पीआईबी सारांश एवं विश्लेषण - 18 मई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 18th, 2022

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भारत सरकार से मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी की विज्ञप्ति सिविल सेवा परीक्षा के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण उम्मीदवारों को समसामयिक मामलों के संबंध में समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

Table of Content

1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति– 2018 में संशोधन को मंजूरी दी: 

सामान्य अध्ययन: 2,3

शासन,अर्थव्यवस्था: 

विषय: ऊर्जा 

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति– 2018 ।  

मुख्य परीक्षा: मौजूदा राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति 2018 में प्रस्तावित संशोधन से मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा तथा जैव-ईंधन के अधिक से अधिक उत्पादन के जरिये पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कटौती संभव होगी। कथन की व्याख्या कीजिए ?

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 में संशोधन किये जाने को मंजूरी दे दी है। 

उद्देश्य:

  • राष्ट्रीय जैव-ईधन नीति, जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के जरिये 2009 में लागू किया गया था, के स्थान पर “राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018” को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 04 जून, 2018 को अधिसूचित किया था। 

विवरण:

  • जैव-ईंधन में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) की विभिन्न बैठकों में जैव-ईंधन उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया गया। 
  • इसी तरह 01 अप्रैल, 2023 से देशभर में 20 प्रतिशत तक के एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिये पहलकदमी करने के बारे में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी निर्णय लिया गया, जिसके अलोक में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति में संशोधन किये जा रहे हैं।
  • राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के लिये स्वीकृत मुख्य संशोधन इस प्रकार हैं:
  1. जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये अधिक फीडस्टॉक्स को मंजूरी,
  2. पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को ईएसवाई 2030 से पहले 2025-26 में ही प्राप्त करना,
  3. iii. मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक जोन (सेज)/निर्यातोन्मुख इकाइयों (ईओयू) द्वारा देश में जैव-ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहन,
  4. एनबीसीसी में नये सदस्यों को जोड़ना,
  5. विशेष मामलों में जैव-ईंधन के निर्यात की अनुमति देना, और
  6. राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति की बैठकों के दौरान लिये गये निर्णयों के अनुपालन में नीति को संशोधित करना।
  • इस प्रस्ताव ने स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये आकर्षण और समर्थन बढ़ेगा, जिससे मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा और अधिक रोजगार पैदा होंगे।  
  • मौजूदा राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति 2018 में बनी थी। 
    • इस प्रस्तावित संशोधन से मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा तथा जैव-ईंधन के अधिक से अधिक उत्पादन के जरिये पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कटौती संभव होगी। 
    • जैव-ईंधन के लिये कई सारे फीडस्टॉक्स को मंजूरी दी जा रही है। 
    • इस कदम से आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन मिलेगा तथा 2047 तक भारत के “ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र” होने की परिकल्पना को गति मिलेगी।

 

2. डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का पहला परीक्षण : 

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी:

विषय: देश में व्यापक भागीदारी और व्यापक आधार वाले स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोहत्साहन।  

प्रारंभिक परीक्षा:  नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल।   

प्रसंग: 

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने 18 मई, 2022 को ओडिशा के समुद्र तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), चांदीपुर से नौसेना हेलीकॉप्टर के जरिए स्वदेशी रूप से विकसित नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफलतापूर्वक पहला उड़ान परीक्षण किया।  

उद्देश्य:

  • इस मिशन ने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया। यह भारतीय नौसेना के लिए पहली स्वदेशी रूप से विकसित हवा से लॉन्च की जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल है। 

विवरण:  

  • इस एंटी-शिप मिसाइल ने वांछित समुद्री स्किमिंग प्रक्षेपवक्र का अनुसरण किया और नियंत्रण, मार्गदर्शन और मिशन एल्गोरिदम को मान्य करते हुए उच्च सटीकता के साथ निर्दिष्ट लक्ष्य को भेदा। 
  • इस मिसाइल में कई नई तकनीकों को शामिल किया गया है जिसमें हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लांचर भी शामिल है। 
  • मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नौसंचालन प्रणाली और एकीकृत वैमानिकी शामिल हैं। 

 

3. भारत में असमानता पर रिपोर्ट जारी: 

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था: 

विषय: भारत में असमानता की स्थिति  

प्रारंभिक परीक्षा:  आर्थिक सलाहकार परिषद,आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), राष्ट्रीय परिवार, स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) । 

