1. भारत ड्रोन महोत्सव 2022
सामान्य अध्ययन: 3
प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी का महत्त्व।
संदर्भ:
- प्रधानमंत्री ने भारत के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव- भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन किया।
विवरण:
- प्रधानमंत्री ने कहा, "8 वर्ष पहले यही वो समय था, जब भारत में सुशासन के नवीन उपायों को लागू करने की शुरुआत हुई थी। मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के मार्ग पर चलते हुए, इज ऑफ लिविंग, इज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्राथमिकता दी गई। साथ ही, नागरिक को सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया।
- प्रधानमंत्री ने बताया कि आज देश में जो मजबूत UPI फ्रेमवर्क विकसित किया गया है, उसकी सहायता से गरीबों के बैंक खाते में नकद का ट्रांसफर किया जा रहा है। महिलाओं को, किसानों को, विद्यार्थियों को अब सीधे सरकार से मदद मिल रही है।
- ड्रोन टेक्नोलॉजी कैसे एक बड़ी क्रांति का आधार बन रही है, इसका एक उदाहरण पीएम स्वामित्व योजना है। इस योजना के तहत पहली बार देश के गांवों की हर प्रॉपर्टी की डिजिटल मैपिंग की जा रही है, लोगों को डिजिटल प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा रहे हैं।
- "ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना सुशासन और जीवन को आसान बनाने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने का एक और माध्यम है। ड्रोन के रूप में हमारे पास एक स्मार्ट टूल है जो आम लोगों के जीवन का हिस्सा बनने जा रहा है।" इसका उपयोग रक्षा, आपदा प्रबंधन, कृषि, पर्यटन, फिल्म और मनोरंजन के क्षेत्र में किया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री ने विभिन्न कार्य की प्रगति की समीक्षाओं और केदारनाथ परियोजनाओं के उदाहरणों के माध्यम से आधिकारिक निर्णय लेने में ड्रोन के महत्त्व का भी उल्लेख किया।
- पीएलआई योजना के माध्यम से भारत में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग को सशक्त किया जा रहा है। "तकनीक की पहुँच जब जन-जन तक होती है तो उसके उपयोग की संभावनाएं भी उसी के अनुरूप बढ़ जाती हैं।"
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
2. वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने का लक्ष्य
- कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज तैयार किया है।
- “कोयला गैसीकरण भविष्य है। कोयले को जलाने की तुलना में कोयला गैसीकरण को स्वच्छ विकल्प माना जाता है। गैसीकरण से कोयले के रासायनिक गुणों के उपयोग की सुविधा प्रदान प्राप्त होती है।”
- तकनीकी प्रगति से कोयला की अधिक मात्रा में प्राप्ति, खनन कार्यों में सुगमता, उत्पादकता में वृद्धि, अधिक सुरक्षा और लागत में मदद मिल रही है। इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- भारत की हाइड्रोजन की मांग वर्ष 2030 तक बढ़कर 11.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष होने की संभावना है, जो वर्तमान में 6.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। “रिफाइनरी और उर्वरक संयंत्र अब हाइड्रोजन के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, जो प्राकृतिक गैस से उत्पादित किए जा रहे है। कोयला गैसीकरण के दौरान होने वाली प्रक्रियाओं में कोयले के माध्यम से इसका उत्पादन किया जा सकता है।”
3. रक्षामंत्री ने कारवाड़ में स्टेल्थ सबमरीन ‘आईएनएस खंडेरी’ में समुद्री यात्रा की
- रक्षामंत्री ने कर्नाटक स्थित कारवाड़ नौसेना बेस की यात्रा के दौरान ‘आईएनएस खंडेरी’ पर समुद्र की यात्रा की तथा अत्याधुनिक सबमरीन की युद्ध क्षमताओं के साथ ही इसकी आक्रामक शक्ति की जानकारी ली।
- प्रोजेक्ट 75 सबमरीन की दूसरी सबमरीन को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत मझगांव डॉक इंडिया लिमिटेड, मुंबई में बनाया गया था। रक्षामंत्री द्वारा 28 सितंबर 2019 को आईएनएस खंडेरी को कमीशन किया गया था।
- स्कॉर्पीन सबमरीन अत्यधिक शक्तिशाली सबमरीन है। इसमें अत्याधुनिक गुप्त विशेषताएं हैं और यह लम्बी दूरी के गाइडेड टॉर्पेडो तथा एंटी शिप मिसाइलों से लैस हैं। इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक सोनर तथा सेंसर सुइट लगे हुए हैं जो असाधारण कार्रवाई क्षमता को सक्षम करते हैं।
- वर्तमान में इस श्रेणी की चार पनडुब्बियों का संचालन भारतीय नौसेना करती है। आशा है कि वर्ष के अंत तक दो और पनडुब्बियां शामिल कर ली जाएंगी। इन पनडुब्बियों के शामिल किए जाने से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की जल के अंदर की क्षमता काफी बढ़ गई है।
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