Summary:
रक्त और लौह की नीति किसने अपनाई थी?
सन् 1862 में जर्मन नेता बिस्मार्क के एक भाषण का शीर्षक रक्त और लोहा था जो आगे चलकर एक नीति बन गया। मामलुक वंश के 9वें सुल्तान गयासुद्दीन बलबन ने सबसे पहले भारत में रक्त और लोहा निति को अपनाया था। उन्होंने उच्च कुल के व्यक्तियों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया और निम्न श्रेणी के व्यक्तियों को कभी मुंह नहीं लगाया उसने स्वयं मध्य पान करना त्याग दिया तथा पदाधिकारियों के लिए भी मद्यपान निषेध घोषित कर दिया। बलबन बड़ा अनुशासन तथा न्याय प्रिय शासक था।
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