मुख्य परीक्षा:  इस रिपोर्ट द्वारा भारत में असमानता की प्रवृत्ति व गहराई का विश्लेषण किया गया है ? इसके महत्व की व्याख्या कीजिए। 

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डॉक्टर बिबेक देबरॉय ने "भारत में असमानता की स्थिति" पर रिपोर्ट जारी की।  

उद्देश्य:

  • संस्थान द्वारा यह रिपोर्ट भारत को प्रतिस्पर्धा बनाने और भारत में असमानता की प्रवृत्ति व गहराई के समग्र विश्लेषण को प्रदर्शित करने के लिए जारी की जाती है।
  • यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं और श्रम बाज़ार के क्षेत्रों की असमानताओं पर जानकारी इकट्ठा करती है। 
    • जैसा रिपोर्ट कहती है, इन क्षेत्रों की असमानताएं आबादी अधिक संवेदनशील बनाती हैं और बहुआयामी गरीबी की ओर फिसलन को मजबूर करती हैं। 

विवरण:  

  • असमानता एक भावात्मक मुद्दा है। यह एक अनुभवजन्य मुद्दा भी है, क्योंकि इसकी परिभाषा और माप, उपयोग किए गए पैमानों और आंकड़ों पर निर्भर करती है। 
  • गरीबी को कम करने और रोजगार को बढ़ाने के लिए 2014 के बाद से केंद्र सरकार ने मापन के अलग-अलग पैमाने जारी किए हैं, जो समावेश को बुनियादी जरूरत का प्रावधान मानते हैं। 
  • यह ऐसे पैमाने हैं जिन्होंने भारत को कोविड महामारी के झटके को बेहतर ढंग से सहने के लिए तैयार किया। 
  • यह रिपोर्ट समावेश और बहिष्कार दोनों का मापन करती है और नीतिगत बहस में योगदान देती है।
  • रिपोर्ट के दो हिस्से हैं- आर्थिक पहलू और सामाजिक-आर्थिक पहलू।
    • रिपोर्ट उन पांच अहम क्षेत्रों पर ध्यान देती है, जो असमानता की प्रवृत्ति और अनुभव को प्रभावित करते हैं। 
    • इनमें,आय का वितरण व श्रम बाजार गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा और पारिवारिक विशेषताएं शामिल हैं। 
    • यह रिपोर्ट आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), राष्ट्रीय परिवार, स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) और यूडीआईएसई+ से हासिल किए गए आंकड़ों पर आधारित है। 
    • रिपोर्ट में असमानता की मौजूदा स्थिति, चिंता के क्षेत्र, अवसंरचनात्मक क्षमताओं में सफलता व असफलताओं के साथ-साथ असमानता पर प्रभाव डालने वाले अलग-अलग विषयों पर कई अध्याय शामिल हैं। 
    • रिपोर्ट देश में मौजूद अलग-अलग वंचनाओं पर समग्र विश्लेषण को पेश कर असमता की अवधारणा को विस्तार देती है। 
  • यह रिपोर्ट 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में संपदा-संपत्ति अनुमानों के परे जाती है, क्योंकि संपदा अनुमान सिर्फ आंशिक तस्वीर ही पेश करते हैं। 
    • पहली बार रिपोर्ट में पूंजी के प्रवाह को समझने के लिए आय के वितरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 
    • रिपोर्ट जोर देते हुए कहती है कि संपदा का संकेंद्रण, असमानता के कारक के तौर परिवारों की खरीद क्षमता में हुए बदलाव की सही तस्वीर पेश नहीं करता। 
    • पीएलएफएस 2019-20 से खोजे गए आंकड़ों से पता चलता है कि जितनी संख्या में कमाने वाले लोग होते हैं, उनमें से शुरुआती 10% का मासिक वेतन 25,000 है। 
    • शुरुआती 1% कमाने वाले लोग, कुल मिलाकर कुल आय का 6-7% कमाते हैं। जबकि शुरुआती 10% कमाऊ लोग, कुल एक तिहाई आय की हिस्सेदारी रखते हैं। 
    • 2019-20 में भिन्न रोजगार वर्गों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी स्वरोजगार कर्मियों (45.78%), नियमित वेतनकर्मी (33.5%) और अनौपचारिक कर्मचारी (20.71%) की थी। 
    • सबसे कम आय वाले वर्ग में भी स्वरोजगार वाले कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है। देश की बेरोजगारी दर 4.8% (2019-20) है और कामगार-आबादी का अनुपात 46.8% है।
  • स्वास्थ्य अवसंरचना के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है, जिसमें ग्रामीण इलाकों पर अधिक ध्यान दिया गया   है। 
  • भारत में 2005 में 1,72,608 स्वास्थ्य केंद्र थे, अब 2020 में इनकी संख्या 1,85,505 है। 
    • राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और चंडीगढ़ जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2005 से 2020 के बीच स्वास्थ्य केंद्रों (इनमें उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं) में बहुत बढ़ोत्तरी की है। 
  • एनएफएचएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के नतीजे बताते हैं कि 2015-16 के शुरुआती तीन महीनों में गर्भवती महिलाओं में से 58.6 % महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था, जो 2019-21 में बढ़कर 70% हो गया। 
    • बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में से 78% को बच्चे के जन्म के बाद, दो दिन के भीतर नर्स या डॉक्टर की तरफ से सेवा-सुविधा उपलब्ध कराई गई। 
    • रिपोर्ट आगे कहती है,अधिक वजन, कम वजन और एनीमिया (खासकर बच्चों, किशोरी बालिकाओं और गर्भवती महिलाओं में) की स्थिति को प्रदर्शित करने वाला कुपोषण चिंता का विषय है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।  
  • रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा और पारिवारिक स्थितियां, कुछ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की लक्षित कोशिशों की वजह से काफी अच्छी हुई हैं। 
    • खासतौर पर जल उपलब्धता और स्वच्छता के क्षेत्र में ऐसा हुआ है, जिससे रहन-सहन के स्तर में सुधार हुआ है। 
      • रिपोर्ट कहती है कि बुनियादी सालों में किया गया शिक्षा और संज्ञानात्मक विकास असमानता के लिए दीर्घकालीन सुधार उपाय हैं। 
      • 2019-20 तक 95% स्कूलों में परिसर के भीतर शौचालय सुविधाएं (लड़कों के 95.9% सुचारू शौचालय और लड़कियों के 96.3% सुचारू शौचालय) थीं। 
      • 80.16% स्कूलों में सुचारू विद्युत कनेक्शन था, जबकि गोवा, तमिलनाडु, चंडीगढ़, दिल्ली और दादरा व नगर हवेली के साथ-साथ दमन व दीव, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी में 100% स्कूलों में विद्युत कनेक्शन मौजूद थे। 
      • 2018-19 और 2019-20 के बीच सकल नामांकन अनुपात भी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में बढ़ा है।  
      • जबकि पारिवारिक स्थितियों की बात करें, तो स्वच्छता और सुरक्षित पीने योग्य जल तक पहुंच से ज्यादातर परिवार सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं। 
      • एनएफएचएस-5 (2019-20) के मुताबिक, 97% परिवारों के पास विद्युत पहुंच उपलब्ध है, जबकि 70% के पास बेहतर सफाई सेवाओं तक पहुंच है और 96% को सुरक्षित पीने योग्य पानी उपलब्ध है।
  • असमानता पर उपलब्ध जानकारी, जिसे यह रिपोर्ट सामने लाती है, वह रणनीतियां बनाने, सामाजिक विकास और साझा खुशहाली के लिए रोडमैप तैयार करने में मददगार साबित होगी। 
  • कुछ सुझाव भी दिए गए, जैसे- आय का वर्गीकरण; जिससे संबंधित वर्ग की जानकारी भी मिलती है, सार्वभौमिक बुनियादी आय, नौकरियों के सृजन, खासतौर पर उच्च शिक्षित लोगों के लिए और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजट बढ़ाने का सुझाव।

 

4. भारी उद्योग मंत्रालय ने राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए: 

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था: 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधनों, विकास तथा रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी)।   

प्रसंग: 

  • भारी उद्योग मंत्रालय ने भारतीय पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शुरू करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।  

उद्देश्य:

  • यह समझौता भारतीय पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को सुविधाजनक बनाएगा। 
  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य पूंजीगत वस्तुओं के निर्माण के लिए भारत को वैश्विक केंद्र बनाना है।  

विवरण:  

