Study Notes रीतिकाल: रीतिबद्ध कवि भाग १

By Mohit Choudhary|Updated : June 6th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का रीतिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का रीतिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। रीतिकाल (रीतिकाल की काव्य धाराएं) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।        

प्रमुख रीतिबद्ध कवियों का संक्षिप्त जीवन-वृत्त निम्नलिखित है:

कवि

जन्म-मृत्यु

जन्म स्थान

चिन्तामणि त्रिपाठी

1609-1685

तिकवांपुर

भूषण

1613-1715

तिकवांपुर

मतिराम

1617

तिकवांपुर

जसवंत सिंह

1626-1688 

मारवाड

सुखदेव मिश्र

 

कंपिला रायबरेली

तोष निधि

 

शृंगवेरपुर 

कुलपति मिश्र 

 

इटावा

देव (देवदत्त)

1673-1767

आगरा 

सैयद गुलामनबी 

1699-1750

बिलग्राम 

रसलीन

 

(हरदोई)

भिखारीदास

 

प्रतापगढ़

पदमाकर सिंह

1753-1833

बाँदा

चिन्तामणि त्रिपाठी

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने चिन्तामणि त्रिपाठी को रीतिकाव्य का प्रवर्तक माना है।
  • चिन्तामणि त्रिपाठी सिद्धान्ततः रसवादी आचार्य थे।
  • चिन्तामणि त्रिपाठी के सहोदर मतिराम, भूषण और जटाशंकर त्रिपाठी थे।

भूषण

  • भूषण वीर रस के कवि हैं। चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्र ने इन्हें 'कवि भूषण' की उपाधि दी थी।
  • डॉ० गणपतिचन्द्र गुप्त ने भूषण का मूल नाम 'पतिराम या मनीराम' बताया है।
  • आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इनका मूल नाम 'घनश्याम' बताया है
  • महाराज छत्रसाल ने एक बार भूषण की पालकी को कन्धा लगाया था, जिस पर भूषण ने कहा था- "सिवा को बखानौ कि बखानौ छत्रसाल को। "
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है-" भूषण के वीर रस के उद्गार सारी जनता के हृदय की सम्पति हुए। ""शिवाजी और छत्रसाल की वीरता के वर्णनों को कोई कवियों की झूठी खुशामद नहीं कह सकता।" वे हिन्दू जाति के प्रतिनिधि कवि हैं।

मतिराम

  • मतिराम चिन्तामणि त्रिपाठी और भूषण के सहोदर माने जाते हैं। 
  • मतिराम ने अपने ग्रन्थों को अपने आश्रयदाताओं को समर्पित किया है। 
  • आचार्य शुक्ल ने 'वृत कौमुदी' या 'छंद सार को महाराज शंभुनाथ सोलंकी के लिए लिखा गया माना है।
  • मतिराम का प्रथम ग्रन्थ फूल मंजरी है। किन्तु डॉ० बच्चन सिंह ने 'रसराज' को ही प्रथम ग्रन्थ माना है।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है, "मतिराम की सी रस स्निग्ध और प्रसाद पूर्ण भाषा रीति का अनुसरण करने वालों में बहुत ही कम मिलती है।" 

जसवंत सिंह

  • जसवंत सिंह हिन्दी साहित्य के प्रधान आचार्य या शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। जसवंत सिंह ने साहित्यिक और आध्यात्मिक दो प्रकार की रचनाएँ लिखी हैं जो निम्नांकित हैं: 
  • ग्रन्थ
  1. भाषा भूषण
  2. प्रबोध चन्द्रोदय 
  3. अपरोक्ष सिद्धान्त
  4. अनुभव प्रकाश
  5. आनन्द विलास
  6. सिद्धान्त बोध
  7. सिद्धान्त सार

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, रीतिकाल (रीतिबद्ध कवि) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you

Team BYJU'S Exam Prep.

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