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रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है। रौद्र रस की परिभाषा यह है कि जब कोई हमारे बारे में बुरी बात करता है तो उस बातों को सुनकर हमारे आत्मा में उस व्यक्ति के प्रति क्रोध उत्पन्न होता है। यही रौद्र रस का स्थाई भाव है।
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रौद्र रस का उदहारण
उदाहरण के लिए रामायण में एक प्रसंग है , जहाँ लक्ष्मण परशुराम के क्रोध को बढ़ाते हैं। उन्हें दंड देने के उद्देश्य से परशुराम ने कहा “रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न संभार, धनुही सम त्रिपुरारी द्युत बिदित सकल संसार।”
रौद्र रस के अवयवों पर चर्चा
नीचे हमने रौद्र रस के अवयवों की चर्चा की है, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयरी कर रहे छात्रों को अवश्य पढनी चाहिए।
रौद्र रस के अवयव |
|
स्थायी भाव |
क्रोध |
आलंबन |
अनुचित बातों को कहने वाला, शत्रु आदि। |
संचारी भाव |
गर्व, आवेग, असूया आदि। |
अनुभाव |
आँखें बड़ी होना, चेहरा क्रोध से लाल होना आदि। |
Summary
रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है?
रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है। इसके अनुभाव आँखें लाल होना, भौंहें तन जाना दांत पीसना, गुस्से के कांपने लगना आदि है। इससे प्रतीत होता है की कोई व्यक्ति गुस्से में हैं।