(क) कबीरदास
- बहुत दिवस ते हिडिया, सुन्नि समाधि लगाइ। करहा पंडिया गाड़ में दूरि परा पछिताइ।
- माधो मैं ऐसा अपराधी तेरी भगति होत नहीं साधी
- तंत्र न जानूँ, मंत्र न जानू जानू सुन्दर काया।
- हरि रस पीया जानिए, जे कबहूँ न जाय खुमार। मैंमंता घूमत फिरे, नाही तन की सार जाय
- दसरथ सुत तिहुँ लोक बखाना। रामनाम का मरम है आना।
- तत्त्व मसि इनके उपदेसा। ई उपनीसद कहें संदेसा ॥
- गहना एक कनक ते गहना, न मह भाव न दूजा। कहन सुनन कोई दुई करि पापिन, इक मिजाज इक पूजा।
- दिन भर रोजा रहत हैं रात हनत हैं गाय, यह तो खून वह बंदगी, कैसे खुसी खुदाय॥
- नैया विच नदिया डूबति जाय। मुझको तँ क्या ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में ॥
- मसि कागज छुयाँ नहीं, कलम गौ नहि हाथ।
- तुम जिन जानो गीत है, यह निज ब्रह्म-विचार ।
- मैं कहता हूँ आखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
- हरि जननी मैं बालक तोरा
- सतगुरु हमसूँ रीझ कर, कह्या एक प्रसंग। बादर बरसा प्रेम का भीजी गया सब अंग॥
- हरि मोरा पिठ मैं हरि की बहुरिया
- माया महा उगनी हम जानी।
- जाति न पूछो साधु की पूछि लीजिए ज्ञान
- मोरि चुनरी में परि गयो दाग पिया।
- दुलहिन गावहु मंगल चारु। हमरे घर आये राजा राम भरतार
- संतो आई ज्ञान की आंधी।
- पूजा-सेवा-नेम व्रत, गुडियन का-सा खेल |
- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
- तरसै बिन बालम मोर जिया।
(ख) संत नामदेव
- सुफल जन्म मोको गुरु कोना। दुःख बिसार सुख अन्तर कौना। ज्ञान दान मोको गुरु दोना। राम नाम बिन जीवन होना ।
- धनि धनि मेधा रोमावली, धनि धनि कृष्ण ओढ़े काँवली। धनि धनि तू माता देवकी, जिह गृह रमैया कँवलापति॥
- माइ न होती, बाप न होते, कर्म्म न होता काया। हम नहि होते, तुम नहिं होते, कौन कहाँ ते आया॥
- हिन्दू पूजै देहरा, मुसलमान मसीद। नामा सेविया जहँ देहरा न मसीद॥
(ग) रैदास ( संत रविदास)
- जाके कुटुंब सब ढोर ढोवंत। फिरहि अजहुँ बानारसी आसपासा।। आचार सहित विप्र करहि डंडउति। तिन तिनै रविदास दासानुदास।
- ऐसी मेरी जाति विख्यात चमार।
- अब कैसे छूटै राम नाम रट लागि।
- प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी, जाकी अंग अंग वास समानी।
- जाति ओछा पाती ओछा, ओछा जनमु हमारा।
- मन चंगा तो कठौती में गंगा।
(घ) मलूकदास
- अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम , दास मलूका कह गए सबके दाता राम।
- नाम हमारा ख़ाक है, हम खाकी बन्दे। खाकहि से पैदा किये अति गाफिल गंदे।
(ड़) बाबा लाल
- देहा भीतर श्वास है, श्वास भीतर जीव। जीवे भीतर वासना, किसी विधि पाइयेपीव पीव।
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2021 के लिए पेपर -2 हिंदी, भक्तिकाल (संत कवियों की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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