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शिवाजी की उपलब्धियां अथवा विजय – Chhatrapati Shivaji’ Achievements in Hindi
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
शिवाजी एक बेहद काबिल सेनापति और कुशल राजनीतिज्ञ थे| इन्होने कड़ी मेहनत और प्रयास से एक मज़बूत मराठा साम्राज्य की नींव रखी। शिवाजी का जन्म 1630 ई. में शिवनेर दुर्ग में हुआ था। इनकी माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोसले थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा, उनका बचपन उनकी माता के मार्गदर्शन में बीता था। शिवजी के गुरु दादा कोंडदेव थे। निर्भीक उच्च आदर्शो से प्रेरित शिवाजी को मुगलों का अत्याचार स्वीकार नहीं था इसलिए उन्होंने स्वराज्य, स्वधर्म स्थापित करने का और इस्लाम के अत्याचार को बन्द करने का निश्चय किया। इन उद्देश्यों के लिये शिवाजी ने विजय-योजना तैयार की।
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Table of content
- 1. छत्रपति महाराज शिवाजी की उपलब्धियाँ (Achievements of Chhatrapati Maharaj Shivaji in Hindi)
- 2. छत्रपति महाराज शिवाजी की उपलब्धियाँ: युद्ध विजय
- 3. जयसिंह और शिवाजी
- 4. आगरा की घटना
- 5. शिवाजी का राज्याभिषेक
- 6. बीजापुरी दुर्गो पर अधिकार
- 7. सतारा, पार्ली और कोल्हापूर की विजय
- 8. बहादूर खां से समझौता
- 9. बीजापुर और मुगलों का संयुक्त आक्रमण
- 10. शिवाजी की मृत्यु कैसे हुई? How Did Shivaji Die?
छत्रपति महाराज शिवाजी की उपलब्धियाँ (Achievements of Chhatrapati Maharaj Shivaji in Hindi)
- छत्रपति शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी । उन्हें मराठा साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता है। सन् 1674 में रायगढ़ के दुर्ग में उनका राज्याभिषेक हुआ था और उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की ।
- छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील सम्राज्य स्थापित किया था। उन्होंने युद्ध में नई पद्धत्ति छापामार युद्ध (Guerilla Warfare) शैली की शुरुआत की थी।
- राज्याभिषेक के पूर्व शिवाजी ने मराठों को संगठित किया उन्हें युद्ध कला सिखाई और 1646 में तोरण दुर्ग और 1648 में पुरंदर दुर्ग को जीता जिनसे मराठों में उत्साह भी उत्पन्न हुआ और स्वंय को एक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
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छत्रपति महाराज शिवाजी की उपलब्धियाँ: युद्ध विजय
जावली विजय
जावली विजय सतारा जिले में स्थित जावली विजय शिवाजी की महत्वपूर्ण सफलता थी। जावली पर चन्द्रराव मोरे नामक मराठा सरदार का अधिकार था जो अपने को बीजापुर का वफादार था। शिवाजी ने एक षड्यंत्र द्वारा चन्द्रराव मोरे की हत्या करवा दी और जावली के दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
कोंकण विजय
जावली को जीतने के बाद शिवाजी ने राज्यगढ़ के दुर्ग का निर्माण कराया। शिवाजी ने कोंकण प्रदेश पर आक्रमण कर दिया तथा शीघ्र ही उसने भिवण्डी कल्याण, चैलतले, राचमंची, लोहगढ़, कंगोरी, तुग तिकौना, आदि पर अपना अधिकार कर लिया 1657 के अंत तक लगभग संपूर्ण कोंकण प्रदेश पर शिवाजी ने अधिकार स्थापित कर लिया।
बीजापुर संघर्ष
बीजापुर के शासक ने शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को रोकने हेतु अफजल खां को भेजा अफजल खां ने शिवाजी से संधि की तथा छल से उस पर अधिकार करना चाहा, पर किसी तरह शिवाजी को उसकी योजना का पता चल गया तथा शिवाजी ने अफजल खां का वध कर दिया। बाद में युद्ध हुआ, जिसमें शिवाजी को विजय मिली। अब दोनो पक्षों के बीच संधि हो गई। बीजापुर के जीते हुए किलों पर शिवाजी का अधिकार स्वीकार कर लिया गया।
शाइस्ता खां से संघर्ष
मुगलों और शिवाजी का संघर्ष मुख्य तौर पर औरंगजेब के शासनकाल में ही था। शाहजहां के काल में मुगल बीजापुर और गोलकुण्डा के दमन में ही लगे रहे न उन्होंने शिवाजी की तरफ ज्यादा ध्यान दिया और न शिवाजी ने उनके खिलाफ कोई खास काम किया। 1660 में दक्षिण के सूबेदार शाइस्ता खां को औरंगजेब ने शिवाजी का दमन करने के आदेश दिये। शाइस्ता खां ने पूना, चाकन और कल्याण पर अधिकार कर लिया।1663 में शाइस्ता खां पूना में ठहरा हुआ था। 15 अप्रैल 1663 की रात्रि को शिवाजी अपने कुछ चुने हुए साथियों के साथ पूना में घूसे।
