चीता परियोजना (Project Cheetah) महत्वपूर्ण बिंदु
- प्रोजेक्ट चीता के तहत आठ चीते नामीबिया सो विशेष विमान के जरिए भारत आ रहे हैं।
- बड़े मांसाहारी जंगली जानवरों के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की यह विश्व की पहली परियोजना है।
- इन चीतों को एक समझौता ज्ञापन के तहत नामीबिया से लाया गया है।
- उन्हें लाने के लिए भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को अनुबंध हुआ था।
भारत में चीतों की आबादी 19वीं शताब्दी के दौरान घट गई। - इसकी मुख्य वजह स्थानीय राजाओं और ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा चीतों का शिकार करना था।
वर्ष 1948 में अंतिम तीन एशियाई चीतों का शिकार किया गया और 1952 में चीता को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। - चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में मदद करेगा।
इससे जैव विविधता संरक्षण, जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण में मदद मिलेगी।
चीता परियोजना - मध्य प्रदेश में आएँगे चीता
17 सितंबर 2022 को चीतों को प्लेन से प्लेन ग्वालियर में लैंड करेगा| इसके बाद में इन्हें हेलीकॉप्टर के जरिये मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में ले जाया जाएगा| नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं, जिनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं.
चीता परियोजना (Project Cheetah) - Download PDF
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