Day 4: Study Notes आदिकालीन रचनाओं की सूची एवं महत्वपूर्ण पंक्तियाँ

By Mohit Choudhary|Updated : August 25th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का आदिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का आदिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। आदिकालीन साहित्य के अंतर्गत सिद्ध साहित्य, जैन साहित्य, नाथ साहित्य और रासो साहित्य आदि की रचना हुई। आदिकालीन रचनाओं की क्रमवार सूची एवं महत्वपूर्ण पंक्तियाँ इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे। 

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  • आदिकालीन साहित्यिक रचनाएँ एवं रचनाकार  

काव्य ग्रंथ 

रचयिता 

काव्य प्रकार 

दोहाकोश 

सरहपा 

सिद्ध साहित्य 

चर्यापद 

शबरपा 

सिद्ध साहित्य 

डोम्भिगीतिका, योगचर्या 

डोम्भिपा 

सिद्ध साहित्य 

बीसलदेव रासो (12वीं शताब्दी)

नरपति नाल्ह

रासो काव्य

पृथ्वीराज रासो (12वीं शताब्दी)

चन्दबरदाई

रासो काव्य

हम्मीर रासो (12वीं शताब्दी)

शारंगधर

रासो काव्य

विजयपाल रासो (11वीं शताब्दी)

नल्लसिंह

रासो काव्य

खुमाण रासो (9वीं शताब्दी)

दलपति विजय 

रासो काव्य

परमालरासो

जगनिक 

रासो काव्य

श्रावकाचार 

देवसन 

जैन साहित्य 

भरतेश्वर बाहुबली रास

शालिभद्र सूरी 

रास काव्य (जैन साहित्य)

बुद्धि रास 

शालिभद्र सूरी 

रास काव्य (जैन साहित्य)

स्थूलिभद्र रास 

जिनधर्म सूरी 

रास काव्य (जैन साहित्य)

जीव दया रास 

आसगु 

रास काव्य (जैन साहित्य)

चंदनबाला रास 

आसगु 

रास काव्य (जैन साहित्य)

रेवंतगिरी रास 

विजयसेन सूरी 

रास काव्य (जैन साहित्य)

नेमिनाथ रास

सुमति गुणि

रास काव्य (जैन साहित्य)

पंचपांडव रचित रास

शालिभद्र सूरी

रास काव्य (जैन साहित्य)

विद्यापति पदावली (१४वीं शताब्दी)

विद्यापति 

 

खुसरो की पहेलियाँ (१४वीं शताब्दी)

अमीर खुसरो 

 

ढोलामारु रा दूहा (११वीं शताब्दी)

कुशलराय 

 

जयचंद प्रकाश (१२वीं शताब्दी)

भट्टकेदार 

 

जयमयंक जसचन्द्रिका (१२वीं शताब्दी)

मधुकर कवि 

 

राउलवेल (१०वीं शताब्दी)

रोडा 

 

वर्णरत्नाकर 

ज्योतिश्वर ठाकुर 

 

  • आदिकालीन अपभ्रंश रचनाएँ एवं रचनाकार

रचनाएं 

रचनाकार 

शताब्दी 

परमात्मप्रकाश 

जोइन्दु

छठी शताब्दी

योगसागर

जोइन्दु

छठी शताब्दी

पउमचरिउ 

स्वयंभू

८वीं शताब्दी

रिट्ठणेमि चरिउ

स्वयंभू

८वीं शताब्दी

नागकुमारचरिउ

स्वयंभू

८वीं शताब्दी

महापुराण

पुष्पदंत

१०वीं शताब्दी

भविष्यतकहा

धनपाल

१०वीं शताब्दी

पाहुडदोहा

रामसिंह

११वीं  शताब्दी 

उपदेश रसायन रास 

जिनिदत्त सूरी 

१२वीं शताब्दी 

सन्देश रसक 

अब्दुर्रहमान 

१२वीं शताब्दी 

प्राकृत पैंगलम 

विद्याधर शाङ्गधर 

 

