1857 की क्रांति, Revolt of 1857 in Hindi - कारण, असफलता

By Trupti Thool|Updated : November 15th, 2022

1857 का विद्रोह: 1857 का विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रथम था। इस विद्रोह को मुख्य रूप से अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता का पहला युद्ध कहा जा सकता है। राजा, किसान, आदिवासी, जमींदार और सिपाही, सभी ब्रिटिश शासन से असंतुष्ट थे अतः भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ भारतीय का एक व्यापक लेकिन असफल 1857 का विद्रोह हुआ। आप revolt of 1857 in Hindi में पढ़ पाएंगे जो की BPSC एवं UPPSC में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| इसके अलावा 1857 के विद्रोह के कारण, परिणाम और उससे जुड़े क्रांतिकारियों के बारे विस्तृत जानकारी भी है| 1857 की क्रांति, 1857 का विद्रोह PDF भी डाउनलोड कर पाएंगे|

Table of Content

1857 की क्रांति | Revolt of 1857 in Hindi

1857 का विद्रोह - 1857-58 के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह था। लेकिन यह असफल रहा और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा इसे हटा दिया गया, जिसने ब्रिटिश क्राउन की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में शासन किया और कार्य किया। इसे 1857 के भारतीय विद्रोह के रूप में प्रचलित ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश के गंभीर विस्फोटों में से एक माना जाता है। भारतीय इतिहास में 1857 का विद्रोह घटना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इसे "स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध" के रूप में भी जाना जाता है।

1857 की क्रांति की प्रकृति - Nature of Revolt of 1857

  • 1857 की क्रांति की शुरुआत सिपाही विद्रोह से हुई थी लेकिन अंततः इसने लोगों को भी जोड़ लिया।
  • वी.डी. सावरकर ने 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी थी।
  • डॉ. एस. एन. सेन ने इसका वर्णन “ऐसी लड़ाई जो धर्म के लिए शुरु हुई थी लेकिन स्वतंत्रता के युद्ध पर जाकर समाप्त हुई” के रूप में किया है।
  • डॉ. आर. सी. मजूमदार ने इसे न तो प्रथम, न ही राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता का युद्ध माना है।
  • कुछ ब्रिटिश इतिहासकारों के अनुसार, यह मात्र एक किसान सिपाही बगावत था।

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1857 के विद्रोह के कारण - Revolt of 1857 Causes in Hindi

1857 के विद्रोह के कई कारण हैं। कारण पारिस्थितिक हैं आर्थिक कारण, राजनीतिक कारण, प्रशासनिक कारण, सामाजिक आर्थिक कारण और तत्काल कारण|

1857 का विद्रोह PDF

नीच लेख में आप सभी कारण का वर्णन पाएंगे|

आर्थिक कारण | Economic Causes

  1. अत्यधिक अप्रिय राजस्व व्यवस्था
  2. अधिक कराधान – इसके कारण किसानों को अत्यधिक ब्याज दरों पर साहूकारों से धन उधार लेना पड़ता था।
  3. ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय हथकरघा उद्योग को नुकसान पहुंचाया जिन्हें आधुनिक उद्योगों के साथ-साथ विकसित नहीं किया गया था।
  4. अंग्रेजों का अत्यधिक हस्तक्षेप : जमींदारों की घटती स्थिति

राजनैतिक कारण | Polical Causes

  1. सहायक संधि – लॉर्ड वेलेजली
  2. व्यगपत सिद्धांत – लॉर्ड डलहौजी
  3. धार्मिक अयोग्यता अधिनियम, 1856 – धर्म परिवर्तन बच्चे को संपत्ति का वारिस बनने से नहीं रोकेगा।

प्रशासनिक कारण | Administrative Causes

  1. कंपनी के प्रशासन में भयंकर भ्रष्टाचार – खासकर निचले स्तर (पुलिस, निचले अधिकारियों) में।
  2. भारतीय विकास पर कोई ध्यान नहीं।

सामाजिक आर्थिक कारण | Socio Economic Causes

  1. अंग्रेजों के स्वयं को श्रेष्ठ मानने का रवैया।
  2. इसाई मिशनरियों की गतिविधियां।
  3. सामाजिक-धार्मिक सुधारों जैसे सति प्रथा का अंत, विधवा पुनर्विवाह का प्रयास, महिलाओँ की शिक्षा का प्रयास आदि

तात्कालिक कारण | Immediate Causes

  1. सामान्य सेवा प्रवर्तन अधिनियम – भविष्य की भर्तियों को कहीं भी कार्य करने यहां तक की समुद्र पार कार्य करने का आदेश।
  2. ब्रिटिश समकक्षों की तुलना में भारतीयों को निम्न वेतन
  3. गेंहू के आटे में हड्डी का चूरा मिलाने की ख़बर
  4. एनफील्ड राइफल की कार्टिज गाय और सुअर की चर्बी से बनी थी।
  5. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण ‘चर्बी वाले कारतूस का मुद्दा’ बना।

समकालिक घटनाओं का प्रभाव

पूरे भारत में 1857 के विद्रोह के प्रभाव के कारण प्रभाव और भी बुरा था जिसने पूरे देश को प्रभावित किया। 1857 के विद्रोह की घटना के कारण, कई अन्य विद्रोह भी हुए, जिससे सामूहिक विनाश हुआ।

