- भारत में सूफी धर्म का प्रचार-प्रसार १२वीं शताब्दी में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने किआ था।
- 'सूफी' दर्शन को 'तसव्वुफ' कहते हैं।
- 'सूफी' शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में निम्नलिखित मत है :
मूल शब्द | अर्थ |
सूफ | ऊन |
सफ | पंक्ति |
सूफा | चबूतरा |
सोफिया | विद्या |
सफा | पवित्र, निर्मल |
- सूफी या प्रेममार्गी शाखा के प्रथम कवि और प्रस्तोता निम्न हैं :
प्रस्तोता | रचना | वर्ष ई० | रचनाकार कवि |
गणपतिचन्द्र गुप्त | हंसावली | 1370 | असाइत |
रामकुमार वर्मा | चंदायन | 1379 | मुल्ला दाऊद |
हजारी प्रसाद द्विवेदी | सत्यवती कथा | 1501 | ईश्वरदास |
रामचन्द्र शुक्ल | मृगावती | 1501 | कुतुबन |
- असाइत कृत 'हंसावली' का रचना स्त्रोत विक्रम बैताल की कथा है।
- इसमें पाटण की राजकुमारी हंसावली की कहानी है।
- रामकुमार वर्मा ने मुल्ला दाऊद को अपने इतिहास ग्रन्थ में संधिकाल के अन्तर्गत रखा है।
- डॉ० माता प्रसाद गुप्त ने 'चंदायन' को 'लौर कहा' या 'लोर कथा' नाम से अभिहित किया है।
- सत्रहवीं शती के मध्य संख्या की दृष्टि से सर्वाधिक प्रेमाख्यानकों की रचना ज कवि ने की है जिनका रचना काल 1612-1664 ई० माना जाता है।
- जान कवि ने 78 ग्रन्थों की रचना की थी, जिसमें 29 प्रेमाख्यानक है। इनमें से प्रमुख हैं- (1) कथा रतनावली, (2) कथा कनकावती, (3) कथा मोहिनी, (4) कथा कंवलावती, (5) कथा नल दमयंती (6) कथा कलावन्ती, (7) कथा रूपमंजरी (8) कथा पिजरषा साहिजा दैवा देवलदे, (9) कथाकलन्दर, (10) ग्रन्थ लेखे मंजतू
- जान कवि प्रथम हिन्दी कवि हैं जिन्होंने फारसी के लैला-मजनू आख्यान को लेकर "लै लै मंजनूं” काव्य की रचना की है। जान कवि की भाषा राजस्थानी प्रभावित ब्रजभाषा है।
- दामोदर कवि ने अपनी रचना 'लखनसेन पद्मावती कथा' को 'वीर कथा' कहा है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ईश्वरदास कृत 'सत्यवती कथा' को भक्तिकाल के किसी धारा में स्थान नहीं दिया।
- 'मृगावती' के रचयिता कुतुबन चिश्ती वंश के शेखबुरहान के शिष्य थे और जौनपुर के बादशाह हुसैन शाह के आश्रित कवि थे।
- 'मृगावती' में चन्द्रनगर के गणपति देव के राजकुमार और कंचनपुर की रानी रूपमुरारि की कन्या 'मृगावती' की प्रेमकथा का वर्णन है।
- मंझन कृत 'मधुमालती' हिन्दी का प्रथम प्रेमाख्यानक काव्य है जिसमें बहुपत्नीवाद का सर्वथा अभाव है।
- 'मधुमालती' में नायक 'मनोहर' और महारस नगर की राजकुमारी 'मधु मालती' की प्रेम कथा के अनन्तर प्रेमा और ताराचंद की भी प्रेमकथा समानान्तर रूप से चलती है।
- बनारसीदास ने अपनी आत्मकथा 'अर्ध कथानक' में दो प्रेमाख्यानक- मृगावती और मधु मालती का उल्लेख किया है।
- सन् 1643 (सं० 1700) में दक्षिण के शायर नसरती ने 'मधुमालती' के आधारपर दक्खिनी उर्दू में 'गुलशने इश्क' के नाम से एक प्रेमकथा लिखी।
