Day 1: Study Notes भारतीय आर्यभाषाएँ

By Mohit Choudhary|Updated : August 22nd, 2022

सहायक प्रोफेसर के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए UGC NET परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है।
यदि उम्मीदवार पीएचडी करते हैं तो यह परीक्षा जेआरएफ के रूप में छात्रवृत्ति भी देती है।
टेस्ट ऑनलाइन मोड में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित किया जाता है।

  • UGC NET परीक्षा पेपर २ हिंदी साहित्य के इकाई १ से भारतीय आर्यभाषाओं के विकास  के प्रश्न विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों में मिलते हैं।  प्रथम इकाई के महत्वपूर्ण विषयों में से एक यह भी है।  
  • छात्रों को भारतीय आर्यभाषाओं के विकास, स्वरुप व् कालक्रम इत्यादि  का ज्ञान आवश्यक है।   
  • यह लेख आपको इस विषय के महत्वपूर्ण बिंदुओं से परिचित कराएगा।  


भारतीय आर्यभाषाएँ :-
भारतीय आर्य-भाषा-समूह को काल क्रम की दृष्टि से निम्न वर्गों में बांटा गया है -

अ. प्राचीन भारतीय आर्यभाषा : (२००० ई. पू. से ५०० ई. पू. तक )

१. वैदिक संस्कृत - २००० ई. पू. से ८०० ई. पू. तक 

प्राचीन भारतीय आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक साहित्य में मिलता है।  वैदिक संस्कृत को तीन भागों में बांटा गया है: 

  • संहिता के अंतर्गत चारों वेद आते हैं - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद। 
  1. ऋग्वेद में देवताओं की स्तुतियों से सम्बंधित श्लोक हैं।  
  2. यजुर्वेद में मन्त्र भाग व् व्याख्यात्मक गद्यमय भाग दोनों संकलित हैं। 
  3. सामवेद यज्ञों में वीणा के साथ गाये जाने वाले सूक्तों को गेय पदों में लिखा गया है। 
  4. अथर्ववेद में जान साधारण में प्रचलित मन्त्र-तंत्र , टोन-टोटके का संकलन है। 
  • ब्राह्मण , प्रत्येक संहिता के अपने ब्राह्मण ग्रन्थ होते हैं।  

वेद 

ब्राह्मण ग्रन्थ 

ऋग्वेद 

ऐतरेय ब्राह्मण 

कृष्ण यजुर्वेद 

शतपथ ब्राह्मण 

शुक्ल यजुर्वेद 

तैत्तिरीय ब्राह्मण 

सामवेद 

तांडव अथवा पंचाविंश ब्राह्मण 

अथर्ववेद 

गोपथ ब्राह्मण 

 

  • उपनिषद  वस्तुतः ब्राह्मण ग्रंथों के ही अंतिम भाग हैं।  इनकी संख्या १०८ है।  मुख्य उपनिषद -ईश , केन, काठ, ऐतरेय, श्वेताश्वेतर इत्यादि।   

२. संस्कृत अथवा लौकिक संस्कृत - ८०० ई. पू. तक 

पाणिनि की अष्टाध्यायी, रामायण, महाभारत, पुराण इत्यादि की रचना लौकिक संस्कृत में ही हुई है।  लौकिक संस्कृत में केवल ४८ वर्ण रह गए।  लौकिक संस्कृत में वैदिक संस्कृत की अपेक्षा क्रिया रूपों और धातु में विशेष अंतर आ गया।  

ब. मध्य कालीन भारतीय आर्यभाषा : (५०० ई. पू. से १००० ई. तक)

१. पालि (प्रथम प्राकृत) - ५०० ई. पू. से १ ई

  • पाली भाषा में ही बौद्ध साहित्य की रचना हुई है।  इस भाषा में त्रिपिटक ग्रंथों - सुत्त पिटक, विनय पिटक, अभिधम्म पिटक की रचना हुई है।  
  • पाली भारत की प्राथन देशीय भाषा थी।  
  • यह भाषा मुख्यतः मगध, उज्जयिनी , कलिंग, कोसल, आदि स्थानों पर बोली थी।  
  • पाली को मुख्य रूप से मध्य प्रदेश की बोली माना जाता है।  

२. प्राकृत (द्वितीय प्राकृत) - १ ई. से ५०० ई. 

  • प्राकृत प्राचीन रूप से सर्वाधिक प्रचलित भाषा रही है।  हेमचन्द्र, मार्कण्डेय आदि विद्वानों ने प्राकृत की उत्पत्ति संस्कृत से मानी है।
  • वररुचि ने सर्वप्रथम ‘प्राकृत प्रकाश’ नामक व्याकरण ग्रन्थ तथा हेमचन्द्र ने ‘प्राकृत व्याकरण’  की रचना की। 
  • हेमचन्द्र की प्राकृत का ‘पाणिनि’ कहा जाता है। 
  •  अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ है - बिगड़ा हुआ या गिरा हुआ।  हेमचन्द्र ने इसे ‘ग्रामभाषा ’ तथा दण्डी ने ‘आभीरादि’ कहा है।  
  • दूहा अर्थात दोहा भी मूलतः इसी भाषा का छंद  है।  
  • प्राकृत के प्रकार :
  1.  शौरसेनी प्राकृत 
  2.  अर्धमागधी प्राकृत 
  3.  मागधी प्राकृत 
  4.  पैशाची प्राकृत 
  5.  महाराष्ट्री   
  6.  अपभ्रंश (तृतीय प्राकृत) - ५०० ई. से १००० ई. तक 

अपभ्रंश 

भाषाएं 

शौरसेनी अपभ्रंश 

पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, गुजराती 

पैशाची अपभ्रंश 

पंजाबी 

ब्राचड अपभ्रंश 

सिंधी 

खस अपभ्रंश 

पहाड़ी 

महाराष्ट्री अपभ्रंश 

मराठी 

अर्धमागधी अपभ्रंश 

पूर्वी हिंदी 

मागधी अपभ्रंश 

बिहारी, उड़िया, असमिया, बांग्ला 



स. आधुनिक भारतीय आर्यभाषा - १००० से अबतक 

  • आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं का विकास अपभ्रंश की विभिन्न शाखाओं से हुआ है।  
  • अपभ्रंश का क्षेत्रीय रूप एवं आधुनिक भाषाएं :

अपभ्रंश 

आधुनिक भाषाएं 

शौरसेनी 

पश्चिमी हिंदी, गुजराती, राजस्थानी, पहाड़ी  

मागधी 

बांगला, बिहारी, उड़िया, असमिया 

अर्धमागधी 

पूर्वी हिंदी 

महाराष्ट्री 

मराठी 

ब्राचड-पैशाची 

लहँदा, पंजाबी, सिंधी 

  • स्पष्टतः आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश से हुआ है।  
  • चूँकि इन सभी आधुनिक भारतीय  भाषाओं का स्त्रोत संस्कृत रही है , इसलिए इसमें संस्कृत के प्रचुर शब्द मिलते हैं।  

 

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  हमें उम्मीद है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, इकाई १ भारतीय आर्य भाषाओं संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।

Thank you

Team BYJU'S Exam Prep.

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