पीआईबी सारांश एवं विश्लेषण - 01 जुलाई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : July 1st, 2022

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भारत सरकार से मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी की विज्ञप्ति सिविल सेवा परीक्षा के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण उम्मीदवारों को समसामयिक मामलों के संबंध में समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

Table of Content

1. भारत की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना की शुरुआत: 

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: ऊर्जा और उससे संबंधित क्षेत्र।  

प्रारंभिक परीक्षा: भारत की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना

मुख्य परीक्षा: इस परियोजना के लाभ   

प्रसंग: 

  • भारत की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना अब पूरी तरह से चालू हो गई है। NTPC ने रामागुंडम, तेलंगाना में 100 मेगावाट रामागुंडम तैरती सौर पीवी परियोजना में से 20 मेगावाट की अंतिम भाग क्षमता के वाणिज्यिक संचालन की घोषणा की।

विवरण:  

  • रामागुंडम में 100 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना के संचालन के साथ, दक्षिणी क्षेत्र में तैरती सौर क्षमता का कुल वाणिज्यिक संचालन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया।  इससे पहले, NTPC ने कायमकुलम (केरल) में 92 मेगावाट तैरती सौर ऊर्जा और सिम्हाद्री (आंध्र प्रदेश) में 25 मेगावाट तैरती सौर ऊर्जा के वाणिज्यिक संचालन की घोषणा की।
  • रामागुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर परियोजना में उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया है इसके साथ-साथ यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। मेसर्स भेल के माध्यम से EPC (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) अनुबंध के रूप में 423 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है। यह परियोजना 40 खंडों में विभाजित है और इनमें से प्रत्येक की क्षमता 2.5 मेगावाट है। प्रत्येक खंड में एक तैरता प्लेटफॉर्म और 11,200 सौर मॉड्यूल का समूह है। तैरते प्लेटफार्म में एक इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर और एक एचटी ब्रेकर होता है। सौर मॉड्यूल HDPE (उच्च घनत्व पॉलिएथिलीन) सामग्री से निर्मित फ्लोटर्स पर रखे जाते हैं।
  • तैरते रहने वाली इस पूरी प्रणाली (फ्लोटिंग सिस्टम) को विशेष HMPE (हाई मॉड्यूलस पॉलीइथाइलीन) रस्सी के माध्यम से स्थिर जलाशय क्षेत्र (बैलेंसिंग रिजरवायर बेड)  तक स्थापित किया जा रहा है। मौजूदा स्विच यार्ड तक बिजली 33 KV भूमिगत केबल के माध्यम से पहुंचाई जा रही है। यह परियोजना इस मायने में विशिष्ट है कि इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर, एचटी पैनल और SCADA (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण) सहित सभी विद्युत उपकरण भी तैरते फेरो सीमेंट प्लेटफॉर्म पर हैं। 

लाभ

  • पर्यावरण के दृष्टिकोण से, सबसे स्पष्ट लाभ न्यूनतम भूमि की आवश्यकता है जो ज्यादातर निकासी व्यवस्था से जुड़ा है। इसके अलावा, तैरते हुए सौर पैनलों के साथ, जल निकायों से वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है और जल संरक्षण में मदद मिलती है।
  • प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण से बचा जा सकता है। सौर मॉड्यूल के नीचे का जल निकाय परिवेश के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है। 
  • इसी तरह, प्रति वर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत से बचा जा सकता है और प्रति वर्ष 2,10,000 टन के कार्बन डाइऑक्साइड (Co2) उत्सर्जन से बचा जा सकता है।

 

2. स्टार्टअप में निवेश की सुविधा के लिए एंजेल फंड के सम्बन्ध में नियामकीय रूपरेखा

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था:

विषय:  निवेश मॉडल। 

प्रारंभिक परीक्षा: एंजेल फंड

मुख्य परीक्षा: स्टार्टअप में निवेश की सुविधा के लिए एंजेल फंड के सम्बन्ध में नियामकीय रूपरेखा  

प्रसंग: 