हिंदी के प्रमुख सूफी कवि और काव्य निम्नांकित हैं :
कवि | रचना/काव्य | वर्ष (ई०) | प्रयुक्त भाषा |
असाइत | हंसावली | 1370 | राजस्थानी |
मुल्ला दाऊद | चंदायन | 1379 | अवधी |
दामोदर कवि | लखमसेन पदमावती कथा | 1459 | राजस्थानी |
ईश्वरदास | सत्यवती कथा | 1501 | अवधी |
कुतुबन | मृगावती | 1501 | अवधी |
गणपति | माधवानल कामकंदला | 1527 | राजस्थानी |
जायसी | पद्मावत | 1540 | अवधी |
मंझन | मधुमालती | 1545 | अवधी |
कुशललाभ | माधवानल कामकंदला | 1556 | राजस्थानी |
जटमल | प्रेमविलास प्रेमलता की कथा | 1556 | राजस्थानी |
नंददास | रूपमंजरी | 1568 | ब्रजभाषा |
आलम | माधवानल कामकंदला | 1584 | अवधी |
नारायणदास | छिताई वार्ता | 1590 | राजस्थानी |
उसमान | चित्रावली | 1613 | ब्रजभाषा |
पुहकर | रस रतन | 1618 | अवधी |
शेख नवी | ज्ञानदीप | 1619 | अवधी |
नरपति व्यास | नल-दमयंती | 1625 | अवधी |
कासिम शाह | हंस जवाहिर | 1731 | अवधी |
मुकुंद सिंह | नलचरित्र | 1641 | अवधी |
नूर मुहम्मद | इंद्रावती | 1744 | अवधी |
नूर मुहम्मद | अनुराग बाँसुरी | 1764 | अवधी |
- जायसी कृत 'पद्मावत' में कुल 57 खण्ड है और इनका प्रिय अलंकार 'उत्प्रेक्षा' है।
- मलिक मुहम्मद जायसी ने अपने पूर्व लिखे गये चार प्रेमाख्यानकों का उल्लेख किया है- (1) मधुमालती, (2) मृगावती (3) मुग्धावती और (4) प्रेमावती।
- जायसी प्रसिद्ध सुफी फकीर शेख मोहिदी (महीउद्दीन) के शिष्य थे और शेरशाह के समकालीन कवि थे तथा अमेठी के निकट जायस में रहते थे।
जायसी द्वारा रचित महत्वपूर्ण ग्रन्थ और उनके विषय में निम्न हैं :
रचना | विषय |
पद्मावत | नागमती, पद्मावती और रत्नसेन की प्रेम कहानी है। वर्णमाला के एक-एक अक्षर को लेकर सिद्धान्त सम्बन्धी तत्वों से भरी चौपाई है। |
अखरावट | वर्णमाला के एक एक अक्षर को लेकर सिद्धांत्त सम्बन्धी तत्वों भरी चौपाई। |
आखरी कलाम | आखिरी कलाम कयामत का वर्णन तथा मुगल बादशाह बाबर की प्रशंसा है। |
चित्ररेखा | लघु प्रेमाख्यानक |
कहरानामा | आध्यात्मिक विवाह का वर्णन है। यह कहरवा शैली में लिखी है। |
मसलानामा | ईश्वर भक्ति के प्रति प्रेम निवेदन है। |
कन्हावत | ____ |
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने जायसी के द्वारा रचित तीन ग्रन्थों-(1) पद्मावत, (2) अखरावट तथा (3) आखिरी कलाम का ही उल्लेख किया है।
- आचार्य शुक्ल के अनुसार 'पद्मावत' की कथा का पूर्वार्द्ध 'कल्पित और उत्तरार्द्ध का 'ऐतिहासिक' है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है, "कबीर ने केवल भिन्न प्रतीत होती हुई परीक्ष सत्ता की एकता का आभास दिया था। प्रत्यक्ष जीवन की एकता का दृश्य सामने रखने की आवश्यकता बनी थी। यह जायसी द्वारा पूरी हुई।"
पद्मावत में प्रयुक्त प्रतीकार्थ निम्न है :
पद्मावत | प्रतीकार्थ |
रत्नसेन | मन (आत्मा) |
सिंहल | हृदय |
पद्मावती | श्रद्धा या सात्विक बुद्धि (परमात्मा) |
