प्रिय पाठकों,
यहाँ हम अपनी नई पहल ‘’द थ्योरी ऑफ़ एवेरीथिंग’’ लेकर आये हैं जिसमे दिलचस्प तथ्यों के बारे में सूचित किया गया है जो निश्चित रूप से सभी बैंकिंग और बीमा परीक्षा के लिए जनरल अवेयरनेस वाले सेक्शन में उत्कृष्टता प्राप्त करने में आपके लिए मददगार साबित होगें| बैंकिंग परीक्षा के पाठ्यक्रम में जनरल अवेयरनेस सेक्शन का विस्तार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है| अतः नए पैटर्न के साथ समानता स्थापित करने के लिए और इस सेक्शन में महारत हासिल करने के लिए हमे अपने जानकारी के दायरे को और विस्तृत करना होगा|
रोड
हजारों साल पहले जब कोई शहरी नियोजन नही था , कोई वाहन नही था या यहां तक कि पहिये भी पहली बार सड़क पर दिखाई दिए थे । जैसे अणुओं को सेल में और सेल को अधिक जटिल जीव में खोजा जाता है ठीक उसी तरह पहली रोड की खोज की गयी थी | भोजन और पानी की तलाश में एक ही रास्ते पर बार – बार चलके मानव द्वारा इसका पता लगाया गया था। छोटे-छोटे समूह एक बड़े समूह में परिवर्तित हो गये जैसे कि गाँव कस्बे बन गये, कस्बे शहर बन गये, ठीक इसी तरह सामान्य रास्ते पहले फार्मल सड़क बने और फिर सबसे उपयुक्त सडकें बन गये |
पत्थर से बनी सड़कों को पहली बार 4000 ईसा पूर्व के आसपास की समयावधि के दौरान पाया गया था जब हड़प्पा और मोहन जोदड़ो के लोग द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता का नगरीकरण किया गया था |
सड़कें सर्वप्रथम स्कॉटलैंड के एक इंजीनियर जॉन लाउदन मैकदम द्वारा 19वीं सदी के दौरान बनायी गयी थीं । उन्होंने उसने मिटटी की अनेक परतों वाली रोडबेड्स बनाया और पत्थरों को एक साथ रखकर रोलर से कुचलवा दिया ताकि पत्थर एक दूसरे से बंधे रहें | पूर्व की सदियाँ के बीतने के साथ ही नई सड़कों के विकास की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन आया | सतह ग्रेडिंग हो जाने के बाद, पेवर्स आये और अन्दर होते गये इसी तरह लागातार डामर की परतों पर रोलर चढ़ाकर उन्हें पाट दिया जाता था | जिस प्रकार रोमनों ने ‘’आधुनिक सुपर हाइवे का विकास’’, जर्मन ऑटोबान और अमेरिकी अंतरराज्यीय प्रणाली का नेतृत्व किया था ज्यादातर वैसा ही 20 वीं सदी में भी हुआ है |
राजमार्ग
अन्य सभी सड़कों की तरह राजमार्ग भी एक साधारण और सार्वजनिक सड़क होती है लेकिन यह सड़क गंतव्य स्थान / प्रमुख कस्बों या शहरों से सीधे तौर पर जोड़ती है।
विश्व का सबसे लम्बा राजमार्ग
पैन-अमेरिकन-राजमार्ग दुनिया की सबसे लंबी वाहन योग्य सड़क है जिसकी लंबाई 48000 किमी है | यह 100 किलोमीटर के दायरे वाले जंगले और स्वाम्पलैंड को छोड़कर पूरे राष्ट्र को उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में जोड़ता है |
भारत में राजमार्ग का इतिहास
- कुल मिलाकर लगभग 2.3 मिलयन कलोमीटर सड़क के साथ भारत वर्मान में दुनिया के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क में से एक है |
- सड़कों के बारे में सबसे पहला साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से मिला था |
- पूर्व-इतिहास में ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण शेर शाह सूरी द्वारा 1540-45 में कराया गया था | 2,500 किलोमीटर लम्बी यह सड़क एशिया की सबसे लम्बी और सबसे पुरानी सड़क है |