  • समझौता ज्ञापन के अनुसार, भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से एनआरडीसी, पूंजीगत वस्तु योजना चरण- I और II आदि के तहत विकसित उत्पादों के लिए योजना के मूल्यांकन और समीक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रबंधन और व्यावसायीकरण के समर्थन जैसे क्रियाकलापों का संचालन करेगा।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को उच्च विकास की गति पर लाने के लिए यह समझौता ज्ञापन निश्चित रूप से हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने में सक्षम होगा।  
  • यह ध्यान देने योग्य है कि भारी उद्योग मंत्रालय ने 25 जनवरी, 2022 को सामान्य प्रौद्योगिकी विकास और सेवाओं के बुनियादी ढांचे को सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के चरण- II में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की योजना को अधिसूचित किया है। 
    • इस योजना का वित्तीय परिव्यय 1207 करोड़ रुपये है, जिसमें 975 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन और पूंजीगत वस्तु योजना क्षेत्र के चरण- I द्वारा बनाए गए प्रभाव को बढ़ाने के लिए 232 करोड़ रुपये का उद्योग योगदान शामिल है, ताकि एक मजबूत और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के निर्माण के माध्यम से अधिक प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके।

 

5. राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद का जमैका संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के दौरान संबोधन: 

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: भारत के हितों पर मित्र देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।  

प्रारंभिक परीक्षा: जमैका की भौगोलिक अवस्थिति।   

मुख्य परीक्षा: भारत-जमैका संबंधों के 60 वर्ष पूर्ण होने पर एक लेख लिखिए।  

प्रसंग: 

  • राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने 17 मई, 2022 को किंग्सटन में जमैका की संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सम्बोधित किया।  

उद्देश्य:

  • इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधि होने के नाते, जमैका के  नेताओं की गरिमामयी उपस्थिति में सदन को सम्बोधित करना उनके लिये सम्मान की बात है। 
    • उन्होंने कहा कि न सिर्फ भारतीय समुदाय और सांस्कृतिक बंधन दोनों देशों को एक-दूसरे के करीब लाते हैं, बल्कि लोकतंत्र और मुक्ति में विश्वास भी हमें एक-दूसरे से बांधता है। 
    • जमैका के संविधान का मुख्य स्तंभ यही है कि सारे नागरिक समान हैं। 
    • हमारे संस्थापक पूर्वजों ने भी इसी विश्वास को साझा किया और भारत के हर नागरिक के लिये व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कामना की। 
    • उन लोगों ने आजादी, लोकतंत्र और उसकी आत्मा के रूप में समानता के आधार पर आधुनिक राष्ट्र की रचना की।  
    • उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम ‘अनेकता में एकता’ के मूलमंत्र को हमेशा याद रखें, जो जमैका की मूलभावना ‘आउट ऑफ मैनी, वन पीपुल’ के समकक्ष है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के पड़ोस में जमैका की रणनीतिक स्थिति और अंग्रेजी जानने वाले उसके प्रतिभाशाली युवाओं के बल पर जमैका के लिये यह शानदार अवसर है कि वह ‘ज्ञान का राजमार्ग’ बने तथा चौथी औद्योगिक क्रांति से लाभ उठाये। 
  • भारत, जमैका के विजन 2030 को साझा करता है, जिसके तहत जमैका ने अपने लोगों के सशक्तिकरण बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जहां सुरक्षित, एकीकृत और न्यायपूर्ण समाज होगा। इस तरह वह एक समृद्ध और स्थायी अर्थव्यवस्था बन जायेगा।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, जमैका के साथ साझीदारी करने और अपने तकनीकी कौशल, ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने के लिये तैयार है, जिससे जमैका की शिक्षा और व्यापार परिदृश्य में बदलाव आ जायेगा। 
    • भारत और जमैका अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करने में सहयोग कर रहे हैं। 
    • रेलवे और कृषि सेक्टरों में भी साझीदारी की अपार संभावनायें हैं, जो भारत की प्रमुख ताकतें हैं।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार और आर्थिक सहयोग भारत-जमैका मैत्री के महत्त्वपूर्ण स्तम्भ हैं। 

विवरण:   