  1. प्रथम अफ़गान युद्ध (सन् 1838-42)
  2. पंजाब युद्ध (सन् 1845-49)
  3. क्रीमिया का युद्ध (सन् 1854-46)
  4. संथाल विद्रोह (सन् 1855-57)

1857 क्रांति के महत्वपूर्ण तथ्य

  • मेरठ घटना – 19वीं बैरकपुर नेटिव इन्फ्रैंटरी ने नई शामिल की गई एनफील्ड राइफल उपयोग करने से मना कर दिया, बगावत फरवरी 1857 में फैल गयी, जोकि मार्च 1857 में भंग हो गयी।
  • 34वीं नेटिव इन्फैंटरी के एक युवा सिपाही ने बैरकपुर में अपनी यूनिट के सार्जेन्ट मेजर पर गोली चला दी।
  • 7वीं अवध रेजीमेंट को भी भंग कर दिया गया।
  • मेरठ में 10 मई को विद्रोह हो गया, विद्रोहियों ने अपने बंदी साथियों को आजाद किया, उनके अधिकारियों को मार दिया और सूर्यास्त के बाद दिल्ली कूच कर गए।
  • दिल्ली – महान क्रांति का केन्द्र

1857 के विद्रोह के केंद्र और दमन | Centres and Suppression of Revolt of 1857

1857 के विद्रोह के केन्द्रों नीचे दिए गए हैं एवं वे किस के नेतृत्व में चलाये जा रहे थे|

  • दिल्ली में क्रांति के प्रतीकात्मक नेता मुगल शासक बहादुरशाह जफ़र थे, लेकिन वास्तविक शक्ति सेनापति बख्त खां के हाथों में थी।
  • कानपुर में नाना साहेब, तात्या टोपे, अजिमुल्लाह खान के नेतृत्व में विद्रोह हुआ। सर हुग व्हीलर स्टेशन कंनाडर थे, इन्होंने समर्पण किया। नाना साहेब ने खुद को पेशवा और बहादुर शाह को भारत का सम्राट घोषित किया।
  • लखनऊ में बेगम हजरत महल ने मोर्चा संभाला और अपने पुत्र बिरजिस कादिर को नबाव घोषित कर दिया। अंग्रेज नागरिक हेनरी लारेंस की हत्या कर दी गई। शेष यूरोपीय नागरिकों को नए कमांडर-इन-चीफ़ सर कोलिन कैम्पबेल ने सुरक्षित निकाला।
  • बरेली में खान बहादुर, बिहार में कुंवर सिंह, जगदीशपुर के जमींदार और फैजाबाद के मौलवी अहमदुल्लाह ने अपने क्षेत्रों में क्रांति का नेतृत्व किया।
  • रानी लक्ष्मीबाई, जोकि क्रांति की सबसे असाधारण नेता थीं, को गवर्नर लॉर्ड डलहौडी के व्यगपत सिद्धांत के कारण झांसी से बेदखल कर दिया गया था, क्योंकि जनरल ने उनके दत्तक पुत्र को सिंहासन का उत्तराधिकारी स्वीकारने से मना कर दिया था।

विद्रोह के स्थान

भारतीय नेता

ब्रिटिश अधिकारी जिन्होंने विद्रोह को दबा दिया

दिल्ली

बहादुर शाह द्वितीय

जॉन निकोलसन

लखनऊ

बेगम हजरत महल

हेनरी लारेंस

कानपुर

नाना साहेब

सर कोलिन कैंपबेल

झाँसी और ग्वालियर

लक्ष्मी बाई और तात्या टोपे

जनरल ह्यूग रोज

बरेली

खान बहादुर खान

सर कोलिन कैंपबेल

इलाहाबाद और बनारस

मौलवी लियाकत अली

कर्नल ऑनसेल

बिहार

कुँवर सिंह

विलियम टेलर

क्रांति का दमन - Suppression of Revolt of 1857

  • 20 सितम्बर 1857 को अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया। जॉन निकोलसन इस घेरेबंदी के नेता थे, बाद में वे चोटिल हो गए थे।
  • बाहदुर शाह को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया जहां सन् 1862 में उनकी मौत हो गयी। लेफ्टिनेंट हडसन द्वारा शाही राजकुमारी की माथे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। दिल्ली के हारने के बाद, सभी स्थानीय क्रांतियों का दमन होता चला गया।
  • सर कोलिन कैम्पबेल ने कानपुर और लखनऊ पर दुबारा कब्जा कर लिया।
  • बनारस में, कर्नल नील द्वारा विद्रोह का निर्दयतापूर्वक दमन किया गया।

1857 की क्रांति के असफल होने के कारण - Causes of Failure for Revolt of 1857

  • बाहदुरशाह जफ़र वृद्ध और कमजोर हो चुके थे, इसलिए क्रांति का नेतृत्व करने में असमर्थ थे।
  • सीमित क्षेत्रीय विस्तार था।
  • भारत का अधिकांश भाग लगभग अप्रभावित रहा।
  • कई बड़े जमींदारों ने अंग्रेजों का समर्थन किया।
  • आधुनिक शिक्षित भारतीयों ने क्रांति को विरोध के रूप में देखा।
  • भारतीय सिपाहियों के पास हथियार खराब थे।
  • किसी केन्द्रीय नेतृत्व अथवा सम्नव्य के अभाव में क्रांति को खराब रूप से संगठित किया गया था।
  • क्रांति में अंग्रेजी शासन तंत्र की स्पष्ट समझ का अभाव था और क्रांति की तैयारियां भी अधूरी थी।

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