राजस्थान के पर्वत और पठार
अरावली पर्वतमाला
- अरावली का शाब्दिक अर्थ - पर्वतों की श्रृंखला |
- अरावली पर्वतमाला का निर्माण 88 अरब वर्ष पूर्व प्रीकैंब्रियन युग के आघ महाकाल (एजोइक एरा, प्री पैल्योजोइक एरा, पूर्व प्राथमिक महाकल्प) में गोडावण लैंड से वलय की क्रिया के द्वारा उत्पत्ति हुई हैं अत: इसे वलित पर्वतमाला भी कहते हैं| (पृथ्वी के अन्तर्जात बल द्वारा क्षैतिज संचलन के कारण जब भूपटि चट्टानों में संपीड़न स्थिति उत्पन्न होती है तो चट्टानों में लहर नुमा मोड पड़ जाते हैं जिन्हें वलय के नाम से पुकारा जाता है । वलन से निर्मित पर्वतमाला वलित पर्वत माला कहलाती है।)
- अरावली पर्वतमाला विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला है जो उत्तरी अमेरिका की अप्लेशियन पर्वत के समकक्ष है।
- अरावली पर्वतमाला से पूर्व देहली क्रम भी चट्टानों का विस्तार था जिसे राजस्थान में तीन भागों में विभाजित किया गया -
- अलवर समूह - अलवर
- अजबगढ़ समूह - सिरोही
- रायलो समूह - बाड़मेर
- उपरोक्त तीनों खंडों के अवसादी करण से अरावली पर्वत का निर्माण हुआ
- वर्तमान में वर्तमान में दहली समूह का अस्तित्व नए होने के कारण संसार की सबसे प्राचीनतम पर्वतमाला अरावली को माना जाता है तथा अरावली का मध्य भाग देहली पर्वतमाला से निर्मित है ।
- अरावली पर्वतमाला निर्माण के समय इसकी औसत ऊंचाई 2800 मीटर थी परंतु समय के साथ अपरदन से ग्रसित होने के कारण वर्तमान में इसकी औसत ऊंचाई 930 मीटर है
- अरावली पर्वतमाला विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला है जो उत्तरी अमेरिका की अप्लेशियन पर्वत के समकक्ष है।
पर्वतमाला का विस्तार
- अरावली का उद्गम अरब सागर के मिनिकॉय में माना जाता है जलमग्न होने के कारण यह है दिखाई नहीं देती है अतः अरब सागर को अरावली का गर्भ गृह कहा जाता है
- अरावली की शुरुआत गुजरात के पालनपुर से होती है तथा इसका अंत रायलसीमा (रायसीना) दिल्ली को माना जाता है |
- अरावली पर्वतमाला का विस्तार भारत के तीन राज्यों गुजरात, राजस्थान, हरियाणा तथा केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली में है।
- राजस्थान में अरावली का लगभग 80% भाग स्थित है।
- अरावली की कुल लंबाई 692 किलोमीटर है | इसमें राजस्थान में 550 किलोमीटर स्थित है |
- राजस्थान में अरावली पर्वतमाला का विस्तार खेड़ब्रह्म (ब्रह्मखेड़ा) से प्रारंभ होती हुए खेतड़ी झुंझुनू तक जाती है
- अरावली पर्वतमाला के केन्द्रीय भाग का विस्तार - टोंक - सवाईमाधोपुर - करौली जिलों में है।
- अरावली पर्वतमाला का अक्षांशीय विस्तार 23020' उत्तरी अंक्षाश से 28020' उत्तरी अंक्षाश के मध्य है। देशांतर विस्तार 72010' पूर्वी देशान्तर से 77003' पूर्वी देशांतर के मध्य है।
- राजस्थान में अरावली का विस्तार दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व दिशा में है अरावली की ऊँचाई तथा चौड़ाई उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर बढ़ती है।
- राजस्थान में अरावली की सर्वाधिक चौड़ाई राजसमंद से बाँसवाड़ा के मध्य है।
- सर्वाधिक ऊँचाई राजसमंद से सिरोही के मध्य है।
- सर्वाधिक विस्तार - उदयपुर जिले में है।
- न्यून्तम विस्तार - अजमेर जिले में है।
- सर्वाधिक ऊँचाई - सिरोही जिले में है।
- न्यूनतम ऊँचाई - जयपुर जिले में है।
- अरावली पर्वतीय प्रदेश राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 3% भाग है तथा इसमें लगभग 10 % जनसंख्या निवास करती है।
अरावली का प्राचीन एवं अन्य नाम :-
- विष्णु पुराण में सुमेरू पर्वत / मेरू पर्वत / परिपत्र पर्वत कहा गया है।
