hamburger

जनसंख्या वृद्धि, Population Growth in Hindi – कारण, प्रभाव, संकल्पनाएँ, नीति

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 13th, 2023

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) आज के युग में बेहद बड़ी समस्या है| विश्व में जनसंख्या वृद्धि के तौर पे भारत दुसरे स्थान पर आता है और चीन प्रथम पर है| वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत चीन को पीछे कर विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। इस तथ्य के बावजूद कि यहां जनसंख्या नीतियां, परिवार नियोजन और कल्याण कार्यक्रम सरकार ने शुरु किए हैं और प्रजनन दर में लगातार कमी भी आई है। इसके बावजूद भी आबादी का वास्तविक स्थिरीकरण केवल 2050 तक ही हो पाएगा।

जानें की जनसंख्या वृद्धि की समस्याएं क्या हैं, इसके कारण और निवारण क्या हैं? इसके साथ में ये भी पढ़ें की जनसंख्या वृद्धि का सबसे खराब परिणाम क्या है? जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या उपाय हैं, जनसंख्या वृद्धि में सबसे आगे कौन सा राज्य है आदि जैसे महत्वपूर्ण जानकारियां जो की UPPSC और BPSC में पूछी जाती हैं| पढ़े Population Growth in Hindi| 

जनसंख्या वृद्धि, Population Growth in Hindi

किसी भौगोलिक क्षेत्र की जनसंख्या के आकार मे एक निश्चित समय मे होने वाले परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या वृद्धि (Jansankhya Vriddhi, Population Growth) की समस्या सामने आ रही है, जिसके कारण जनसंख्या परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि का पर्याय माना जाता है। जनसंख्या वृद्धि धनात्मक या ऋणात्मक दोनों ही हो सकती है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि दर के कारण, Reasons for Population Growth in India

जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण निम्न युगल संरक्षण अनुपात, पारंपरिक समाज और गरीबी हैं। नीचे हमने जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों की व्याख्या की है।

गरीबी

संस्थागत प्रसव की कमी से गरीबों में मृत्यु दर अधिक होती है, इस प्रकार गरीबों में अधिक बच्चे होते हैं, जिससे उनमें उच्च जन्म दर होती है, जो उन्हें रोटी कमाने वाले के रूप में देखते हैं।

पारंपरिक समाज

संयुक्त परिवार, कम उम्र में विवाह और बच्चे को वरीयता देने से महिलाओं के प्रजनन अधिकार समाप्त हो जाते हैं और जनसंख्या में वृद्धि होती है। 2000 की एनपीपी (राष्ट्रीय जनसंख्या नीति) के अनुसार जनसंख्या वृद्धि के तीन मुख्य तात्कालिक कारण हैं। प्रजनन आयु अवधि में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा अनुपात, इसलिए यदि TFR कम कर देता है तो भी जनसंख्या की कुल वृद्धि अधिक होगी और यह समस्या इससे जटिल हो जाती है:

  • कम उम्र में शादी
  • बार-बार और अवांछित गर्भधारण: यह शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य देखभाल की कमी से संबंधित है।
  • लड़के की इच्छा: एनपीपी के अनुसार भारत की विकास दर के 60% के लिए केवल यही कारण जिम्मेदार है।

जनसंख्या वृद्धि PDF

उच्च आईएमआर, परिवारों की असुरक्षा से संबंधित बच्चों की संख्या के बारे में जो वास्तव में उनके बुढ़ापे तक जीवित रहेंगे। साथ ही परिवार में संतान न होने पर इसे अशुभ माना जाता है। उच्च आईएमआर भारत की विकास दर के 20% के लिए जिम्मेदार है। भारत में उच्च आईएमआर के कारण हैं:

  • पोषण संबंधी समस्याएं
  • कोई संस्थागत प्रसव नहीं
  • अप्रशिक्षित महिलाओं द्वारा डिलीवरी

निम्न युगल संरक्षण अनुपात

गर्भनिरोधक और जन्म नियंत्रण उपायों का उपयोग करने वाली जनसंख्या का अनुपात कम है। यह भारत की विकास दर के 20% के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा गरीबी और जागरूकता की कमी भी उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के लिए जिम्मेदार है।

यह भी पढ़े

Indian Sub Continent in Hindi

Preamble to the Indian Constitution in Hindi

Right to Education in Hindi

Maulik Adhikar

UPPSC सिलेबस इन हिंदी 

BPSC सिलेबस इन हिंदी 

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव, Effect of Population Growth in India

किसी भी देश की जनसंख्या का प्रभाव उसके आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संरचना पर पड़ता है। स्वतंत्रता के बाद भारत की तेजी से होने वाले जनसंख्या वृद्धि भारत के लिए आज बड़ी गंभीर समस्या बनकर सामने आ रही है। जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव निम्न प्रकार से देख सकते हैं:

