Study Notes सूफी कवियों की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ

By Sakshi Ojha|Updated : September 17th, 2021

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का भक्तिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। भक्तिकाल (सूफी कवियों की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2021 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे। 

(अ) कुतुबन

(1) रूकमिनि पुनि वैसहि मरि गई। कुलवंती सत सों सति भई ॥ 

बाहर वह भीतर वह होई। घर बाहर को रहै न जोई || 

विधि कर चरित न जानै आनू। जो सिरजा सो जाहि नियानू ॥ 

(ब) मंझन

(1) देखत ही पहिचानेउ तोहीं। एही रूप जेहि छँदर्यों मोही॥ 

एही रूप बुत अहै छपाना। एही रूप रब सृष्टि समाना॥

एही रूप सकती और सीऊ। एही रूप त्रिभुवन कर जीऊ॥ 

एही रूप प्रकटे बहु भेसा। एही रूप जग रंक नरेसा॥

(2) रतन की सागर सागरहि, जगमोती जग को

चंदन की बन बन उपजै बिरह की तन तन होई ?

(स) मलिक मुहम्मद जायसी

(1) विक्रम धँसा प्रेम के बारा सपनावती कहें गयठ पतारा ।।

(2) आदि अंत जसि कथ्था अहै। लिखि भाषा चौपाई कहै। 

(3) औ मन जानि कवित्त अस कीन्हा। मकु यह रहे जगत मह चीन्हा॥

(4) प्रेम कथा एहि भाँति विचारहु । बुझि लेउ जो बूझै पारहु ॥

(5) सरवर तीर पद्मिनि आई। खोंपा छोरि केस मुकलाई ॥ 

(6) बरूनिवान अस ओपहँ, बेधे रन बन दाख सौजहि न सब रोवाँ, पंखिहि तन सब पाँख ॥ 

(7) मानुस प्रेम भयठ बैकुंठी। नाहित काह छार भई मृठी ॥ 

(10) छार उठाय लीन्ह एक मूँठी। दीन्ह उड़ाइ पिरिथिमी झूठी ॥

(11) मुहमद जीवन जल भरन रहट घरी के रीति । घरी सो आई ज्यों भरी ढरी जनम गा नीति ।।

(12) होतहि दरस परस भा लोना। धरती सरग भयउ सब सोना।

(14) पिउ सो कहहु संदेसड़ा हे भाँरा हे काग! सो धनि विरहे जरि मुई तेहिक धुँआ हम लाग

(15) जौहर भइ इस्तिरी पुरुष गये संग्राम। पातसाहि गढ़ चूरा, चितउर भा इस्लाम ॥

(16) नवन जो देखा कँवल भा निरमल नीर सरीर। हँसत जो देखा हंस भा, दसन जोति नग हीर।

(17) फिर फिर रोइ कोई नहीं बोला। आधी रात विहंगम बोला

(18) बरसै मघा झँकोरी झॅकोरी। मोर दोउ नयन चुवइ जनु ओरी ॥ 

(19) मुहम्मद कवि कहि जोरि सुनावा। सुना जो प्रेम पीर गा पावा।।

(20) जे मुख देखा तेई हँसा सुना तो आये आसु ॥

(21) कवि विआस रस कँवला पूरी दूरिहि निअर निअर भा दूरी ॥

(22) जेहि के बोल बिरह के धाया। कहु केहि भूख कहाँ ते छाया ||

(23) भयउँ बिरह जलि कोइलि कारी डार डार जो कूकि पुकारी ॥ 

(24) प्रेम पहार कठिन विधि गढ़ा। सो पे चढि जो सिर सौ चढा॥ पंथ सूरि कर उठा अंकूरू। चोर चढ़ की चढ़ मंसूरू ॥

विविध

  • सूफो कवियों ने 'परमात्मा' को 'स्त्री' तथा 'आत्मा' को 'पुरुष' रूप में स्वीकार किया जबकि संत कवियों ने इसके विपरीत साधना की। 
  • सूफी कवियों की प्रेम-पद्धति में 'इश्क मजाजी' (लौकिक प्रेम) से 'इश्क हकीकी' (अलौकिक प्रेम) तक पहुँचने की कोशिश है। 
  • सूफी सिद्धान्त में 'इश्क हकीकी' तक पहुँचने के लिए साधक को निम्नलिखित चरण एवं अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है :

मनुष्य के चार विभाग

चार जगत

साधक की चार अवस्था

नफ्स (विषय भोगवृत्ति रूह (आत्मा या चित्त) इन्द्रिय)

आमलेनासूत (भौतिक)

शरीअत ( धमग्रन्थों का विधि निषेध)

रूह (आत्मा)

आमले मलकूत (चित्त जगत)

तरीकत (हृदय की शुद्धता)

कल्ब (हृदय)

आमलेजबरूत (आनंदमय जगत)

हकीकत (भक्ति उपासना से सत्यबोध)

अक्ल (बुद्धि)

आमले लाहत (ब्रह्म जगत)

मारफत (सिद्धावस्था या आत्मा-परमात्मा मिलन)

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2021 के लिए पेपर -2 हिंदी, भक्तिकाल (सूफी कवियों की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

 

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