पीआईबी सारांश एवं विश्लेषण - 19 मई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 19th, 2022

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भारत सरकार से मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी की विज्ञप्ति सिविल सेवा परीक्षा के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण उम्मीदवारों को समसामयिक मामलों के संबंध में समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

Table of Content

1. चीनी सत्र 2017-18 की तुलना में 2021-22 में चीनी का निर्यात 15 गुना हुआ: 

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि:

विषय: पारंपरिक कृषि के क्षेत्र में निवेश और नवाचार बढ़ाना ।  

प्रारंभिक परीक्षा:  चीनी निर्यात  

मुख्य परीक्षा:वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण से देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा ?  

प्रसंग: 

  • चीनी सत्र 2017-18 की तुलना में 2021-22 में चीनी का 15 गुना ज्यादा निर्यात हो चुका है।  

उद्देश्य:

  • आयात करने वाले प्रमुख देशों में इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, यूएई, मलेशिया और अफ्रीकी देश शामिल हैं। 
  • बीते 8 साल के दौरान एथेनॉल का उत्पादन 421 करोड़ लीटर से बढ़कर 867 करोड़ लीटर हो गया है । 
  • 2014 से अब तक चीनी मिलों और डिस्टलरीज ने ओएमसी कंपनियों को एथेनॉल की बिक्री से 64,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व अर्जित किया। 
  • गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार पिछले 8 साल के दौरान गन्ने का एफआरपी लगभग 31 प्रतिशत तक बढ़ा चुकी है। 

विवरण:  

  • चीनी सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था। 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य की तुलना में लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया था। 
  • अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के क्रम में, सरकार अतिरिक्त गन्ने को एथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित कर रही है। 
  • कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने, कच्चे तेल का आयात कम कर विदेशी मुद्रा बचाने और वायु प्रदूषण घटाने के विजन के साथ, सरकार ने पेट्रोल के साथ 2022 तक 10 फीसदी और 2025 तक 20 फीसदी ईंधन ग्रेड का एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया है।
  • 2014 तक,शीरा आधारित डिस्टिलरीज की एथेनॉल आसवन क्षमता सिर्फ 215 करोड़ लीटर थी। 
    • हालांकि पिछले 8 साल के दौरान सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के चलते यह क्षमता बढ़कर 569 करोड़ लीटर हो गई है। 
    • अनाज आधारित डिस्टिलरीज की क्षमता बढ़कर 298 करोड़ लीटर हो गई है, जो 2014 में 206 करोड़ लीटर थी। 
    • इस प्रकार महज 8 साल में कुल एथेनॉल का उत्पादन 421 करोड़ लीटर से बढ़कर 867 करोड़ लीटर हो गया है।
  • वर्तमान ईएसवाई 2021-22 में पेट्रोल के साथ लगभग 186 करोड़ लीटर एथेनॉल के मिश्रण के साथ 9.90 प्रतिशत मिश्रण हासिल कर लिया गया है। 
  • ऐसा अनुमान है कि वर्तमान एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 में, हम 10 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
  • चीनी क्षेत्र को समर्थन देने के उद्देश्य से और गन्ना किसानों के हित में, सरकार ने बी-हेवी मोलासिस, गन्ने के रस, चाशनी और चीनी से एथेल के उत्पादन को भी मंजूरी दे दी है। 
  • सरकार अतिरिक्त गन्ने से एथेनॉल के उत्पादन के उद्देश्य से चीनी मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए गन्ने के रस/ चीनी/ चाशनी से निकलने वाले सी-हेवी और बी-हेवी शीरे से प्राप्त एथेनॉल का लाभकारी मिल मूल्य निर्धारित करने जा रही है।
  • ईंधन ग्रेड के एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए, सरकार डिस्टिलरीज को मक्का और एफसीआई के पास उपलब्ध धान से भी एथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है। सराकर ने मक्का और एफसीआई धान के लिए एथेनॉल का लाभकारी मूल्य तय कर दिया है।

2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण से देश की अर्थव्यवस्था पर असर:

