हाल ही में, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणाम जारी किए हैं। वर्ष वर्ष 2016 के पश्चात स्वच्छ सर्वेक्षण को प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है, जो शहरों को सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जिसके माध्यम से संबंधित शहरों में स्वच्छता के उच्चतम स्तर को स्थापित किया जा सके। इस लेख में UPSC एवं राज्य सेवा परीक्षाओं हेतु प्रमुख बिंदु प्रदान किए गए हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020
स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वेक्षण, 2020 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार चौथे वर्ष भारत के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा।
स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वेक्षण के संबंध में
- इसे वार्षिक आधार पर आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा आयोजित किया जाता है। इसे 2016 में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य देश के शहरी क्षेत्रों का स्वच्छता के स्तर पर मूल्यांकन करना तथा समयबद्ध तरीके से स्वच्छ मिशन की पहल को सक्रिय रूप से लागू करना है।
- वर्ष 2020 में, सर्वेक्षण के पांचवा संस्करण का आयोजन किया गया था, जिसमें देश के 4,242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 92 गंगा शहरों के कुल 1.9 करोड़ नागरिकों ने भाग लिया।
- वर्ष 2019 के पश्चात से ही स्वच्छ सर्वेक्षण कार्यक्रम का आयोजन पूर्णतः डिजिटल प्रारूप में किया जाता है।
महत्व
- यह सर्वेक्षण कस्बों और शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक है, ताकि नागरिकों हेतु आवश्यक सेवा वितरण में सुधार के साथ-साथ स्वच्छ शहरों का निर्माण हो सके तथा सफाई के प्रति नागरिकों में व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सके।
- यह स्वच्छता अभियान अन्य सभी योजनाओं जैसे- किफायती आवास योजना, स्मार्ट सिटी योजना आदि की रीढ़ है।
- यह मिशन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा प्रदत्त स्वच्छता के दृष्टिकोण से प्रेरित है।
उद्देश्य
- इस सर्वेक्षण का प्रमुख उद्देश्य बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
- शहरों को रहने हेतु बेहतर स्थानों के रूप में स्थापित करने हेतु समाज के सभी वर्गों को एकसाथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- स्वच्छ भारत अभियान के प्रदर्शन की निगरानी करना।
- इसका प्रमुख उद्देश्य स्वच्छ भारत अभियान में बड़े पैमाने पर भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
- इसके अतिरिक्त सभी शहरों के मध्य भारत के सबसे स्वच्छ शहर बनने हेतु स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग के निष्कर्ष
शीर्ष प्रदर्शनकर्ता
- दूसरा स्थान सूरत (गुजरात) और तीसरा स्थान नवी मुंबई (महाराष्ट्र) को दिया गया।
- वाराणसी को 'सर्वश्रेष्ठ गंगा शहर' के रूप में घोषित किया गया है ।
- 100 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) वाले राज्यों की श्रेणी में, छत्तीसगढ़ को सबसे ‘स्वच्छ राज्य’ के रूप में घोषित किया गया है, इसके बाद महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का स्थान आता है।
- 100 से कम ULB की श्रेणी में, झारखंड को 'सबसे स्वच्छ राज्य' के रूप में चुना गया, इसके बाद हरियाणा, उत्तराखंड, सिक्किम, असम और हिमाचल प्रदेश हैं।
- वाराणसी को देश में 'बेस्ट गंगा टाउन' का अवार्ड प्रदान किया गया, उसके बाद कानपुर, मुंगेर, प्रयागराज और हरिद्वार का स्थान आता है।
- भारत में 1 से 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में नोएडा 25वां सबसे स्वच्छ शहर बन गया और उत्तर प्रदेश का पहला शहर है।
- 'सबसे स्वच्छ राजधानी' शहर की श्रेणी में, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) को पहला रैंक मिला।
- ‘सिटीजन फीडबैक’ की श्रेणी में
- ग्रेटर हैदराबाद को ‘बेस्ट मेगा सिटी’ घोषित किया गया है,
- चंडीगढ़ को 'बेस्ट यूनियन टेरिटरी’ का पुरस्कार मिला,
- गांधीनगर को ‘नवाचार एवं सर्वोत्तम प्रथाओं’ के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ राज्य राजधानी के रूप में घोषित किया गया।
- 1-10 लाख जनसंख्या की श्रेणी में, अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया, इसके पश्चात कर्नाटक के मैसूर एवं नई दिल्ली नगरपालिका क्षेत्र का स्थान आता है।
- सबसे स्वच्छ छावनी बोर्ड की श्रेणी में, जालंधर छावनी बोर्ड पहले स्थान पर है, उसके बाद दिल्ली छावनी बोर्ड और मेरठ छावनी बोर्ड का स्थान है।
खराब प्रदर्शनकर्ता
- 10 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में गया (बिहार), बक्सर (बिहार) और अबोहर (पंजाब) का स्थान आता है।
- पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता 49 प्रमुख शहरों में सबसे निचले स्थान पर रही।
चुनौतियाँ
- पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष 56 मिलियन किलोग्राम कचरा उत्पन्न होता है, और अनुमान है कि यह वर्ष 2030 तक 1.45 लाख करोड़ किलोग्राम तक पहुंच जाएगा।
- वर्ष 2050 तक, वर्तमान समय की तुलना में 7 गुना अधिक कचरा उत्पन्न होगा, जिसका कुल भार लगभग 4 लाख करोड़ किलोग्राम होगा।
- पश्चिम बंगाल जैसे कुछ प्रमुख राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण में भाग नहीं ले रहे हैं।
आगे की राह
- वर्ष 2016 के पश्चात से, कुछ शहर स्वच्छ सर्वेक्षण के चार्ट में पिछड़ रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से स्वच्छ भारत अभियान में उनकी न्यून भागीदारिता को दर्शाता है।
- वर्ष 2015 तक, स्वच्छता के संदर्भ में इंदौर का 149वां स्थान था। परंतु विगत दो वर्षों के भीतर, शहर प्रशासन ने स्वच्छता गतिविधियों में काफी परिवर्तन किए, जिससे वर्तमान यह देश का सबसे स्वच्छ शहर बन गया।
- भारत को सबसे स्वच्छ देश बनाने हेतु निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
- गैर-सरकारी संगठनों और नगर निगमों द्वारा नागरिकों में स्वच्छता की आदत डालने के लिए बेहतर संचार करना चाहिए।
- शहर में एकत्रित कचरे को ट्रैक करने के लिए शहर में एक कमांड सेंटर स्थापित किया जाना चाहिए, इसके अतिरिक्त सभी कचरा एकत्र करने वाले वाहनों में GPS ट्रैकर स्थापित किए गए हैं।
- प्रशासन द्वारा बड़े आकार के सार्वजनिक डस्टबिन को हटा दिया जाना चाहिए, और इसके बजाय प्रत्येक घर से कचरा एकत्र किया जाना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त शहर को रात्रि समय के दौरान साफ किया जाना चाहिए, ताकि दिन के समय में कार्यशील नागरिकों हेतु शहर को स्वच्छ एवं सुव्यवस्थित बनाया जा सके।
- प्रशासन को स्वच्छता के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करने तथा उन्हें स्वच्छता के ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए बच्चों की सहायता लेनी चाहिए।
- हाल ही में, मंत्रालय ने एक एकीकृत MIS पोर्टल लॉन्च किया है, जो एक ही प्लेटफार्म पर कई डिजिटल पहलों को एकसाथ लाएगा, जो राज्यों एवं शहरों हेतु एक एकीकृत और सुव्यवस्थित पद्धति को सुनिश्चित करेगा।
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