Study Notes भक्तिकाल की अन्य काव्य प्रवृत्तियाँ एवं कवि

By Sakshi Ojha|Updated : October 21st, 2021

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का भक्तिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। भक्तिकाल (भक्तिकाल की अन्य काव्य प्रवृत्तियाँ एवं कवि) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2021 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे। 

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का भक्तिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। भक्तिकाल (भक्तिकाल की अन्य काव्य प्रवृत्तियाँ एवं कवि) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2021 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे। 

(क) वीर-काव्य 

  • सं १४५४ में श्रीधर कृत ‘रणमल्ल छंद’ डिंगल में ऐतिहासिक चरित काव्य का प्रथम ग्रन्थ है।  
  • 'रणमल्लछंद' में इंडर के राजा रणमल्ल राठौर और पाटण के सूबेदार जफर खाँ के युद्ध का वर्णन 70 छन्दों में निबद्ध है।
  • भक्तिकाल के अन्य वीर काव्य और कवि निम्नलिखित हैं :-

ग्रन्थ

कवि

वर्ष (ई०)

विषय

विजयपाल रासो

नल्ह सिंह

1543

विजयपाल और पेंग का युद्ध वर्णन

राउ जैतसी रासो

 

1543

राव जैतसी और कामरान का युद्ध वर्णन

विरुद छिहत्तरी

दुरसाजी आढा

 

महाराणा प्रताप का यशोगान

राणा रासो

दयाराम

1624

सीसोदिया कुल के राजाओं का वर्णन 

रतन रासो

कुम्भकर्ण

1624

रतलाम के महाराज रतन सिंह का प्रशस्ति वर्णन

क्याम खा रासो

न्यामत खाजान

1634

क्याम खाँ चौहान के वंशजों का युद्ध वर्णन

(ख) प्रबन्धात्मक चरित काव्य

  • सन् 1354 ई० में जैन कवि सुधारु अग्रवाल द्वारा रचित 'प्रद्युम्न चरित' हिन्दी का प्रथम पौराणिक प्रबन्ध काव्य है।
  • भक्तिकालीन अन्य प्रबन्धात्मक चरित काव्य निम्नलिखित है:-

ग्रन्थ

कवि 

भाषा

पंचपाण्डव चरित रास

शालिभद्र सूरी

अपभ्रंश प्रभावित राजस्थानी हिन्दी

हरिचन्द पुराण

जाखू मनियार 

ब्रजभाषा

कुमारपाल रासो

देवप्रभ 

राजस्थानी हिन्दी

(ग) नीति काव्य

  • सन् 1486 ई० में पद्मनाभ ने सर्वप्रथम हिन्दी में विशुद्ध रूप से नीति काव्य रचना की।
  • भक्तिकालीन अन्य गीतिकाव्य और नीतिकार निम्न हैं:-

नीतिकार

नीतिकाव्य

ठाकुर सिंह

कृपण चरित्र (1523 ई०), पंचेन्द्री बेली (1528 ई०)

देवीदास

राजनीति के कवित्त

जमाल

जमाल दोहावली (1570)

वाजिद (दादू के शिष्य)

ग्रन्थ गुण उत्पत्तिनामा, ग्रन्थ प्रेमनामा, ग्रंथ गरज नामा, साखी वाजिद। 

बनारसीदास जैन

नवरस पद्यावला, समयसार नाटक, बनारसी विलास, अर्ध कथानक

(घ) अकबरी दरबार का काव्य 

  • भक्तिकाल के दरबारी कवियों का कालक्रमानुसार विवरण निम्न है:- 

कवि

जन्म-मृत्यु (ई०)

ग्रन्थ

टोडरमल

1493-1589

कुछ फुटकर छन्द

नरहरि महापात्र

1505-1607

रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति, कवित्त संग्रह

बीरबल 'ब्रह्म'

1528-1583

कुछ फुटकर छंद

तानसेन

1531-1583

संगीत सार, रागमाला, गणेश स्तोत्र 

गंग (गंगाप्रसाद)

1538-1617

गंग पदावली, गंग पच्चीसी, गंग रत्नावली

पृथ्वीराज

1549

वेलि क्रिसन रुक्मिणी री पृथ्वीराज कथी, श्यामलता, (3) दशरथ रावउत,वसुदेव रावउत, गंगालहरी 

रहीमदास

1553-1626

दोहावली या सतसई, बरवै नायिका भेद, नगर शोभा मदनाष्टक, खेल कौतुकम्, श्रृंगार सोरठा, रास पंचाध्यायी

  • कवि गंग बीरबल के बाल सखा तथा रहीम दास के विशेष कृपा पात्र थे। 
  • कवि गंग ने शहजादा-खुर्रम की प्रशंसा में एक छंद लिखा जिस कारण नूरजहाँ ने ईर्ष्यावश उन्हें हाथी से कुचलवा दिया था। 
  • कवि गंग का अन्तिम छंद निम्नलिखित है:- 

कबहूँ न भईआ रन चढ़, कबहुं न वाजी बंग

सरस सभाहि प्रनाम करि, विदा होत कवि गंग ॥

  • भिखारीदास ने गंग के सन्दर्भ में लिखा था-  तुलसी गंग दुवौ भए सुकविन के सरदार।
  • रहीमदास का मूलनाम 'अब्दुल रहीम खानखाना' था। 
  • उनकी रचनाओं की खोज सर्वप्रथम भरतपुर के मायाशंकर याज्ञिक ने किया। 
  • रहीमदास की रचनाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:-

रचना

भाषा

विषय

दोहावली

ब्रजभाषा

नीति के दोहे

नगर शोभा

ब्रजभाषा

विभिन्न जाति की स्त्रियों का वर्णन 

शृंगार सोरठा

ब्रजभाषा

श्रृंगार का वर्णन

मदनाष्टक

खड़ी बोली 

कृष्ण की रासलीला का वर्णन

बरवै नायिका भेद

अवधी

नायिका भेद का निरूपण

  • 'बरवैनायिका भेद' अवधी भाषा में लिखा प्रथम रीति निरूपक ग्रन्थ है। इसकी रचना संस्कृत के भानुदत्तं की 'रसमंजरी' के आधार पर हुई है। 
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है, "रहीम का हृदय द्रवीभूत होने के लिए कल्पना की उड़ान की अपेक्षा नहीं रखता था। वह संसार के सच्चे और प्रत्यक्ष व्यवहारों में ही द्रवीभूत होने के लिए पर्याप्त स्वरूप पा जाता था।"

(ङ) रीतिकाव्य

  • हिन्दी की रीति काव्य परमपरा में रचनाकाल की दृष्टि से सर्वप्रथम कवि 'कृपाराम' हैं। 
  • सन् 1541 ई० में कृपाराम ने दोहा छंद में 'हिततरंगिणी' नामक रीति काव्य की रचना की। यह पाँच तरंगों में विभक्त है। 
  • हिततरंगिणी ब्रजभाषा में रचित हिन्दी सतसई काव्य परम्परा का प्रथम ग्रन्थ है।

अन्य कवि

  • नरोत्तमदास का जन्म सीतापुर जिले के वाड़ी नामक कस्बे में हुआ था। 
  • नरोत्तमदास की प्रमुख कृतियाँ निम्नांकित हैं :- 

(1) सुदामाचरित (खण्डकाव्य), (2) ध्रुवचरित (3) विचारमाला।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2021 के लिए पेपर -2 हिंदी, भक्तिकाल (भक्तिकाल की अन्य काव्य प्रवृत्तियाँ एवं कवि) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you

Team BYJU'S Exam Prep.

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