हाल ही में, ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत 191 लोगों को लेकर दुबई से आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस (राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया की कम लागत वाली सहायक) प्लेन कोझीकोड हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान दुर्घटना ने यह उजागर किया कि किस प्रकार टेबलटॉप रनवे जोखिमपूर्ण है, तथा विगत समय भी इस प्रकार कई विमान दुर्घटनाएं घटित हुई हैं, क्योंकि पायलट के लिए टेबलटॉप रनवे पर लैंडिंग करना बेहद कठिन एवं चुनौतीपूर्ण होता है।
टेबलटॉप हवाई अड्डा
टेबलटॉप हवाई अड्डे के संबंध में
- समन्यातः इसका निर्माण पहाड़ियों या पठारों की सतह को समतल करने के पश्चात किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा अपने किसी भी तकनीकी दस्तावेज में 'टेबलटॉप एयरपोर्ट' का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
- परंतु भारत के वैधानिक विमानन निकाय, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने हवाई अड्डों के संचालन के दौरान सुरक्षा उपायों को उजागर करते हुए इन हवाई अड्डों को इस तरह से संदर्भित किया है।
- हालांकि, एक 'सामान्य' हवाई अड्डे और एक 'टेबलटॉप' हवाई अड्डे के बीच कोई विशिष्ट अंतर मौजूद नहीं हैं।
- वर्ष 2010 में मंगलुरु में घटित एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना (जिसमें लगभग 160 लोगों की मृत्यु हो गई थी) के पश्चात भारत में टेबलटॉप हवाई अड्डों से संबंधित सुरक्षा चिंताओं को पहली बार उजागर किया गया था।
भारत में टेबलटॉप हवाई अड्डे भारत
- कुल छह टेबलटॉप हवाईअड्डे हैं- लैंगपुई (मिजोरम), शिमला और कुल्लू (हिमाचल प्रदेश), पकियोंग (सिक्किम), मंगलुरु (कर्नाटक, कोझीकोड और कन्नूर (दोनों केरल में))।
विमानन परिचालन हेतु ICOA का दस्तावेज
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चिंताएँ
- टेबलटॉप हवाई अड्डों पर रनवे पर किसी प्रकार के अतिरिक्त स्थान की अनुपस्थिति पर लैंडिंग करना कठिन हो जाता है, इसके अतिरिक्त यह विमान के पायलटों के समक्ष एक ऑप्टिकल इल्यूशन (देखने में कठिनाई) भी उत्पन्न करता हाई।
- टेबलटॉप रनवे के अंतर्गत हवाई क्षेत्र के आसपास की उन्नत सड़कों की भी समस्या मौजूद है, जिसका उपयोग विमान दुर्घटनाओं के समय किया जा सकता है।
- वायु सेना बेस की भांति हवाई अड्डों पर ग्राउंड अर्रेस्टर प्रणाली को स्थापित नहीं किया गया है।
- टेबलटॉप हवाई अड्डों के अंतर्गत पर्याप्त सुरक्षा तंत्र मौजूद नहीं है, विशेष रूप से एक टेलविंड के साथ गीली स्थितियों में।
- यदि रनवे के साथ पहाड़ी मौजूद है, तब लैंडिंग करना पायलट के लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है तथा भारी वर्षा से कठिनाई और भी बढ़ जाती है।
- स्थलाकृति को देखते हुए, हवाई अड्डे के रनवे के अंत में 240 मीटर का एक बफर क्षेत्र मौजूद होना चाहिए, परंतु कोझिकोड हवाई अड्डे के समीप केवल 90 मीटर (DGCA द्वारा अनुमोदित) क्षेत्र मौजूद है।
DGCA द्वारा हवाई अड्डों पर किए जाने वाले सुरक्षा उपाय
- EMAS (इंजीनियर मटेरियल अरेस्टिंग सिस्टम) और को अर्रेस्टर बेड के रूप में भी जाना जाता है, यह संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अनिवार्य है, अतः इसे भारतीय हवाई अड्डों पर भी स्थापित किया जाना चाहिए।
- इंजीनियर्ड मटेरियल को रनवे के अंत में स्थापित किया जाना चाहिए, जोकि बेकाबू विमान की रफ़्तार को कम करने तथा उसे रोकने में सहायता करेगा।
- ICAO ने "टेबलटॉप" हवाई अड्डे के संचालन के लिए 90 मीटर के RESA (रनवे एंड सेफ्टी एरिया) को अनिवार्य कर दिया है, जबकि 240 मीटर की अनुशंसा की गई है।
- सभी रनवे को इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) CAT 1 सक्षम बनाया जाना चाहिए और हवाई अड्डों पर साफ़ दृश्य हेतु सहायक घटकों की स्थापना की जानी चाहिए, जिसके अंतर्गत सरल लाइटनिंग की भी व्यवस्था शामिल है।
- भारतीय नागरिक उड्डयन सुरक्षा बोर्ड (ICASB) को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए, जो उड़ान सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा दुर्घटनाओं एवं घटनाओं को कम करने के लिए सक्रिय उपाय सुझाएगा।
- इस प्रकार के स्वतंत्र निकाय विभिन्न देशों जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस और इंडोनेशिया, आदि में पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं।
आगे की राह
- विशेष रूप से ’टेबलटॉप’ रनवे पर ओवरशूट क्षेत्र में नीचे की ओर ढलान का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए।
- यदि पायलट टचडाउन ज़ोन के भीतर संपर्क स्थापित करने में विफल हो जाता है, तो उसे पुनः उडान भरने हेतु प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- विजुअल रिफरेन्स सिस्टम स्थापित करना चाहिए, ताकि पायलट को लैंडिंग करते समय शेष दूरी के संबंध में सूचित किया जा सके।
- संबंधित अधिकारियों को देश के सभी हवाई अड्डों के एयरोड्रम जोखिम मूल्यांकन को भी पूर्ण कर लेना चाहिए।
- DGCA ने विमान परिसंचालन के संबंध में मानसून न्यूनतम उपकरण सूची को अनिवार्य कर दिया है।
- अनिवार्य रूप से ब्रेक या रिवर्सल जैसे ब्रेकिंग या स्लो करने में उपयोग किए जाने वाले विमान उपकरणों की जांच की जानी चाहिए।
- सरकार द्वारा को कोझिकोड को केवल संकीर्ण रनवे वाले Code 3C हवाई अड्डे के रूप में घोषित किया जा चाहिए।
- सरकार यह भी सुनिश्चित करें कि सभी हवाई अड्डों में आवश्यक सुरक्षा मानकों को लागू किया जाए; पायलटों के लिए लैंडिंग के समय बेहतर दृष्टिकोण को अपनाने तथा दुर्घटना से बचने हेतु प्रशिक्षण को क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
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