from the direct link given at the end of the article.

एक संवैधानिक निकाय या संस्थान वह है जिसका संविधान के मूल रूप में या उसमें किसी प्रकार के संशोधन के बाद उल्लेख किया गया है, जबकि एक गैर-संवैधानिक निकाय वह है जिसका संविधान में उल्लेख नहीं किया गया हैI

चुनाव आयोग

  1. संविधान के भाग XV के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग का उल्लेख किया गया हैI
  2. वर्तमान में चुनाव आयोग संस्थान में, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त सम्मिलित हैंI
  3. उनका कार्यकाल 6 वर्ष का होता हैI उनकी सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष है, जो भी पहले होI
  4. सुकुमार सेन भारत के पहले चुनाव आयुक्त थेI

संघ लोक सेवा आयोग

  1. संविधान के भाग XIV के अनुच्छेद 315 से 323 के तहत उल्लेखित (अनुच्छेद 315 में संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग के बारे में उल्लेख किया गया है)I
  2. यू.पी.एस.सी में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक अध्‍यक्ष और अन्य सदस्य शामिल हैंI
  3. 6 वर्ष का कार्यकाल या सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष, जो भी पहले होI
  4. यू.पी.एस.सी का अध्‍यक्ष (पद संभालने के बाद से), इस पद के बाद भारत सरकार या किसी राज्य में किसी भी रोजगार के लिए पात्र नहीं होता हैI

राज्य लोक सेवा आयोग

  1. राज्य लोक सेवा आयोग में राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्‍त एक चेयरमैन और अन्य सदस्य शामिल होते हैंI
  2. 6 वर्ष का कार्यकाल या सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है जो भी पहले होI वह अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंपते हैंI
  3. चेयरमैन और सदस्यों को केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है, जबकि उनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हैI अध्‍यक्ष या सदस्यों को हटाने का आधार यू.पी.एस.सी के अध्‍यक्ष या सदस्यों को हटाने के समान होता हैI
  4. नोटसंविधान के अंतर्गत दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग (जे.पी.एस.सी) की स्थापना का भी प्रावधान हैI
  5. संबंधित राज्यों की अर्जी पर संसद के अधिनियम द्वारा यू.पी.एस.सी और एस.पी.एस.सी से भिन्न जे.पी.एस.सी की स्थापना की जा सकती है, जो एक संवैधानिक निकाय है, जे.पी.एस.सी एक वैधानिक निकाय है न की संवैधानिकI
  6. जे.एस.पी.एस.सी के अध्‍यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैI इनका कार्यकाल 6 वर्ष या सेवानिवृत्ति 62 वर्ष तक होती है, जो भी पहले लागू होता होI

वित्त आयोग

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग का उल्लेख किया गया हैI इसका गठन प्रत्येक पांच वर्ष में राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है या उससे पहले जैसा उन्हें आवश्यक लगेI
  2. वित्त आयोग में एक अध्‍यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैI उनका कार्यकाल तब तक होता है जैसा की राष्ट्रपति द्वारा उनके आदेश में निर्दिष्ट होता हैI वे पुनः नियुक्ति के पात्र होते हैंI
  3. हालांकि यह प्रमुख रूप से एक सलाहकार निकाय है और यह केंद्र और राज्यों के बीच साझा किए जाने वाले करों के शुद्ध लाभ के वितरण तथा इस प्रकार की आय से संबंधित हिस्‍सों को राज्‍यों के बीच आवंटित करने पर सलाह देता है।
  4. के.सी. नियोगी पहले वित्त आयोग के अध्‍यक्ष थे और वर्तमान में यह 15वां वित्त आयोग है जिसके अध्‍यक्ष एन.के सिंह हैंI

अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय आयोग

  1. इससे संबंधित उल्‍लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 में किया गया हैI

अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग

  1. इससे संबंधित उल्‍लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338-A में किया गया हैI

भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी

इसका उल्‍लेख भारतीय संविधान के भाग XVII के अनुच्छेद 350-B में किया गया हैI

भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक

  1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) का एक स्वतंत्र पद होना चाहिए I
  2. वह भारतीय ऑडिट और लेखा विभाग का प्रमुख होता हैI
  3. वह आम लोगों के धन का अभिवावक होता है और उसका पुरे देश के दोनों वित्तीय तंत्र केन्द्रीय और राज्य पर नियंत्रण होता हैI
  4. यही कारण है की डॉ. बी.आर. अम्बेड़कर ने कहा था की भारत के संविधान के तहत सी.ए.जी सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होगाI
  5. सी.ए.जी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्‍ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा की जाती हैI
  6. उनका कार्यकाल 6 वर्ष का होता है और सेवानिवृति की आयु 65 वर्ष होती है, जो भी पहले होI
  7. उनको राष्ट्रपति द्वारा उनके दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता हैI उनको हटाने का तरीका सर्वोच्च न्यायालय के न्‍यायाधीश को हटाने के समान हैI
  8. उनके सेवानिवृत होने के बाद या हटाए जाने के बाद वह किसी भी प्रकार के या तो केंद्र या फिर राज्य सरकार के स्तर पर रोजगार के अधिकारी नहीं हैI
  9. सी.ए.जी के कार्यालय के प्रशासनिक व्‍ययों में उस कार्यालय में काम कर रहे सभी लोगों के वेतन, भत्ते, सेवारत लोगों की पेंशन इत्यादि के लिए भारत की समेकित निधि को चार्ज किया जाता हैI इस प्रकार, वे संसद में वोट करने के सम्बद्ध नहीं हैI
  10. वह भारत की समेकित निधि, प्रत्येक राज्य और संघीय राज्य जहाँ पर विधान सभा है, की समेकित निधि से संबंधित सभी एकाउंट्स से किए गए सभी खर्चों का ऑडिट करता हैI
  11. वह भारत की आकस्मिकता निधि से किए गए सभी खर्चों और भारत के पब्लिक अकाउंट साथ ही प्रत्‍येक राज्य की आकस्मिकता निधि और राज्यों के पब्लिक अकाउंट पर किए गए सभी खर्चों का ऑडिट करता हैI
  12. वह केंद्र के लेखों से संबंधित सभी खर्चों पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं, जो बाद में , रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में रखते हैं (अनुच्छेद 151)I
  13. वह राज्‍यपाल को राज्यों के लेखों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट को सौंपते हैं, जो, बाद में, रिपोर्ट को विधान सभा में रखते हैं (अनुच्छेद 151)I
  14. राष्ट्रपति सी.ए.जी द्वारा सौंपे गए रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में रखा जाता हैI लोक लेखा समिति उन्हें जांचती है और अपनी जांच को संसद के समक्ष रखती हैI

भारत के अटॉर्नी जनरल

  1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 76 में उल्लेखित हैI
  2. देश में सबसे बड़े कानून अधिकारी की पदवी हैI
  3. राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता हैI
  4. ए.जी.आई वह होता है जो सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की पात्रता रखता हैI
  5. कार्यकाल निश्चित नहीं है और वह राष्ट्रपति की इच्छानुसार अपने पद पर रह सकता हैI
  6. उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में, अटॉर्नी जनरल भारत के किसी भी क्षेत्र में सभी न्यायालयों में श्रोता की तरह भाग लेने का अधिकार रखता हैI साथ ही, संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में वह भाग ले सकता है और बोलने का अधिकार भी रखता है या संयुक्त बैठने की व्यवस्था और संसद के किसी समिति जिसके लिए उन्हें नामित किया गया हो परन्तु बिना वोट के अधिकार के साथI वह संसद के सदस्य के लिए उपलब्ध सभी सुविधाओं और अधिकारों का आनंद लेता हैI
  7. नोटअटॉर्नी जनरल के साथ ही, भारत सरकार के अन्य कईं कानून अधिकारी होते हैंI वे भारत के सोलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल हैI वे अटॉर्नी जनरल को उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में मदद करते हैंI यहाँ ध्यान रखा जाना चाहिए की केवल अटॉर्नी जनरल पद का निर्माण संविधान द्वारा किया गया हैI अन्य शब्दों में, अनुच्छेद 76 सोलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल के बारे में उल्लेख नहीं करता हैI
  8. भारत के पहले और सबसे लंबे समय के लिए सेवा में रहे ए.जी.आई मोतीलाल चिमनलाल सेतालवाद थेI

राज्य के एडवोकेट जनरल

  1. संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत राज्यों के लिए एडवोकेट जनरल के पद का उल्लेख किया गया हैI वह राज्य का उच्च कानून अधिकारी होता हैI अतः वह राज्‍य में भारत के अटॉर्नी जनरल का प्रतिरूप होता हैI
  2. एडवोकेट जनरल की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हैI वह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने योग्य है।

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