- अरावली -गुजरात में
- मेरु -भौगोलिक भाषा में
- आडा वाटा - राजस्थानी भाषा में
- आडावल – बूंदी में
Very important – (आडावाली की पहाड़ी बूंदी में स्थित है पर यह अरावली का भाग नहीं है)
- डोसी पर्वतमाला - हरियाणा में
- अर्बूदा देवी पर्वत - सिरोही में
अरावली से निकलने वाली नदियाँ –
नाम | उदगम |
बेड़स / आयड़ | गोगुन्दा पहाड़ी - उदयपुर |
बनास | खमनौर पहाड़ी - राजसमंद |
साबरमती | कोटड़ा पहाड़ी - उदयपुर |
सुकड़ी | सोजत पहाड़ी - पाली |
कोठारी | दिवेर पहाड़ी - राजसमंद |
खारी | बिजरावल पहाड़ी - राजसमंद |
लूणी | नाग पहाड़ - अजमेर |
अरावली पर्वतीय प्रदेश की विशेषता -
- अरावली की तुलना –
- पर्वत - अप्लेशियन पर्वत
- वाद्य यंत्र - तानपुरा / तंदूरा
- अंग - कर्ण वत
- पर्वतमाला का कुल क्षेत्रफल – 99771 km
- अरावली पर्वतमाला हिमालयी पर्वतीय प्रदेश तथा पश्चिमी घाट के मध्य स्थित सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है।
- अरावली पर्वतमाला के उत्तरी भाग का आकार भेड़पीठनुमा तथा दक्षिणी भाग का आकार पंखाकार है।
- अरावली पर्वतमाला प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश का भाग है जिसे महान भारतीय जल विभाजक रेखा की संज्ञा दी गई है।
(महान भारतीय जल विभाजक रेखा - 50 सेमी. वर्षा रेखा अरावली के समांतर गुजरती है जिसके कारण अरावली के पूर्व में 50 सेमी. से अधिक वर्षा तथा पश्चिम में 50 सेमी. से कम वर्षा होती है। अरावली पर्वतमाला सिन्धु तथा गंगा नदी तंत्र के नदी जल का बँटवारा करती है। इस कारण अरावली को महान भारतीय जल विभाजक रेखा कहा जाता है।)
- अरावली पर्वतीय प्रदेश में धारवाड़ क्रम की ग्रेनाइट, नीस, क्वार्टजाइट चट्टानों की प्रधानता है। इस कारण अरावली धात्विक खनिज जैसे - लौह अयस्क, ताँबा, सीसा, जस्ता, टंगस्टन, चाँदी आदि की दृष्टि से समृद्ध प्रदेश है।
- खनिज का अजायबघर भी कहा जाता है धात्विक खनिज सर्वाधिक पाए जाते हैं |
- अरावली व विंध्याचल पर्वतमाला एक दूसरे को समकोण पर रणथम्भोर सवाई माधोपुर में काटते हैं |
- रंगीन पहाड़िया रणथम्भोर सवाई माधोपुर में पाई जाती है |
- गरासिया , डामोर , भील , कंजर , कथोडी जनजातियां अरावली में पाई जाती है | अरावली पर्वतमाला को राजस्थान में आदिवासियों की आश्रय स्थली कहा जाता है।
- अरावली पर्वतीय प्रदेश में आदिवासी जनजातियों द्वारा मुख्यत: झुमिंग या स्थानांतरित कृषि की जाती है जिसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे -
- वालरा - गरासिया जनजाति द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित कृषि
- चिमाता - भील जनजाति द्वारा वनों को जलाकर की जाने वाली झुमिंग कृषि
- दजिया - भील / डामोर जनजाति द्वारा वनों को काटकर की जाने वाली झुमिंग कृषि
- वातरा - सहरिया जनजाति द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित कृषि
- अरावली पर्वतीय प्रदेश में लाल मृदा (पर्वतीय मृदा, इन्सेप्टीसोल) का विस्तार है। लाल मृदा मक्का के लिए उपयोगी है।
अरावली पर्वतीय प्रदेश का वर्गीकरण -
- राजस्थान के लगभग मध्य में दक्षिण - पश्चिम से उत्तर -पूर्व में विस्तृत अरावली पर्वतीय प्रदेश को ऊँचाई के आधार पर तीन भागों विभाजित किया गया।
- उत्तरी अरावली
- मध्य अरावली
- दक्षिण अरावली
उत्तरी अरावली - विस्तार जिले- जयपुर, अलवर, सीकर, झुन्झुनूँ ।
- उत्तरी अरावली अरावली का विस्तार जयपुर संभाग में स्थित है
- उत्तरी अरावली की औसत ऊँचाई 450 मी. है।
- उत्तरी अरावली की प्रमुख चोटियाँ -
- रघुनाथगढ़ (सीकर) - 1055 मी. (राजस्थान में उत्तरी अरावली की सर्वाधिक ऊँची चोटि)
- खोह (जयपुर) - 920 मी.
