पूना समझौता – Poona Pact in Hindi
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
पूना समझौता (The Poona Pact in Hindi) भीमराव अम्बेडकर एवं महात्मा गांधी के बीच पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में 24 सितम्बर, 1932 को हुआ था। पूना समझौता के तहत सांप्रदायिक अधिनिर्णय (कम्युनल एवार्ड) में ब्रटिश सरकार ने संशोधन की अनुमति प्रदान कर दी थी। पूना समझौता (The Poona Pact in Hindi) में दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचक मंडल को समाप्त कर दिया गया और दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 148 और केन्द्रीय विधायिका में कुल सीटों की संख्या का 18% कर दीं गयीं थी।
इस लेख में हम आपको पूना समझौता (The Poona Pact in Hindi) के कारण , उसका महत्त्व और सांप्रदायिक अधिनिर्णय आदि से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके पूना समझौता (The Poona Pact) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
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पूना समझौता (Poona Pact in Hindi)
- लन्दन में 1930 से 1932 के दौरान तीन गोलमेज सम्मलेन का आयोजन किया गया था। भीमराव अंबेडकर एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि थे, जो तीनों गोलमेज सम्मलेन में शामिल हुए थे।
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार विमर्श के फल स्वरूप ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्मजे मैक्डोनल्ड ने 16 अगस्त 1932 को साम्र्पदायिक पंचाट की घोषणा कर दी।
- जिसमें दलितो सहित 11 समुदायों को पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान किया गया।
- इस पंचाट के तहत भीमराव आंबेडकर द्वारा उठाई गयी राजनीतिक प्रतिनिधित्व की माँग को मानते हुए दलित वर्ग को दो वोटों का अधिकार मिला था। एक वोट से दलित अपना प्रतिनिधि चुनेंगे तथा दूसरी वोट से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि चुनेंगे। इस प्रकार दलित प्रतिनिधि केवल दलितों की ही वोट से चुना जाना था। दूसरे शब्दों में उम्मीदवार भी दलित वर्ग का तथा मतदाता भी केवल दलित वर्ग के ही होंगे।
- सांप्रदायिक अधिनिर्णय द्वारा भारतीयों को विभाजित करने तथा हिंदुओं से दलितों को पृथक करने की व्यवस्थाओं ने गांधी जी को आहत कर दिया थी।
- कम्युनल एवार्ड की घोषणा होते ही सबसे पहले तो गांधीजी ने ब्रिटिश प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर इसे बदलवाने का प्रयास किया, परंतु जब उन्होंने देखा के यह निर्णय बदला नहीं जा रहा, तो उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया।
- दलितों के लिए की गई पृथक निर्वाचक मंडल की व्यवस्था का गांधीजी ने विरोध किया और पूना की यरवदा जेल में 20 सितंबर 1932 को गांधी जी ने अनशन शुरू कर दिया।
- गांधीजी की हालत ख़राब होने लगी तब राजेंद्र प्रसाद व मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 24 सितंबर 1932 को गांधी जी और अंबेडकर के मध्य पूना समझौता हुआ जिसमें संयुक्त हिंदू निर्वाचन व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के लिए स्थान आरक्षित रखने पर सहमति बनी इसी समझौते को पूना पैक्ट(The Poona Pact) भी कहा जाता है।
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पूना समझौता (The Poona Pact) : मुख्य बिंदु
- पूना समझौते में डॉ॰ अम्बेडकर को कम्युनल अवॉर्ड में मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ना पड़ा तथा संयुक्त निर्वाचन पद्धति को स्वीकार करना पडा था।
- कम्युनल अवार्ड से दलितों को मिली 71 आरक्षित सीटों की बजाय पूना पैक्ट में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा कर 148 कर दी गई।
इस समझौते में अछूत लोगो के लिए प्रत्येक प्रांत में शिक्षा अनुदान में पर्याप्त राशि नियत की गई और सरकारी नौकरियों से बिना किसी भेदभाव के दलित वर्ग के लोगों की भर्ती को सुनिश्चित किया गया। - अंबेडकर ने गांधी के इस अनशन को अछूतों को उनके राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें उनकी माँग से पीछे हटने के लिये दवाब डालने के लिये गांधी द्वारा खेला गया एक नाटक करार दिया।
- 1942 में आम्बेडकर ने इस समझौते का धिक्कार किया, उन्होंने ‘स्टेट ऑफ मायनॉरिटी’ इस अपने ग्रंथ में भी पूना समझौता से सम्बंधित तथ्यों पर नाराजगी व्यक्त की है।
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