  • भारत में अधिक आबादी के लिए रोजगार प्रदान करना मुश्किल है। इसके साथ ही अशिक्षित जनसंख्या का प्रतिशत अधिक होने के कारण स्किल्ड रोजगार भी प्रदान करना एक गंभीर समस्या है, जो बेरोजगारी दर बढ़ने का कारण बन रहा है।
  • भारत में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के चलते आर्थिक गतिविधि, व्यापार विकास और विस्तार संबधित सभी गतिविधियां धीमी होती जा रहीं हैं।
  • घटता उत्पादन और बढ़ती लागत भारत की सबसे गंभीर समस्या है। भारत का खाद्य उत्पादन और वितरण बढ़ती हुई आबादी की पूर्ति करने असक्षम है। यही कारण है कि उत्पादन की लागत में वृद्धि और महंगाई दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, संचार, आवास आदि की कमी बढ़ती जनसंख्या को लाभान्वित करने में कहीं न कहीं असमर्थ होती है। चूँकि भारत में बुनियादी ढांचे का विकास उतनी तेजी से नहीं हो रहा जितनी तेजी से आबादी में वृद्धि हो रही है ।
  • भूमि क्षेत्र, जल संसाधन और जंगल जैसे सीमित संसाधनों का प्रयोग बढ़ती आबादी द्वारा एक संसाधनों का दुरूपयोग और शोषण का रूप लेता जा रहा है।

जनसंख्या वृद्धि हेतु राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के सुझाव, Suggestions of National Population Policy for Population Growth

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के अनुसार दिए गए सुझाव निम्न प्रकार से हैं:

  • विवाह में देरी और विवाह की आयु में वृद्धि।
  • बच्चों के बीच की दूरी
  • बालिकाओं के लिए जागरूकता
  • पितृसत्तात्मक मानसिकता के व्यवहार संबंधी पहलुओं से निपटना।
  • मां और बच्चे का टीकाकरण कार्यक्रम।
  • प्रजनन बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम या मातृ एवं शिशु कार्यक्रम- उद्देश्य
  • नवजात स्वास्थ्य देखभाल या प्रसवोत्तर (प्रसव के बाद) स्वास्थ्य देखभाल।
  • पोषाहार कार्यक्रम
  • प्रशिक्षित नर्सों और दाइयों द्वारा 100% संस्थागत प्रसव और प्रसव
  • संस्थागत प्रसव और पोषण के लिए गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए मौद्रिक प्रोत्साहन। उदा. महिला और बाल कार्यक्रम का विकास (DWCRA)

जनसंख्या नियंत्रण हेतु उपाय, Population Control Measures

गौरतलब है कि जनसंख्या वृद्धि विभिन्न नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इन परिणामों को रोकने के लिये विविध आयोग का गठन के साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं । इसके साथ ही निम्नलिखित उपायों से जनसंख्या की वृद्धि दर पर नियंत्रण किया जा सकता है-

  • महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार करना और उन्हें जन्म हेतु निर्णय हेतु स्वतंत्र रखना।
  • परिवार में पुत्र प्राप्ति को आवश्यक माना जाता है। यह धारण पुत्र की चाहत में अधिक-से-अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है ।ऐसी धारणा को मिटाना और लोगों को जागरूक करना आवश्यक है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और बच्चों को जन्म देने के दृष्टिकोण को परिवर्तित करना।
  • महिला-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना: जनसंख्या स्थिरीकरण न केवल जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के बारे में है, बल्कि लैंगिक समानता भी है। इसलिए, राज्यों को बाद में विवाह और प्रसव को प्रोत्साहित करने, महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी को बढ़ावा देने आदि की आवश्यकता है।
  • काहिरा की सहमति का पालन करना: 1994 में जनसंख्या और विकास पर काहिरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने जनसंख्या पर जोर दिया। काहिरा की आम सहमति ने गरीबी और उच्च प्रजनन क्षमता के उलझे हुए मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रजनन अधिकारों को बढ़ावा देने, महिलाओं को सशक्त बनाने, सार्वभौमिक शिक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का आह्वान किया। सर्वसम्मति आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार, पुरुष गर्भनिरोधक की दर में वृद्धि की भी मांग करती है। जनसंख्या नियंत्रण उपायों को जारी करने के बजाय राज्य काहिरा की आम सहमति को लागू करने का पालन करना शुरू कर सकते हैं।
  • यदि राज्य कम और स्थिर प्रजनन दर सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो उन्हें सबसे पहले चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
  • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में भारत के दक्षिणी राज्यों की सफलता इंगित करती है कि आर्थिक विकास, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान, दंडात्मक उपायों की तुलना में बड़े परिवारों को हतोत्साहित करने के लिए कहीं बेहतर काम करता है।

जनसंख्या नियंत्रण हेतु राज्यस्तरीय प्रयास | State Level Efforts for Population Control