Shivaji Ji Uplabdhiyaan PDF
रात को शाइस्ता खां के डेरे पर आक्रमण कर दिया। भागते हुए शाइस्ता खां का अंगूठा कट गया लेकिन जान बच गयी। जनवरी 1664 में शिवाजी ने सूरत पर आक्रमण कर मुगल अधिकारी को भगा दिया। सूरत को लूटकर शिवाजी स्वराज्य की सेना हेतु काफी धन पाने में सफल हुए। शाइस्ता खां को दक्षिण से वापस बुला लिया गया।
सूरत की लूट
शाइस्ता खां को परास्त करने के बाद शिवाजी के उत्साह में और ज्यादा वृद्धि हो गई। अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के उद्देश्य से शिवाजी ने सूरत, जो कि आर्थिक स्थिति से संपन्न था, पर 1664 में धावा बोल दिया इस धावे में शिवाजी ने 10 करोड़ रुपये से भी अधिक की लूट की।
जयसिंह और शिवाजी
शिवाजी का सूरत पर आक्रमण औरंगजेब के लिये एक खुली चुनौती थी। अतः शिवाजी का दमन करने मिर्जाराजा जयसिंह को भेजा गया। मिर्जाराजा जयसिंह की सैनिक योग्यता और रणकुशलता से शिवाजी परिचित थे। जयसिंह ने शिवाजी को बीजापुर, पूर्तगाली, जंजीरा के सिद्धियों और कर्नाटक से सहायता प्राप्त करने के मार्ग बन्द कर दिये तथा शिवाजी के अनेक क्षेत्रों को वीरान बना दिया तथा उसने पुरन्दर को घेर लिया। विनाश को देखकर और संघर्ष को टालने के लिये शिवाजी ने मिर्जाराजा जयसिंह से संधि कर ली और आगरा पहुंचकर औरंगजेब से भेंट करने की बात मान ली। इस सन्धि में शिवाजी ने मुगलों को 35 दुर्गो में से 23 दुर्ग देना स्वीकार किया। इनकी आय चार लाख होण थी। सम्भाजी को पांच हजारी मनसबदार बनकर औरंगजेब के दरबार में रहना होगा तथा बीजापुर से मुगलो के साथ लड़ना होगा और शिवाजी बीजापुर का निचला भाग जीत लेंगे किन्तु इसके बदले में चार लाख रुपये सम्राट को देंगे।
आगरा की घटना
शिवाजी जब मुगल दरबार में पहुंचे तो औरंगजेब ने उनका सम्मान नहीं किया, बल्कि उन्हें तथा उनके पुत्र शंभाजी को जेल में डाल दिया गया, शिवाजी किसी तरह भेष बदलकर आगरा से भाग निकले और मथुरा होते हुए 1666 ई. में महाराष्ट्र पहुंचे।
शिवाजी का राज्याभिषेक
1674 में रायगढ़ के किले में शिवाजी का बड़ी धूमधाम से राज्याभिषेक हुआ। उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की और भगवा ध्वज को अपना झंडा बनाया। राज्याभिषेक के बाद शिवाजी ने अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए कई राज्यों पर आक्रमण किया और लूटमार कर धन अर्जित किया।
बीजापुरी दुर्गो पर अधिकार
शिवाजी ने बीजापुर की अराजकता का लाभ उठाकर सन् 1675 ई. में पौडा, शिवेश्वर, अंकोला और कारवार को जीतकर अपने अधिकारी नियुक्त कर दिये।
सतारा, पार्ली और कोल्हापूर की विजय
जुलाई, 1675 ई. में इन प्रदेशों पर शिवाजी ने अधिकार कर लिया और पार्ली बन्दरगाह प्राप्त कर लिया।
बहादूर खां से समझौता
बहादुर खां मुगल सेनापति था। शिवाजी का 1676 में बहादूर खां से एक समझौता हुआ। इस समझौते के अनुसार देानों के मध्य यह तय हुआ कि जब शिवाजी दक्षिण में कर्नाटक में होगें, तब उसके राज्य को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी। इसके बदले में जब मुगलों तथा बीजापुर में युद्ध होगा तो शिवाजी बीजापुर की सहायता नहीं करेंगे।
बीजापुर और मुगलों का संयुक्त आक्रमण
शिवाजी ने सम्भाजी को अनैतिकता के आधार पर कुछ समय तक बन्दीगृह में रखा था अतः वह नाराज होकर मुगल शिविर में चला गया, लेकिन वह थोड़े दिन बाद पुनः पिता के पास लौट आया। अब दिलेर खां ने 1669 ई. में बीजापुर के सरदारों को खरीद लिया और दोनों ने सयुंक्त आक्रमण कर दिया। शिवाजी ने भी कूटनीति से मुगल विरोधी और बीजापुर के सिद्धी मसूद को अपनी तरफ कर उसे सहायता दी। इस कारण दिलेर खां की कोई चाल नहीं चल सकीं तथा वह सफल नहीं हो सका। और इस प्रकार मुगल अन्तिम रूप से पराजित हो गये।
शिवाजी की मृत्यु कैसे हुई? How Did Shivaji Die?
3अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई थी। शिवाजी के उत्तराधिकारी ज्येष्ठ पुत्र संभाजी थे और दूसरी पत्नी से राजाराम नाम एक दूसरा पुत्र था। उस समय राजाराम की उम्र मात्र 10 वर्ष थी अतः मराठों ने शम्भाजी को अपना छत्रपति स्वीकार कर लिया था।
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