हिन्दी भाषा प्रयोग के विविध रूप हैं। कहीं तो यह क्षेत्रीय भाषा के रूप में प्रयोग की जाती हैं, तो कहीं परिष्कृत रूप में राजभाषा, प्रशासनिक भाषा, सम्पर्क भाषा आदि के रूप में हिन्दी भाषा के मानक रूप का प्रयोग किया जाता है। हिन्दी भाषा प्रयोग के विविध रूप निम्नलिखित है।
बोली
- किसी क्षेत्र विशेष में स्थानीय रूप से प्रयुक्त होने वाली साधारण बोलचाल की भाषा 'बोली' कहलाती है। 'बोली' में साहित्य का अभाव होता है। लोक-साहित्य की रचना 'बोली' में ही होती है। एक निश्चित बोली केवल अपने क्षेत्र तक ही सीमित होती है। बोली में देशज शब्दों का पर्याप्त प्रभाव रहता है।
- यदि आधुनिक आर्य भाषाओं में हिन्दी सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित भाषा है, तो इसकी बोलियाँ भी अपना एक विशिष्ट स्थान रखती हैं। हिन्दी की बोलियाँ विश्व की सभी भाषाओं से संख्या में बहुत अधिक हैं। संख्या में अधिक होने के पश्चात् भी इन बोलियों में पारस्परिक सम्बद्धता और साम्य देखने को मिलता है।
- सभी बोलियाँ एक-दूसरे की पूरक दिखाई देती हैं इनके बीच में कोई विभाजक रेखा नहीं है। व्याकरण, शब्द, ध्वनि, प्रकृति आदि के दृष्टिकोण से सभी बोलियाँ परस्पर समानता रखती हैं। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में ये सम्पूर्ण बोलियाँ अच्छी तरह से एक-दूसरे के द्वारा समझी जाती हैं।
मानक भाषा
- मानक भाषा, वह भाषा होती है, जिसका मानकीकरण किया गया हो। हिन्दी की अनेक बोलियाँ व उपबोलियाँ हैं, जिनमें खड़ी बोली को मानक हिन्दी नाम दिया गया है। इसी खड़ी बोली से हिन्दी में शिक्षा का प्रचार-प्रसार होता है। इस खड़ी बोली के अन्तर्गत अन्य क्षेत्रीय बोलियां समाविष्ट नहीं है।
- मानक का अर्थ होता है परिनिष्ठित, आदर्श या श्रेष्ठ भाषा के जिस रूप का व्यवहार शिक्षा, प्रशासनिक कार्यों, सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से उसमें उपस्थित विविध विषमताओं को दूर करके उसमें साम्यता लाकर एकरूप में किया जाता है, वही भाषा का मानक रूप होता है। किसी क्षेत्र की स्थानीय या आंचलिक बोली का शब्द भण्डार सीमित होता है तथा उसका कोई नियमित व्याकरण भी नहीं होता, जिसके कारण इसे आधिकारिक या व्यावहारिक भाषा का माध्यम नहीं बनाया जा सकता।
- भाषा का मानकीकरण एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण और अत्यावश्यक प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए, क्षेत्रीय भाषा के स्तर पर 'चाबी' को अनेक नामों से पुकारा जाता है; जैसे-कुंजी, खोलनी, चाभी आदि, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि पूरे हिन्दी प्रदेश में 'चाबी' को खोलनी या कुंजी कहा जाए और सभी को समझ आ जाए।
- इसलिए इस शब्द के यदि एक मानक रूप 'चाबी' को स्वीकृत किया जाए तो पूरा हिन्दी प्रदेश इसके प्रयोग को समझ जाएगा। इस प्रकार स्पष्ट है कि भाषा का मानकीकरण एक अनिवार्य प्रक्रिया होती है। एक आदर्श या मानक भाषा अपने आप में जीवन्त, स्वायत्त और ऐतिहासिक होती है।
सम्पर्क भाषा
- सम्पर्क भाषा वह भाषा है जो हमें अन्य लोगों के सम्पर्क में लाए। डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, वर्तमान में अंग्रेज़ी सम्पर्क भाषा का कार्य कर रही है, क्योंकि यदि हमें तमिल भाषा-भाषी व्यक्ति से सम्पर्क साधना है तो तमिल आनी चाहिए अन्यथा अंग्रेज़ी प्रत्येक जाति या देश की एक सम्पर्क भाषा होनी चाहिए।
- एक ऐसी भाषा जो उस देश में कहीं चले जाने पर काम आए अर्थात् जिसका व्यवहार देशव्यापी हो। भारत में हिन्दी सम्पर्क भाषा काफी लम्बे समय से रही है। दक्षिण से आकर मध्वाचार्य, वल्लभाचार्य, निम्बार्काचार्य और अन्य आचार्य सम्पूर्ण भारत में इसी भाषा के माध्यम से अपने धार्मिक विचारों का प्रचार करते रहे।
- दक्षिण के तीर्थों-तिरुपति, मदुरै, कन्याकुमारी और रामेश्वरम् तक उत्तर भारत के लोग जाते थे तो हिन्दी का उपयोग होता था। वर्तमान में रेडियो, टी. वी. सिनेमा, समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ हिन्दी का बेहतर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। सभी प्रदेशों के लोग हिन्दी प्रदेशों में आकर सरकारी/प्राइवेट नौकरी करते हैं तथा वे शीघ्र ही हिन्दी का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार हिन्दी का सम्पर्क भाषा रूप उज्ज्वल हो रहा है।
संचार माध्यम और हिन्दी
- रॉबर्ट एण्डरसन के अनुसार "वाणी, लेखन या संकेतों द्वारा विचारों, अभिमतों या सूचना का विविध विनिमय करना संचार कहलाता है।" संचार एक अर्थपूर्ण सन्देश है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से सूचना का आदान-प्रदान करता है। संचार से सूचनाओं का आदान-प्रदान होने के साथ-साथ हमारा जनसम्पर्क बढ़ता है।
- हम एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, सूचनाएँ अधिक होने पर व्यक्ति अत्यधिक ज्ञानवान व शक्तिशाली होता है। और वह अधिक-से-अधिक उच्च प्रस्थिति प्राप्त करता है। संचार के माध्यम हैं- रेडियो, टीवी, इण्टरनेट, फैक्स, समाचार-पत्र, पुस्तकें, पत्रिकाएँ, पोस्टर, पैम्फलेट, वीडियो ऑडियो, कैसेट, डीवीडी, सीडी, उपग्रह संचार आदि।
- इण्टरनेट का उपयोग आज प्रायः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। इस तकनीक का व्यापक उपयोग इलेक्ट्रॉनिक मेल के रूप में होता है। कम्प्यूटरों पर सन्देश टाइप करके इसे भेजने का कार्य इसके द्वारा ही सम्पन्न होता है। इण्टरनेट सेवा का सर्वाधिक लाभ व्यापारियों, उद्यमियों, चिकित्सकों, शिक्षकों तथा वैज्ञानिक संस्थाओं को हुआ है।
- उद्यमियों और व्यापारियों को घर बैठे ही अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार के रुख का पता चल जाता है। संचार के क्षेत्र में अत्याधुनिक संचार प्रणालियों का प्रयोग होने लगा है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सूचना और सन्देश कम समय में अत्यधिक लोगों तक पहुँचाए जा सकते हैं।
- आधुनिक संचार प्रणाली की उपयोगिता सरकारी प्रशासन से लेकर कम्पनी प्रबन्धन, विपणन, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, घरेलू आँकड़ों के प्रोसेसिंग आदि तक फैली हुई है।
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