Day 2: Study Notes on हिंदी: व्युत्पत्ति और अर्थ

By Mohit Choudhary|Updated : August 23rd, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी: व्युत्पत्ति और अर्थ। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी: व्युत्पत्ति और अर्थ  के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। हिंदी: व्युत्पत्ति और अर्थ  से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।

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  • 'हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में निम्नलिखित मत प्रचलित है— 

(1) परम्परावादी संस्कृत पण्डितों के अनुसार, हिन्दी-हिन् (नष्ट करना) (दुष्ट)। अर्थात हिन्दु का अर्थ है जो दुष्टों का विनाश करे (हिनस्ति दुशन)। 

(2) शब्द कल्पद्रुम के अनुसार, 'हिन्दु शब्द 'हीन दुष' से बना है जिसका अर्थ है 'हीनों को दूषित करने वाला (हीन दूषयति)।

(नोट- ये दोनो मत कल्पना प्रसूत है।) 

  • डॉ० भोलानाथ तिवारी के अनुसार 'हिन्दु' शब्द का प्राचीनतम प्रयोग 7वीं सदी के अन्तिम चरण के ग्रन्थ 'निशीथचूर्णि' में प्रथम बार मिला है।
  • 'हिन्दु' शब्द फारसी है जो संस्कृत शब्द सिन्धु का फारसी रूपान्तरण है।
  • 'सिन्धु' शब्द का प्रथम प्रयोग ऋग्वेद में सामान्य रूप से नदी (सप्त सिंधव:) नदी विशेष तथा नदी के आस पास के प्रदेश के लिए हुआ है।
  • 500 ई० पू० के आस-पास दारा प्रथम के काल में सिन्धु नदी का स्थानीय प्रदेश ईरानी लोगों के हाथों में था।
  • संस्कृत के 'सिन्धु' का ईरानी में हिन्दु हो गया जो सिन्धु नदी के आस पास के प्रदेश के अर्थ में प्रयुक्त हुआ।
  • कालान्तर में आर्थिक विकास के साथ 'हिन्दु' का अर्थ 'भारत' हो गया। इसमें "इ' पर बलाघात के कारण अन्त्य 'उ' का लोप हो गया। (हिन्दु - हिन्द)
  • 'हिन्द' शब्द में विशेषणार्थक प्रत्यय 'ईक' जोड़ने से 'हिन्दीक' शब्द बना जिसका अर्थ है 'हिन्द का'। कालान्तर में 'क' लुप्त हो जाने से 'हिन्दी' शब्द बना। 
  • 'हिन्दी व्याकरण की दृष्टि से विशेषण है जिसका मूल अर्थ (सं०) सिन्धु (अवे०) हिन्दु→ हिन्द→ हिन्दीक→ हिन्दी। → ग्रीक लोगों ने सिन्धु नदी को 'इन्दोस', यहाँ के निवासियों को 'इन्दोई तथा प्रदेश को 'इन्दिके' अथवा 'इन्दिका' नाम से सम्बोधित किया। 'इन्दिका' शब्द अंग्रेजी आदि में 'इण्डिया' हो गया।
  • किसी भी प्राचीन भारतीय आर्यभाषा में 'हिन्दी' का प्रयोग नहीं मिलता है। केवल कालकाचार्य द्वारा लिखित जैन महाराष्ट्री में 'हिन्दग' शब्द मिलता है। (जैसे—“सूरिणा भणियम् रामाणो जेण हिन्दुग देसम् बच्चामो”)।

