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श्रृंगार रस का स्थाई भाव क्या है ?

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 25th, 2023

श्रृंगार रस का स्थाई भाव होता है रति। जब किसी को देखर मन में आकर्षण का भाव जागृत होता है उसे रति भाव कहते हैं। श्रृंगार रस के दो भेद हैं: संयोग श्रृंगार एवं वियोग श्रृंगार (विप्रलम्भ श्रृंगार)।

उत्तर: श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति है।

श्रृंगार रस नौ रसों में से एक है, जिसे आमतौर पर प्रेम या आकर्षण या सुंदरता के रूप में अनुवादित किया जाता है। इस रस में प्रेम व रति या वियोग का भाव निहित होता है। श्रृंगार रस में आलम्बन विभाव नायक और नायिका हैं। इसे रस को रसपति या रसों का राजा (रसराज) कहा जाता है। 

श्रृंगार रस का एक उदाहरण: बसों मेरे नैनं में नन्दलाल मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल। 

Summary:

श्रृंगार रस का स्थाई भाव क्या है ?

श्रृंगार रस का स्थाई भाव यह है: रति। ये रस सभी रसों में से एक प्रमुख रस है। जिस रस प्रेम व रति या वियोग का भाव निहित होता है उसे श्रृंगार रस कहते हैं।

Read More: Karo ya maro ka nara kisne diya tha?

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