UGC NET Study Notes Paper 2 ,Hindi UNIT 1,लिपि -उद्भव व् विकास
- पं. कामता प्रसाद गुरु के अनुसार , “लिखित भाषा में मूल ध्वनियों के लिए जो चिन्ह मान लिए गए हैं ,वे भी वर्ण कहलाते हैं, पर जिस रूप में ये लिखे जाते हैं उसे लिपि कहते हैं।”
- लिपि विकास की मुख्यतः निम्न अवस्थाएं मानी जाती हैं :-
चित्रलिपि
↓
प्रतीकलिपि
↓
भावलिपि
↓
ध्वनि लिपि
↙ ↘
अक्षारात्मक (Syllabic) वर्णात्मक (Alphabetic)
(भारत की सभी लिपियाँ अक्षरात्मक हैं) ( रोमन लिपि वर्णात्मक है)
- भारत में प्राचीन समय में तीन लिपियाँ प्रचलित थीं -
१) सिंधु घाटी लिपि २) खरोष्ठी लिपि ३) ब्राह्मी लिपि
- सिंधु घाटी लिपि का प्राचीनतम नमूने सिंधु घाटी में मांटगोमरी जिले के हड़प्पा तथा सिंध के लरकाना जिले के मोहजोदडो में प्राप्त सीलोन पर मिले हैं।
- खरोष्ठी लिपि का प्राचीनतम नमूना पश्चिमोत्तर भारत के शाहबाज गढ़ी (पंजाब) और मानसेरा (पंजाब के अशोक के अभिलेखों में प्राप्त हुआ है।
- खरोष्ठी दाएं से बाएं लिखी जाती है।
- ब्राह्मी लिपि के प्राचीनतम नमूने बस्ती जिले में प्राप्त पिपराला के स्तूप में तथा अजमेर जिले के वड़ली गॉव के शिलालेखों में मिले हैं।
- ब्राह्मी लिपि की उत्पत्ति को लेकर दो मत प्रचलित हैं - १) यह भारतीय लिपि है , २) यह विदेशी लिपि है।
- प्रो. बूलर के अनुसार ब्राह्मी लिपि में ४१ अक्षर थे - ९ स्वर और ३२ व्यंजन।
- ब्राह्मी लिपि के विकास को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है:-
ब्राह्मी
↙ ↘
दक्षिणी शैली उत्तरी शैली
↓
गुप्त लिपि
↓
सिद्धमात्रिका या कुटिल लिपि
↙ ↘
देवनागरी लिपि (९वीं सदी) शारदा लिपि (१०वीं सदी)
- सं ५८८-८९ ई का बोधगया का अभिलेख ‘सिद्धमात्रिका लिपि’ में ही है।
देवनागरी लिपि
- ब्राह्मी की उत्तरी शैली से ४-५वीं सदी में गुप्त लिपि तथा गुप्त लिपि से छठी सदी में कुटिल लिपि विकसित हुई है। इसी कुटिल लिपि से नौवीं सदी के लगभग नागरी के प्राचीन रूप का विकास हुआ , जिसे प्राचीन नागरी कहते हैं।
- देवनागरी के नाम के विषय में अनेक मत हैं , जो इस प्रकार हैं -
- प्रसिद्द बौद्धग्रन्थ ‘ललित विस्तार’ में वर्णित नागलीपी से नागरी नामकरण हुआ।
- नगरों में प्रचलित होने से देवनागरी नाम पड़ा।
- पाटलिपुत्र को ‘नागर’ और चन्द्रगुप्त को ‘देव’ कहने के कारण देवनागरी नाम पड़ा।
- गुजरात के ‘नागर’ ब्राह्मणों के नाम पर नागरी नाम पड़ा।
- डॉ धीरेन्द्र वर्मा के अनुसार मध्य युग के स्थापत्य की एक शैली का नाम नागर होने से नागरी नामकरण हुआ।
- देवनागरी का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जयभट्ट (७-८वीं सदी)के शिलालेखों में मिला।
देवनागरी लिपि का वैशिष्ट्य :
◾ देवनागरी लिपि आक्षरिक है।
◾ देवनागरी में एक वर्ण के लिए एक ध्वनि है अर्थात प्रत्येक अक्षर उच्चारित होते हैं।
◾ देवनागरी की वर्णमाला का वर्णक्रम वैज्ञानिक है।
हमें उम्मीद है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, इकाई १ लिपि, उद्भव व विकास से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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