भाषा के अर्थ में हिन्दी शब्द का प्रयोग व विकास 

  • भाषा के अर्थ में 'हिन्दी" का प्रयोग फारस और अरब से होता है।
  • ईरान के बादशाह नौशेरवाँ (531-579 ई०) ने अपने दरबारी हकीम बजरोख को भारतीय ग्रन्थ 'पंचतन्त्र' का अनुवाद करने के लिए नियुक्त किया। बाजरोया ने 'कर्कट और दमनक' के आधार पर अपने अनुवाद का नाम 'कलीला व दिमना' रखा। नौशेरवाँ के मन्त्री बुजर्च मिहर ने लिखी। 
  • 'कलीला व दिमना' की भूमिका में कहा गया कि यह अनुवाद 'जबाने-हिन्दी' से किया गया है। → अरबी-फारसी में 'जबाने-हिन्दी' शब्द का प्रयोग सम्भवतः भारत की सम भाषाओं संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश के लिए मिलता है।
  • भारत के फारसी कवि औफी ने सर्वप्रथम सन् 1228 ई० में 'हिन्दवी का प्रयोग समस्त भारतीय भाषाओं के लिए न करके भारत की (सम्भवतः मध्यदेश देशी भाषाओं के लिए किया।)
  • तैमूरलंग के पोते शरफुद्दीन यज्दी ने सन् 1424 ई० में अपने ग्रन्थ 'जफरन में विदेशों में 'हिन्दी भाषा' के अर्थ में 'हिन्दी' शब्द का प्रथम प्रयोग किया। 
  • डॉ० धीरेन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित 'हिन्दी साहित्य कोश' (भाग-1) के अनू
  • 13-14वीं शती में देशी भाषा को 'हिन्दी' या 'हिन्दकी' या 'हिन्दुई' नाम देने में अबुल हसन या अमीर खुसरो का नाम सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।" 
  • डॉ० भोलानाथ तिवारी एवं उदय नारायण तिवारी ने भाषा के अर्थ में खुसरो द्वारा प्रयुक्त 'हिन्दी' को संदिग्ध माना है। उक्त दोनों विद्वानों ने 'हिन्दी' शब्द के प्रयोग को 'भारतीय मुसलमान' के अर्थ में रेखांकित किया है।
  • डॉ० भोलानाथ तिवारी ने लिखा है, 'खुसरों ने 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग भारतीय मुसलमानों के लिए किया है और 'हिन्दवी' शब्द का 'मध्यदेशीय भाषा' के लिए यह 'हिन्दवी' शब्द वस्तुतः 'हिन्दुवी' या 'हिन्दुई' है। 
  • हिन्दू + ई अर्थात् हिन्दुओं की भाषा। = 'हिन्दुवी' शब्द के प्रयोग के कुछ दिन बाद 'हिन्दी' (अर्थात भारतीय मुसलमानों) की भाषा के लिए कदाचित 'हिन्दी शब्द चल पड़ा। "
  • हिन्दी कवि नूर मुहम्मद ने लिखा है— “हिन्दू मग पर पाँव ने राखौं। का जो बहुत हिन्दी भाख्यौँ।” 0 18वीं सदी तक 'हिन्दी मुसलमानों की भाषा न रहकर हिन्दुओं की भाषा की ओर झुक रहा था।
  • 19वीं सदी मध्य के पूर्व तक 'हिन्दी' का प्रयोग 'उर्दू' या 'रेख्ता' के समानार्थी रूप में चल रहा था।
  • 'उर्दू' मूलतः तुर्की शब्द है जिसका अर्थ है 'शाही शिविर' या 'खेमा'। 0 डॉ० ग्राहम बेल तथा डॉ० ताराचन्द आदि का कहना है कि 'उर्दू' का भाषा के निश्चित अर्थ में सबसे पुराना प्रयोग मुसहफ़ी में मिलता है- "खुदा रक्खे जबाँ हमने सुनी है, मीर-वो-मिरजा की, कहें किस मुँह से हम मुसहफी 'उर्दू' हमारी है।''
  • प्रो० आजाद ने 'आबे हयात' में ब्रजभाषा से उर्दू का जन्म माना है।
  • 'रेख्ता' का फारसी में अर्थ 'गिरा हुआ' या 'गिराकर बनाया हुआ ढेर' है। → भारत में 'रेख्ता' शब्द का प्रयोग पहले छंद और संगीत के क्षेत्र में हुआ। 
  • 'रेख्ता' नाम 18वीं सदी से प्रारम्भ होकर लगभग 19वीं सदी के मध्य तक उर्दू के लिए चलता रहा।
  • हिन्दी का नवीन अर्थ में लिखित प्रयोग सर्वप्रथम कैप्टिन टेलन ने सन् 1812 ई० में फोर्ट विलियम कालेज के वार्षिक विवरण में किया।
  • वर्तमान में 'हिन्दी' शब्द मुख्यतः निम्न अर्थों में प्रयुक्त हो रहा है- 

(1) हिन्दी साहित्य के इतिहास ग्रन्थों में 'हिन्दी' का अर्थ है- हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार की भाषा। इस पूरे क्षेत्र को 'हिन्दी प्रदेश' कहते है।

(2) वर्तमान भारतीय साहित्य में 'हिन्दी' शब्द भारतीय संघ की राजभाषा (संघ की राजभाषा देवनागरी लिपि में हिन्दी होगी- भारतीय संविधान, अनुच्छे (343) तथा राष्ट्रभाषा के नाम का द्योतक है।

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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, हिंदी: व्युत्पत्ति और अर्थ से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

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