सुवा या हीरामन तोता | गुरु |
नागमती | दुनिया धंधा या सांसारिक बुद्धि |
राघव चेतन | शैतान |
अलाउद्दीन | माया |
- विजयदेव नारायण साही ने 'पद्मावत' को हिन्दी में अपने ढंग की अकेली ट्रेजिक कृति कहा है।
- 'पद्मावत' का 'नागमती वियोग खण्ड' हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि है। प्रेमाख्यानक काव्यों में पाँच चौपाई के बाद एक दोहा देने की परम्परा निम्नांकित कृतियों में पायी जाती है :
(1) मृगावती, (2) मधुमालती, (3) इन्द्रावती (4) सत्यवती कथा, (5) चंदायन, (6) आलमकृत माधवानल कामकंदला में।
- प्रेमाख्यानक काव्यों में सात चौपाई के बाद एक दोहा देने की परम्परा निम्नांकित कृतियों में पायी जाती है : (1) पद्मावत, (2) चित्रावली । सूफी कवि उसमान चिश्ती वंश परम्परा में हाजीबाबा' के शिष्य थे और बादशाह जहाँगीर के समकालीन थे।
- उसमान कृत 'चित्रावली' में नेपाल के राजकुमार 'सुजान' और रूपनगर की राजकुमारी 'चित्रावली' की प्रेमकथा का वर्णन है।
- 'चित्रावली' में अंग्रेजों के द्वीप का भी वर्णन किया गया है।
- नूर मुहम्मद दिल्ली के बादशाह मुहम्मदशाह के समकालीन थे। नूर मुहम्मद ने फारसी भाषा में 'रौजतुल हकायक' नामक ग्रन्थ की रचना की।
- नूर मुहम्मद कृत 'इंद्रावती' में कालिजर के राजकुमार राजकुँवर और आरामपुर की राजकुमारी इंद्रावती की प्रेम कहानी है।
- आचार्य शुक्ल ने नूर मुहम्मद कृत 'अनुराग बासुरी' को निम्न विशेषताओं का उल्लेख किया है :
(1) इसकी भाषा सूफी रचनाओं में बहुत अधिक संस्कृतगर्भित है।
(2) हिन्दी भाषा के प्रति मुसलमानों का भाव।
(3) शरीर, जीवात्मा और मनोवृत्तियों को लेकर पूरा अध्यवसित रूपक (एलेगरी) खड़ा करके कहानी बाँधी है।
(4) चौपाइयों के बीच-बीच में इन्होंने दोहे न लिखकर बरखे रखे हैं।
- आचार्य शुक्ल ने नूर मुहम्मद कृत 'इन्द्रावती' को सूफी आख्यान काव्यों को अखण्डित परम्परा की समाप्ति माना है।
- आचार्य शुक्ल ने सूफी या प्रेममार्गी शाखा का एकमात्र हिन्दू कवि सूरदास नामक एक पंजाबी को माना है जो शाहजहाँ का समकालीन था तथा 'नल-दमयंती' नामक प्रेम कथा लिखी।
महत्वपूर्ण प्रेमाख्यानक काव्य और उसके नायक-नायिका निम्न हैं :
काव्य | नायक-नायिका |
चन्दायन | लोर (लोरिक) चन्दा |
सत्यवती कथा | राजकुमारी सत्यवती और राजकुमार ऋतुपर्ण |
मृगावती | राजकुमार - मृगावती |
पद्मावत | रत्नसेन- पदमावती और पत्नी नागमती |
मधुमालती | मधुमालती- मनोहर और प्रेमा -ताराचन्द |
माधवानल कामकंदला | कामकंदला माधव |
रूपमंजरी | विवाहिता रूपमंजरी - कृष्ण |
रतनसेन | रम्भा-सोमा |
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, भक्तिकाल (निर्गुण धारा- प्रेमाश्रयी शाखा) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
Thank you
Team BYJU'S Exam Prep.
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