शब्दानुशासन 

हेमचंद 

सम्वत ११५० 

कुमारपाल प्रतिबोध 

सोमप्रभ सूरी 

सम्वत १२४१ 

आदिकालीन महत्वपूर्ण पंक्तियाँ

विद्यापति 

(क) कीर्तिलता से

  • देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा ॥
  • रज्ज लुद्ध असलान बुद्धि बिक्कम बले हारल। पास बइसि बिसवासि राय गयनेसर मारल॥
  • हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरुका भभकी मार ॥
  • जइ सुरसा होसइ मम भाषा। जो जो बुन्झिहिसो करिहि पसंसा॥
  • जाति अजाति विवाह अधम उत्तम का पारक।
  • पुरुष कहाणी हौं कहौं जसु पंत्थावै पुन्नु।

(ख) पदावली से

  • खने खने नयन कोन अनुसरई। खने खने वसत धूलि तनु भरई॥
  • सुधामुख के विहि निरमल बाल अपरूप रूप मनोभव-मंगल, त्रिभुवन विजयी माला ॥
  • सरस बसंत समय भला पावलि दछिन पवन वह धीरे, सपनहु रूप बचन इक भाषिय मुख से दूरि करु चीरे ॥

अमीर खुसरो 

(क) पहेलियाँ

  • एक थाल मोती से भरा। सबके सिर पर औंधा धरा॥ चारों ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे ॥ (आकाश)
  • एक नार ने अचरज किया सौंप मारि पिजड़े में दिया। जो जो सांप ताल को खाए। सूखे ताल साप मर जाए (दिया बत्ती)
  • एक नार दो को ले बैठी। टेढी होके बिल में पैठी ॥  जिसके बैठे उसे सुहाय खुसरो उसके बल बल जाय ॥ (पायजामा) 
  • अरथ ते इसका बूझेगा मुँह देखो तो सूझेगा ॥" (दर्पण)

(ख) ब्रजभाषा रूप

  • चूक भई कुछ बासों ऐसी देस छोड़ भयो परदेसी ॥ 
  • एक नार पिया को भानी। तन वाको सरगा ज्यों पानी ॥ 
  • चाम मास वाके नहि नेक हाड़ हाड़ में वाके छेद ॥  मोहि अचंभों आवत ऐसे वामें जीव बसत है कैसे || 

(ग) दोहे और गीत ब्रजभाषा में

  • उज्जल बरन, अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान। देखत में तो साधु हैं, निपट पाप की खान।

गोरखनाथ 

(क) छंद 

  • अंजन मांहि निरंजन भेदया, तिल मुख भेट्या तेलं। मूरति मांहि अमूरति परस्या भया निरंतरि खेलं ॥
  • नाथ बोले अमृतवाणी वरिषैगी कवली पांणी ॥
  • जोइ-जोइ पिण्डे सोई-ब्रह्माण्डे
  • अवधू मन चंगा तो कठौती में गंगा
  • अवधू रहिया हाटे बाटे रूप विरष की छाया।  तजिबा काम क्रोध लोभ मोह संसार की माया ॥
  • नौ लख पातरि आगे नाचें, पीछे सहज अखाड़ा। ऐसे मन लौ जोगी खेलै, तब अंतरि बसै भंडारा।।

कुक्कीरपा 

(क) छंद 

  • हाउनिवासी खमण भतारे, मोहारे बिगोआकहण न जाइ।
  • ससुरी निंद गेल, बहुड़ी जागअ

पृथ्वीराज रासो 

  • राजनीति पाइयै। ग्यान पाइयै सु जानिय॥ उकति जुगति पाइयै अरथ घटि बढ़ि उनमानिया ॥
  • उक्ति धर्म विशालस्य राजनीति नवरसं॥ खट भाषा पुराणं च । कुरानं कथितं मया ॥ 
  • कुट्टिल केस सुदेस पोह परिचिटात पिक्क सद। कमलगंध बटासंध हंसगति चलित मंद मंद ॥ "
  • रघुनाथ चरित हनुमंत कृत, भूप भोज उद्धरिय जिमि। पृथ्वीराज सुजस कवि चंद कृत, चंद नंद उद्धरिय तिमि ॥

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हमें आशा है आदिकालीन रचनाओं की क्रमवार सूची एवं महत्वपूर्ण पंक्तियों की ये सूची के लिए सहायक साबित होगी। 

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