वर्तमान में, भारत की जनसंख्या लगभग 134 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के अनुमान के अनुसार, 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.5 बिलियन तक पहुंच जाएगी। इसे रोकने के लिए भारत ने जनसंख्या नियंत्रण उपायों की शुरुआत की है।
कई राज्यों ने भी जनसंख्या नियंत्रण उपायों की घोषणा की है । जैसे उत्तर प्रदेश विधि आयोग द्वारा तैयार एक नया मसौदा विधेयक दो बच्चों की नीति पेश करके जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु एक कारगर उपाय है।

जनसंख्या वृद्धि वाले भारत के राज्यों की सूची | List of Most Populated States in India

नीचे दी गई तालिका में, आप भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची पा सकते हैं। सभी राज्यों की जनसँख्या वृद्धि 2011 सेन्सस (2011 Census) के आधार पर दी गयी है|

स्थान राज्य या केन्द्र-शासित प्रदेश जनसँख्या (2011 जनगणना)
(कुल जनसंख्या का %)
01 उत्तर प्रदेश 19,95,81,477
(16.49%)
02 महाराष्ट्र 11,23,72,972
(9.28%)
03 बिहार 10,38,04,637
(8.58%)
04 पश्चिम बंगाल 9,13,47,736
(7.55%)
05 मध्य प्रदेश 7,25,97,565
(6.00%)
06 तमिलनाडु 7,21,38,958
(5.96%)
07 राजस्थान 6,86,21,012
(5.67%)
08 कर्नाटक 6,11,30,704
(5.05%)
09 गुजरात 6,03,83,628
(5.00%)
10 आंध्र प्रदेश 49,386,799
 (4.08%)
11 उड़ीसा 4,19,47,358
(3.47%)
12 तेलंगाना 3,52,86,757
(2.97%)
13 केरल 3,33,87,677
(2.76%)
14 झारखंड 3,29,88,134
(2.72%)
15 असम 3,11,69,272
(2.58%)
16 पंजाब 2,77,04,236
(2.30%)
17 छत्तीसगढ़ 2,55,40,196
(2.11%)
18 हरियाणा 2,53,53,081
(2.09%)
19 जम्मू और कश्मीर 1,25,48,926
(1.04%)
20 उत्तराखण्ड 1,01,16,752
(0.84%)
21 हिमाचल प्रदेश 68,56,509
(0.57%)
22 त्रिपुरा 36,71,032
(0.30%)
23 मेघालय 29,64,007
(0.24%)
24 मणिपुरβ 27,21,756
(0.22%)
25 नागालैण्ड 19,80,602
(0.16%)
26 गोआ 14,57,723
(0.12%)
27 अरुणाचल प्रदेश 13,82,611
(0.11%)
28 मिज़ोरम 10,91,014
(0.09%)
29 सिक्किम 6,07,688
(0.05%)
NCT दिल्ली 1,67,53,235
(1.38%)
के॰प्र॰ क्षेत्र1 पुदुच्चेरी 12,44,464
(0.10%)
के॰प्र॰ क्षेत्र2 चंडीगढ़ 10,54,686
(0.09%)
के॰प्र॰ क्षेत्र3 अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह 3,79,944
(0.03%)
के॰प्र॰ क्षेत्र4 दादर और नागर हवेली 3,42,853
(0.03%)
के॰प्र॰ क्षेत्र5 दमन और दीव 2,42,911
(0.02%)
के॰प्र॰ क्षेत्र6 लक्षद्वीप 64,429
(0.01%)
Total भारत 1,210,193,422
(100%)

उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति | Population Policy of Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक नई जनसंख्या नीति जारी का उद्देश्य प्रजनन स्तर को नीचे लाना है और विभिन्न समुदायों के बीच जनसंख्या संतुलन बनाना है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति के अनुसार यदि कोई भी नागरिक जो टू-चाइल्ड पॉलिसी का उल्लंघन करता है, तब उसे:

  • स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा।
  • सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने या पदोन्नति प्राप्त करने पर पर पाबन्दी।
  • सरकारी सब्सिडी प्रदान नहीं की जाएगी।
  • अगर कोई दंपत्ति सिर्फ़ एक बच्चे की नीति अपनाकर नसबंदी करा लेते हैं तो सरकार उन्हें बेटे के लिए एक मुश्त 80,000 रुपये और बेटी के लिए 1,00,000 रुपये की आर्थिक मदद देगी।
  • मसौदे के अनुसार, दो बच्चों के नियम का पालन करने वाले सरकारी कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान दो अतिरिक्त इनक्रीमेंट (वेतन वृद्धि) मिलेंगे। माँ या पिता बनने पर पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने की छुट्टी मिलेगी। इसके अतिरिक्त, नेशनल पेंशन स्कीम के तहत नियोक्ता के अंशदान में तीन फ़ीसदी का इजाफ़ा होगा।

Related Articles:

UPPSC

Our Apps Playstore
POPULAR EXAMS
SSC and Bank
Other Exams
GradeStack Learning Pvt. Ltd.Windsor IT Park, Tower - A, 2nd Floor, Sector 125, Noida, Uttar Pradesh 201303 help@byjusexamprep.com
Home Practice Test Series Premium