- ग्रैंड ट्रंक रोड पश्चिमी बांग्लादेश के चटगाँव निकलकर भारत में हावड़ा, पश्चिम बंगाल को जाती है, और फिर दिल्ली से पूरे उत्तरी भारत को पार कर अमृतसर से होते हुए पाकिस्तान के लाहौर में निकलती है, और उसके आगे अफगानिस्तान के काबुल तक जाती है |
- 1947 में आजादी के समय सडकों का रखरखाव सही से नही हो रहा था और एन.एच.ए.आई. की स्थापना भी नही हुई थी |
एन.एच.ए.आई. (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण)
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण संसद के एक अधिनियम ‘’भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988’’ द्वारा गठित किया गया था | यह इसे सौंपे गये राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास, रखरखाव,और प्रबंधन तथा इससे जुड़े आनुषंगिक मामलों के लिए जिम्मेदार होता है | इस प्राधिकरण को पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के साथ ही फरवरी, 1995 में लागू किया गया | श्री राघव चंद्र, आई.ए.एस. एन.एच.ए.आई. के अध्यक्ष हैं।
भारतीय सड़क नेटवर्क
भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग
उत्तरी जोन
1. एन.एच. 1 – दिल्ली-जालंधर-अमृतसर–वाघा बॉर्डर
2. एन.एच.2 - दिल्ली-आगरा-इलाहाबाद-कलकत्ता
3. एन.एच 3 - आगरा-इंदौर-ढूले-मुंबई
4. एन.एच. 7 – वाराणसी-नागपुर-बंगलुरु- कन्याकुमारी
5. एन.एच. 8 - दिल्ली-जयपुर-अहमदाबाद-मुंबई
6. एन.एच.11 - आगरा-जयपुर-बीकानेर
7. एन.एच. 22 - अम्बाला-कालका-सोलन-रामपुर-जंगी-खाब
8. एन.एच.24 – दिल्ली-बरेली-लखनऊ
9. एन.एच. 29 - वाराणसी- सारनाथ- गोरखपुर
10. एन.एच. 56 - लखनऊ-जौनपुर-फूलपुर–वाराणसी
11. एन.एच. 58 - माणा-बद्रीनाथ-हरिद्वार - मेरठ- मोदीनगर- दिल्ली
12. एन.एच.64 - चंडीगढ़ -बनार-पटियाला- बरनाल- भटिंडा-डबवाली
13. एन.एच. 65 - अम्बाला-फतेहपुर -जोधपुर-पाली
14. एन.एच. 72 – अम्बाला -पौंटा साहिब-देहरादून-हरिद्वार
15. एन.एच. 73 - अम्बाला -सहारनपुर- रुड़की
16. एन.एच. 74 – बरेली -सितारगंज-नगीना-हरिद्वार
17. एन.एच. 76 - पिंडवारा-झाँसी-अतर्रा – इलाहाबाद
18. एन.एच. 87 - नैनीताल-रानीबाग-हल्द्वानी- रामपुर
स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग
- 5846 किलोमीटर की लम्बाई वाला स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग भारत में औद्योगिक, कृषि एवं मेट्रोपोलिशियन शहरों को चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई से जोड़ने वाला एक नेटवर्क है |
- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 जनवरी 1999 को इस परियोजना की आधारशिला रखी है जिस पर शुरू में 600 अरब रुपये का खर्च आएगा |
फण्ड
एन.आई.ए.एच. के चरण
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ‘’राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना’’ (एन.एच.डी.पी.) को लागू करने के लिए अधिकृत किया गया था |
एन.एच.डी.पी. चरण - 1 :
एन.एच.डी.पी. के पहले चरण को 30,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ दिसंबर 2000 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सी.सी.ई.ए.) द्वारा अनुमोदित किया गया था जिसमे सर्वाधिक जी.क्यू. (5,846 किलोमीटर) और एन. ए.स.-ई.डब्ल्यू. कॉरिडोर (981कि.मी.), पोर्ट कनेक्टिविटी (356 किमी) और अन्य (315 किमी) शामिल हैं |
एन.एच.डी.पी. चरण - 2 :