- भरौच (अलवर) - 792 मी.
- बरवाड़ा (जयपुर) - 786 मी.
- बबाई (झुन्झुनूँ) - 780मी.
- बिलाली (अलवर) - 775 मी.
- बैराठ (जयपुर) - 704 मी.
- भानगढ़ (अलवर ) - 649 मी.
- जयगढ़ (जयपुर) - 648 मी.
- नाहरगढ़ (जयपुर) - 599 मी.
- उत्तरी अरावली में कोई दर्रा नहीं है।
(दर्रा-पहाड़ो के मध्य स्थित संकीर्ण मार्ग जिसे नाल या घाट भी कहा जाता है।)
मध्य अरावली –
- मध्य अरावली का विस्तार अजमेर जिले में है।
- सबसे कम ऊंचाई वाली श्रेणी सर्वाधिक कटी पटी श्रेणी
- मध्य अरावली को दो भागों में बांटा गया है
- शेखावाटी के निम्न पहाड़ियां
- मेरवाड़ा की पहाड़ियां
शेखावाटी के निम्न पहाड़ियां -
- शेखावाटी के निम्न पहाड़ियां अन्य पहाड़ियों की तुलना में नीचे तथा सर्वाधिक घाटियों वाली है
- इन घाटियों से वायु पश्चिम की भाग से पूर्व की ओर जाती है अतः इसे वायु घाटियों भी कहते हैं
- इन घाटियों से रेगिस्तान की मिट्टी पश्चिम से पूर्व की ओर आती है जिससे मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है इसे रेगिस्तान का मार्च भी कहते हैं
- विस्तार- अजमेर ब्यावर सांभर के आसपास
मेरवाड़ा की पहाड़ियां -
- मध्य अरावली की औसत ऊँचाई - 550 मी.
- मध्य अरावली की प्रमुख चोटिया -
- गोरमजी - अजमेर - 934 मी.
- मेरियाजी (टॉडगढ़)-अजमेर - 933 मी.
- तारागढ़ - अजमेर - 873 मी.
- नागपहाड़ - अजमेर - 795 मी.
- मध्य अरावली के प्रमुख दर्रे
- बर दर्रा - पाली (मारवाड़ तथा मेरवाड़ा को जोड़ता है NH-162 गुजरता है।)
- अरनिया - अजमेर
- सुराघाट - अजमेर
- पीपली - अजमेर
- परवेरिया- अजमेर
- शिवपुरी – अजमेर
- बीठली की पहाड़ी (अजमेर) - बीठली की पहाड़ी पर स्थित तारागढ़ दुर्ग को गढ़ बीठली के नाम से भी जाना जाता है।
- विशप ने तारागढ़ दुर्ग को राजस्थान के जिब्राल्टर की संज्ञा दी।
दक्षिण अरावली –
- दक्षिण अरावली का विस्तार राजसमंद - सिरोही - उदयपुर जिलो में है।
- दक्षिण अरावली की औसत ऊँचाई 900 मी. है।
- दक्षिण अरावली की प्रमुख चोटियाँ -
- गुरुशिखर - सिरोही -1722 मी. (राजस्थान की सर्वाधिक ऊँची चोटि)
- सेर - सिरोही - 1597 मी.
- दिलवाड़ा - सिरोही - 1442 मी.
- जरगा - उदयपुर - 1431 मी.
- अचलगढ़ - सिरोही - 1380 मी.
- कुम्भलगढ़ - राजसमंद - 1224 मी.
- ऋषिकेश - सिरोही - 1017 मी.
- कमलनाथ - उदयपुर - 1001 मी.
- सज्जनगढ़ - उदयपुर - 938 मी.
- सायरा - उदयपुर - 900 मी.
- लीलागढ़ - उदयपुर - 874 मी.
- नागपानी - उदयपुर - 867 मी.
- गोगुन्दा - उदयपुर - 840 मी.