  • राष्ट्रपति की जमैका की पहली राजकीय यात्रा हैं। इस वर्ष दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को 60 वर्ष पुरे हो रहे हैं, जिसके क्रम में उनकी यह यात्रा किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की जमैका की पहली राजकीय यात्रा है।
  • भारत और भारतवासियों के मन में जमैका का विशेष स्थान है। आज से 175 वर्ष से भी अधिक समय पहले 10 मई, 1845 को 200 भारतीयों को लेकर एक जहाज जमैका पहुंचा था। तभी से जीवन के हर क्षेत्र में काम करने वाला भारतीय इस सुंदर देश में आता रहा है और इसे अपना घर बनाता रहा है।  
  • भारत और जमैका कई मायनों में स्वाभाविक साझीदार हैं। दोनों देश मजबूत और जीवन्त लोकतंत्र होने के नाते, दोनों देश नैतिकतापूर्ण व्यापार आचरण के अभिलाषी हैं तथा दोनों देश समावेशी, समतावादी, स्थिर, सुरक्षित और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने वाले देश हैं, इसलिये यह तर्कसंगत बात है कि दोनों एक-साथ मिलकर काम करना चाहेंगे।
  • व्यापार और आर्थिक सहयोग हमारी मैत्री के महत्‍वपूर्ण स्तम्भ हैं। हमारी दोनों अर्थव्यवस्थाय़ें एक-दूसरे की पूरक हैं, न केवल व्यापार में, बल्कि डिजिटल क्रांति के जरिये हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने में भी।  
  • हमें अपनी युवा प्रतिभाओं को कृत्रिम बौद्धिकता, रोबोटिक्स, जमैकी की पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद जैसे क्षेत्रों तथा जलवायु-अनुकूल विश्व की रचना के लिये संलग्न करना चाहिये। हमें उनकी परिकल्पना और ऊर्जा को समृद्शाली, प्रगतिशील और शांतिपूर्ण समाज की रचना में लगाना चाहिये। 
  • वे अपने साथ भारत से चंदन का एक पौधा लेकर गए हैं,जिसे होप बोटैनिकल गार्डन के भारत-जमैका मित्रता उद्यान में लगाया गया ।
    • भारत से जमैका लगभग 15 हजार किलोमीटर दूर हैं। वहां के सदन में भारतीय मूल के कई सदस्य हैं।
    • लेडी एलन का भी भारतीय नाता है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि किंग्स हाउस भी सांस्कृतिक आलिंगन में बंध गया है। 

 

      प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

6. प्रधानमंत्री और कम्बोडिया के प्रधानमंत्री के बीच वर्चुअल बैठक:

  • प्रधानमंत्री मोदी और कम्बोडिया के प्रधानमंत्री सम्देच अक्का मोहा सेना पेदाई तेचो हुन सेन के बीच वर्चुअल माध्यम से बैठक हुई।
  • दोनों शीर्ष नेताओं ने व्यापार और निवेश, मानव संसाधन विकास, रक्षा और सुरक्षा, विकास सहयोग, कनेक्टिविटी, महामारी के बाद आर्थिक बहाली तथा लोगों के बीच मेलजोल सहित सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों ने द्विपक्षीय सहयोग के आगे बढ़ने की प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त किया।
  • प्रधानमंत्री हुन सेन ने जोर देते हुये कहा कि कम्बोडिया, भारत के साथ अपने सम्बंधों को बहुत महत्त्व देता है। 
  • प्रधानमंत्री मोदी ने इसी भावना को दोहराया और कहा कि भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति में कम्बोडिया की अहम भूमिका है। 
  • दोनों नेताओं ने दोनों देशों की मजबूत विकास साझीदारी का जायजा लिया, जिसमें मेकॉन्ग-गंगा सहयोग प्रारूप के तहत क्षमता निर्माण कार्यक्रम और त्वरित प्रभावी परियोजनायें शामिल हैं।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतामूलक संपर्क को भी रेखांकित किया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि कम्बोडिया में आंगकोर वाट तथा प्रेहअ विहिअर मंदिरों के पुनर्निमाण में भारत सहयोग कर रहा है। इससे दोनों देशों के बीच के सांस्कृतिक और भाषाई जुड़ाव का पता चलता है।
  • प्रधानमंत्री हुन सेन ने क्वॉड वैक्सीन पहल के तहत कम्बोडिया को भारत में बनी कोविशील्ड वैक्सीन की 3.25 लाख खुराकें उपलब्ध कराने के लिये भारत को धन्यवाद दिया।
  • दोनों नेताओं ने भारत और कम्बोडिया के बीच राजनयिक सम्बंधों की स्थापना के 70 वर्ष हो जाने पर एक-दूसरे को बधाई दी, जिसे इस वर्ष मनाया जा रहा है।
  • दोनों नेताओं ने आपसी हितों से सम्बंधित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।
  • प्रधानमंत्री ने आसियान की अध्यक्षता प्राप्त करने पर कम्बोडिया को बधाई दी और आश्वस्त किया कि कम्बोडिया के कार्यकाल को सफल बनाने में भारत पूरा समर्थन और सहयोग देगा।

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