एन.एच.डी.पी. के दुसरे चरण को 34,339 करोड़ रुपये (2002 की कीमतें) की अनुमानित लागत के साथ दिसंबर 2003 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सी.सी.ई.ए.) द्वारा अनुमोदित किया गया था जिसमे सर्वाधिक ए.स.-ई.डब्ल्यू. कॉरिडोर (6,161किलोमीटर) और 486 किलोमीटर के अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग, द्वितीय चरण के राजमार्गों की कुल लम्बाई 6,647 किलोमीटर है |
एन.एच.डी.पी. चरण -3 :
बी.ओ.टी. के आधार पर 4035 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों को उन्नत बनाने और 4 लेन बनाने के लिए 5.3.2005 को 22,207 करोड़ रुपये (2004 की कीमतें ) की अनुमानित लागत के साथ सरकार ने तीसरे चरण को मंजूरी दी |
एन.एच.डी.पी. चरण – 4 :
8,074 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों को उन्नत बनाने और 4 लेन बनाने के लिए अप्रैल 2,007 में 54,339 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ सरकार ने चौथे चरण को मंजूरी दी |
एन.एच.डी.पी. चरण 5:
एन.एच.डी.पी. के पांचवे चरण में (डी.बी.एफ.ओ. के आधार पर) सी.सी.ई.ए. ने 5.10.2006 को पहले से मौजूद 6,500 किलोमीटर के 4 लेन राजमार्ग को 6 लेन बनाने की मंजूरी दी | 6,500 किलोमीटर के 6 लेन वाले राजमार्ग में से 5,700 किलोमीटर जी.क्यू. है और अन्य सड़के हैं |
एन.एच.डी.पी. चरण - 6:
सी.सी.ई.ए. ने 16,680 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले 1000 किमी के एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए नवंबर 2006 को मंजूरी दे दी है।
एन.एच.डी.पी. चरण - 7:
सी.सी.ई.ए. ने 16,680 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाले 700 किलोमीटर के रिंग रोड, बाईपास और फ्लाईओवर तथा चुनिंदा जगहों के विस्तार के लिए दसंबर 2007 को मंजूरी दे दी है |
ग्रीन राजमार्ग मिशन
- ग्रीन राजमार्ग योजना 1 जुलाई, 2016 को संपन्न हुए नेशनल ग्रीन राजमार्ग मिशन में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा शुरू किया गया था।
- इस राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 1500 किलोमीटर होगी जिसकी लागत 300 करोड़ रुपये होगी और जो 1,00,000 युवाओं को नौकरी के अवसर देगी |
- इसका मिशन सरकारी संगठनों और अन्य संस्थानों को हरित गलियारा विकसित करने के लिए बढ़ावा देना है।
- ‘’किसान हरित राजमार्ग योजना’’ को भी उसी दिन शुरू किया गया था, यह योजना एक प्रायोगिक योजना है जिसके तहत किसानों और आसपास के समुदायों को आकर्षित कर उनके के लिए वैकल्पिक आजीविका का माध्यम उपलब्ध कराके राजमार्गों पर पड़ने वाले रास्तों पर ग्रीन बेल्ट का विस्तार किया जाना है |
- नेशनल ग्रीन राजमार्ग मिशन मोबाइल ऐप भी शुरू किया गया था जिसके माध्यम से सरकार सभी परियोजनाओं की निगरानी करने में सक्षम होगी |
उदाहरण
- एक रोगी जो कि सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था और जिसके मस्तिष्क को मृत घोषित कर दिया गया था मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे के माध्यम से पुणे से मुंबई तक के रास्ते में उसका मष्तिष्क प्रत्यारोपण करने में 94 मिनट का समय लगा था |
- रोगियों को स्थानातरित किया गया एक ह्रदय जिसे कि 45 मिनट लगा होगा लेकिन बंगलुरु में 19 मिनट में 19 किलोमीटर पहुंचा था |
धन्यवाद
टीम ग्रेडअप!!
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