- राजस्थान में अरावली की सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ सिरोही जिले में है। जबकि राजस्थान में अरावली की सर्वाधिक चोटियाँ उदयपुर जिले में है।
- दक्षिण अरावली के पश्चिम में जसवंतपुरा की पहाड़ियां जसवंतपुरा की पहाड़ियों के पश्चिम में रानीबाड़ा की उच्च भूमि जालौर में स्थित है रानीबाड़ा की उच्च भूमि वृक्ष विहीन भूमि है |
- जसवंतपुरा की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी डोरा पर्वत है
- जालौर पर्वत की सबसे ऊंची चोटी इसराना भाकर है
- जालौर पर्वत सिवाना के पास स्थित है स्थानीय भाषा में इसे छप्पन का भाकर भी कहते हैं
- इन्हीं पर्वतमाला पर हल्देश्वर तीर्थ स्थल स्थित है
दक्षिण अरावली के प्रमुख दर्रें -
- सरूप घाट - पाली
- देसूरी दर्रा - पाली
- सोमेश्वर दर्रा - पाली
- कामली घाट - राजसमंद
- गोरम घाट - राजसमंद
- हाथीगुढ़ा दर्रा - राजसमंद
- केवड़ा की नाल - उदयपुर
- देबारी दर्रा - उदयपुर
- हाथी दर्रा - उदयपुर
- फुलवारी की नाल - उदयपुर
- जीलवा / पगल्या नाल – उदयपुर
अरावली के प्रमुख पठार -
- उड़िया का पठार -
- सिरोही में स्थित राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार (1360 मी. ऊँचाई)
- राजस्थान का सबसे ऊँचा शहर माउण्ट आबू तथा सबसे ऊँची मीठे पानी की नक्की झील उड़िया के पठार पर स्थित है।
- आबू का पठार -
- सिरोही में उड़िया का पठार के दक्षिण में स्थित राजस्थान का दूसरा सबसे ऊँचा पठार (1295 मी. ऊँचाई)
- आबू का पठार एक बैथोलिक संरचना का उदाहरण हैं।
- बैथोलिक - ज्वालामुखी क्रिया के दौरान निकलने वाले मैग्मा के पृथ्वी के भीतर अत्यधिक गहराई पर गुम्बदाकार आकृति में जमाव से निर्मित संरचना।
- स्थलाकृति की दृष्टि से आबू के पठार को इन्सेलबर्ग की संज्ञा दी गयी है।
- भोराठ का पठार -
- गोगुन्दा (उदयपुर) से कुम्भलगढ़ (राजसमंद) के मध्य स्थित 1225 मी. उच्च पठारी क्षेत्र।
- राजस्थान का तीसरा सबसे ऊँचा पठार जो अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के मध्य जल विभाजक का कार्य करता है। (उदयपुर की सबसे ऊँची चोटी जरगा (1431 मी.) भोराठ के पठार पर स्थित है। )
- मेसा का पठार -
- चित्तौड़गढ़ में बेड़च तथा गम्भीरी नदियों द्वारा अपरदित पठार
- मेसा के पठार पर चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित है
- मानदेसरा का पठार -चित्तौड़गढ़
- लासोडिया का पठार -जयसमंद झील के पूर्व में स्थित उबड़ खाबड़ पठारी क्षेत्र (राजस्थान का सबसे कटा-फटा पठार है।)
- देशहरो का पठार -उदयपुर में जरगा तथा रागा की पहाड़ियों के मध्य स्थित वर्ष भर हरा भरा रहने वाला पठारी क्षेत्र।
- ऊपरमाल का पठार -बिजौलिया से भैसरोड़गढ़ के मध्य स्थित पठार क्षेत्र।
- भोमट का पठार -उदयपुर - डुगरपुर - बाँसवाड़ा के मध्य स्थित पठारी क्षेत्र जहाँ भोमट जनजाति निवास करती है।
- काकनवाड़ी का पठार -अलवर का भानगढ़ दुर्ग तथा काकनवाड़ी दुर्ग काकनवाड़ी के पठार पर स्थित है।
अरावली के प्रमुख पर्वत एवं पहाड़ियाँ
- गिरवा-उदयपुर के आस-पास पाई जाने वाली अर्द्धचंद्राकार या तश्तरीनुमा पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में गिरवा कहा जाता है।
- भाकर - पूर्वी सिरोही में स्थित तीव्र ढाल वाली पहाड़ियाँ
- मेवल - डूँगरपुर, बाँसवाड़ा के मध्य स्थित पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में मेवल कहा जाता है।
- मगरा -उदयपुर के उत्तर पश्चिम में स्थित अवशिष्ट पहाड़ियाँ मगरा कहलाती है। जैसे - माकड़ का मगरा, बांकी का मगरा, कामन मगरा, लेगा मगरा आदि।
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