  • इससे मक्का और धान किसानों को लाभ होगा, अतिरिक्त खाद्यान्न की समस्या का हल निकलेगा; लगभग 165 लाख टन खाद्यान्न का उपयोग होगा।
  • 60 लाख टन अतिरिक्त चीनी के डायवर्जन से अतिरिक्त चीनी की समस्या का समाधान निकलेगा, चीनी की जल्दबाजी में बिक्री पर रोक लगेगी, चीनी मिलों की तरलता की स्थिति में सुधार होगा और किसानों को समय से गन्ना बकाये का भुगतान मिलेगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिस्टिलरीज की स्थापना के लिए लगभग 41,000 करोड़ रुपये के नए निवेश के अवसर खुलेंगे और गांवों में बड़ी संख्या में रोजगारों का सृजन होगा।
  • वायु की गुणवत्ता में सुधार हो, कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन में 30-50 प्रतिशत और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन में 20 प्रतिशत तक की कमी आएगी।
  • कच्चे तेल के आयात बिल में 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा की बचत होगी और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। 
  • इससे पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिलेगी।
  • चीनी की कीमतों में गिरावट के चलते चीनी मिलों को होने वाले नकद नुकसान से बचाने के लिए, सरकार ने जून, 2018 में चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) की अवधारणा प्रस्तुत की और चीनी का एमएसपी 29 रुपये प्रति किग्रा तय कर दिया गया। इसे बाद में 31 रुपये प्रति किग्रा कर दिया गया, जो 14.02.2019 से प्रभावी है।
  • इसके अलावा, अतिरिक्त भंडार को बेचने और चीनी मिलों की तरलता की स्थिति में सुधार के माध्यम से उन्हें किसानों के गन्ना बकाये का समयबद्ध भुगतान में सक्षम बनाने के लिए सरकार ने पिछले 8 साल के दौरान समय-समय पर कई अल्पकालिक उपाय किए हैं। 
  • इनमें गन्ने की लागत की भरपाई के लिए चीनी मिलों को सहायता उपलब्ध कराना, बफर स्टॉक्स के रखरखाव के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देना, चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता व चीनी मिलों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।

 

      प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

2. भारत की पारंपरिक सोवा-रिगपा, चिकित्सा प्रणाली:

  • आयुष मंत्रालय के तहत लेह स्थित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोवा-रिगपा सिक्किम के नामग्याल इंस्‍टीट्यूट ऑफ तिब्‍बतोलॉजी (एनआईटी) के सहयोग से 20 और 21 मई को पूर्वोत्तर राज्यों के सोवा-रिगपा चिकित्सकों के लिए सोवा-रिगपा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
  • सोवा-रिगपा, चिकित्सा प्रणाली 2500 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ दुनिया की सबसे पुरानी जीवित और अच्छी तरह से प्रमाणित चिकित्सा परंपराओं में से एक है।
  • इसे आमची के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है और लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और दार्जिलिंग में काफी प्रचलित है।

 

3. विश्व मधुमक्खी दिवस:

  • केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस पर वृहद राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन टेंट सिटी-II, एकता नगर, नर्मदा, गुजरात में कर रहा है।
  • इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देते हुए देश के छोटे किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाना है।
  • लोगों को स्वस्थ रखने व इस संदर्भ में विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने में मधुमक्खियों एवं अन्य परागणकों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में घोषित किया है। 
  •  इस अवसर पर मधुक्रांति पोर्टल में मधुमक्खीपालकों का आजीवन पंजीकरण अभियान चलाने के लिए मधुक्रांति पोर्टल की कार्यान्वयन एजेंसी इंडियन बैंक भी एक स्टॉल लगाएगी।  
  • इस अवसर पर गुजरात से जम्मू-कश्मीर में पुलवामा, बांदीपोरा व जम्मू,  कर्नाटक के तुमकुर, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर  तथा पुणे और उत्तराखंड में स्थापित हनी टेस्टिंग लैब एंड प्रोसेसिंग यूनिट का उद्घाटन किया जाएगा।    

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