- आदिकालीन साहित्यिक रचनाएँ एवं रचनाकार
काव्य ग्रंथ | रचयिता | काव्य प्रकार |
दोहाकोश | सरहपा | सिद्ध साहित्य |
चर्यापद | शबरपा | सिद्ध साहित्य |
डोम्भिगीतिका, योगचर्या | डोम्भिपा | सिद्ध साहित्य |
बीसलदेव रासो (12वीं शताब्दी) | नरपति नाल्ह | रासो काव्य |
पृथ्वीराज रासो (12वीं शताब्दी) | चन्दबरदाई | रासो काव्य |
हम्मीर रासो (12वीं शताब्दी) | शारंगधर | रासो काव्य |
विजयपाल रासो (11वीं शताब्दी) | नल्लसिंह | रासो काव्य |
खुमाण रासो (9वीं शताब्दी) | दलपति विजय | रासो काव्य |
परमालरासो | जगनिक | रासो काव्य |
श्रावकाचार | देवसन | जैन साहित्य |
भरतेश्वर बाहुबली रास | शालिभद्र सूरी | रास काव्य (जैन साहित्य) |
बुद्धि रास | शालिभद्र सूरी | रास काव्य (जैन साहित्य) |
स्थूलिभद्र रास | जिनधर्म सूरी | रास काव्य (जैन साहित्य) |
जीव दया रास | आसगु | रास काव्य (जैन साहित्य) |
चंदनबाला रास | आसगु | रास काव्य (जैन साहित्य) |
रेवंतगिरी रास | विजयसेन सूरी | रास काव्य (जैन साहित्य) |
नेमिनाथ रास | सुमति गुणि | रास काव्य (जैन साहित्य) |
पंचपांडव रचित रास | शालिभद्र सूरी | रास काव्य (जैन साहित्य) |
विद्यापति पदावली (१४वीं शताब्दी) | विद्यापति |
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खुसरो की पहेलियाँ (१४वीं शताब्दी) | अमीर खुसरो |
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ढोलामारु रा दूहा (११वीं शताब्दी) | कुशलराय |
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जयचंद प्रकाश (१२वीं शताब्दी) | भट्टकेदार |
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जयमयंक जसचन्द्रिका (१२वीं शताब्दी) | मधुकर कवि |
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राउलवेल (१०वीं शताब्दी) | रोडा |
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वर्णरत्नाकर | ज्योतिश्वर ठाकुर |
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- आदिकालीन अपभ्रंश रचनाएँ एवं रचनाकार
रचनाएं | रचनाकार | शताब्दी |
परमात्मप्रकाश | जोइन्दु | छठी शताब्दी |
योगसागर | जोइन्दु | छठी शताब्दी |
पउमचरिउ | स्वयंभू | ८वीं शताब्दी |
रिट्ठणेमि चरिउ | स्वयंभू | ८वीं शताब्दी |
नागकुमारचरिउ | स्वयंभू | ८वीं शताब्दी |
महापुराण | पुष्पदंत | १०वीं शताब्दी |
भविष्यतकहा | धनपाल | १०वीं शताब्दी |
पाहुडदोहा | रामसिंह | ११वीं शताब्दी |
उपदेश रसायन रास | जिनिदत्त सूरी | १२वीं शताब्दी |
सन्देश रसक | अब्दुर्रहमान | १२वीं शताब्दी |
प्राकृत पैंगलम | विद्याधर शाङ्गधर |
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शब्दानुशासन | हेमचंद | सम्वत ११५० |
कुमारपाल प्रतिबोध | सोमप्रभ सूरी | सम्वत १२४१ |
आदिकालीन महत्वपूर्ण पंक्तियाँ
विद्यापति
(क) कीर्तिलता से
- देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा ॥
- रज्ज लुद्ध असलान बुद्धि बिक्कम बले हारल। पास बइसि बिसवासि राय गयनेसर मारल॥
- हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरुका भभकी मार ॥
- जइ सुरसा होसइ मम भाषा। जो जो बुन्झिहिसो करिहि पसंसा॥
- जाति अजाति विवाह अधम उत्तम का पारक।
- पुरुष कहाणी हौं कहौं जसु पंत्थावै पुन्नु।
(ख) पदावली से
- खने खने नयन कोन अनुसरई। खने खने वसत धूलि तनु भरई॥
- सुधामुख के विहि निरमल बाल अपरूप रूप मनोभव-मंगल, त्रिभुवन विजयी माला ॥
- सरस बसंत समय भला पावलि दछिन पवन वह धीरे, सपनहु रूप बचन इक भाषिय मुख से दूरि करु चीरे ॥
अमीर खुसरो
(क) पहेलियाँ
- एक थाल मोती से भरा। सबके सिर पर औंधा धरा॥ चारों ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे ॥ (आकाश)
- एक नार ने अचरज किया सौंप मारि पिजड़े में दिया। जो जो सांप ताल को खाए। सूखे ताल साप मर जाए (दिया बत्ती)
- एक नार दो को ले बैठी। टेढी होके बिल में पैठी ॥ जिसके बैठे उसे सुहाय खुसरो उसके बल बल जाय ॥ (पायजामा)
- अरथ ते इसका बूझेगा मुँह देखो तो सूझेगा ॥" (दर्पण)
(ख) ब्रजभाषा रूप
- चूक भई कुछ बासों ऐसी देस छोड़ भयो परदेसी ॥
- एक नार पिया को भानी। तन वाको सरगा ज्यों पानी ॥
- चाम मास वाके नहि नेक हाड़ हाड़ में वाके छेद ॥ मोहि अचंभों आवत ऐसे वामें जीव बसत है कैसे ||
(ग) दोहे और गीत ब्रजभाषा में
- उज्जल बरन, अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान। देखत में तो साधु हैं, निपट पाप की खान।
गोरखनाथ
(क) छंद
- अंजन मांहि निरंजन भेदया, तिल मुख भेट्या तेलं। मूरति मांहि अमूरति परस्या भया निरंतरि खेलं ॥
- नाथ बोले अमृतवाणी वरिषैगी कवली पांणी ॥
- जोइ-जोइ पिण्डे सोई-ब्रह्माण्डे
- अवधू मन चंगा तो कठौती में गंगा
- अवधू रहिया हाटे बाटे रूप विरष की छाया। तजिबा काम क्रोध लोभ मोह संसार की माया ॥
- नौ लख पातरि आगे नाचें, पीछे सहज अखाड़ा। ऐसे मन लौ जोगी खेलै, तब अंतरि बसै भंडारा।।
कुक्कीरपा
(क) छंद
- हाउनिवासी खमण भतारे, मोहारे बिगोआकहण न जाइ।
- ससुरी निंद गेल, बहुड़ी जागअ
पृथ्वीराज रासो
- राजनीति पाइयै। ग्यान पाइयै सु जानिय॥ उकति जुगति पाइयै अरथ घटि बढ़ि उनमानिया ॥
- उक्ति धर्म विशालस्य राजनीति नवरसं॥ खट भाषा पुराणं च । कुरानं कथितं मया ॥
- कुट्टिल केस सुदेस पोह परिचिटात पिक्क सद। कमलगंध बटासंध हंसगति चलित मंद मंद ॥ "
- रघुनाथ चरित हनुमंत कृत, भूप भोज उद्धरिय जिमि। पृथ्वीराज सुजस कवि चंद कृत, चंद नंद उद्धरिय तिमि ॥
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हमें आशा है आदिकालीन रचनाओं की क्रमवार सूची एवं महत्वपूर्ण पंक्तियों की ये सूची के लिए सहायक साबित होगी।
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