  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों को विकसित और विनियमित करने के अपने कार्यादेश को आगे बढ़ाते हुए, अप्रैल, 2022 में IFSCA (कोष प्रबंधन) विनियम, 2022 अधिसूचित किया था, ताकि प्रारंभिक चरण के उद्यम पूंजी उपक्रम (स्टार्टअप) में निवेश के लिए योजनाओं सहित कोष प्रबंधन से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए नियामकीय रूपरेखा को सक्षम बनाया जा सके।

विवरण:  

  • एंजेल फंड स्टार्ट-अप और एंजेल निवेशकों के बीच की दूरी को ख़त्म करता है। एंजेल निवेशक स्टार्ट-अप परामर्श देने, सहायता करने और संसाधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए IFSCA (कोष प्रबंधन) विनियम, 2022 के तहत एंजेल फंड के लिए एक रूपरेखा जारी की है। उक्त रूपरेखा की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
    1. IFSCA में कोष प्रबंधन इकाई (FME) ग्रीन चैनल के तहत प्राधिकरण के साथ एक नियुक्ति ज्ञापन दाखिल करके एंजेल फंड लॉन्च करने में सक्षम होगी, यानी प्राधिकरण के साथ नियुक्ति ज्ञापन दाखिल करने के तुरंत बाद निवेशकों द्वारा सब्सक्रिप्शन के लिए योजनाएं खोली जा सकती हैं।
    2. एंजेल फंड मान्यता प्राप्त निवेशकों या ऐसे निवेशकों से निवेश स्वीकार करेंगे, जो 5 वर्षों के दौरान कम से कम 40,000 डॉलर निवेश करने के इच्छुक हैं।
    3. एंजेल फंड को इच्छुक निवेशकों से सहमति प्राप्त करने के बाद IFSC, भारत, विदेशी क्षेत्राधिकार में स्टार्टअप के साथ-साथ अन्य विनियमित एंजेल योजनाओं में निवेश करने की अनुमति होगी।
    4. एंजेल फंड द्वारा एक स्टार्टअप में निवेश की सीमा 1,500,000 डॉलर है, एंजेल फंड को अपनी शेयरधारिता को कमजोर होने से बचाने के लिए स्टार्ट-अप द्वारा पुनः कोष जुटाने के दौर में निवेश करने की अनुमति होगी, जो कुछ शर्तों के अधीन होगी।

 

3. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ‘प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना’ के दो साल पूरे हुए

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था:

विषय:  भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन 

प्रारंभिक परीक्षा: PMFME योजना

मुख्य परीक्षा: PMFME योजना की उपलब्धियां   

संदर्भ

  • सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्र प्रायोजित ‘प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना’  29 जून, 2020 को शुरू की गई थी। इस योजना के दो साल पूरे हो गए हैं।

विवरण

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र को औपचारिक रूप देने के लिए PMFME योजना वर्तमान में 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है। इस योजना के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती है। लगभग 50,000 आवेदकों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है और अब तक 25,000 से अधिक आवेदन सफलतापूर्वक जमा किए जा चुके हैं।
  • सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक जिला एक उत्पाद (ODOP) का विवरण उपलब्ध कराने के लिए भारत का डिजिटल जीआईएस वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) मानचित्र विकसित किया गया है। डिजिटल मैप में जनजातीय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आकांक्षी जिलों और PMFME योजना के तहत स्वीकृत इनक्यूबेशन केंद्रों के संकेतक भी शामिल किए गए हैं। यह हितधारकों को अपनी मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए ठोस प्रयास करने में सक्षम बनाएगा।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के साथ संयुक्त पत्रों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (NSFDC), भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) एवं पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। PMFME योजना के लिए नोडल बैंक के रूप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं और योजना के लिए आधिकारिक ऋण देने वाले भागीदारों के रूप में 15 बैंकों के साथ भी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • योजना के क्षमता निर्माण घटक के तहत, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, कुंडली (NIFTEM-K) और राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, तंजावुर (NIFTEM-T) राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों और निजी प्रशिक्षण भागीदारों के साथ साझेदारी में खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों/ समूहों/ को प्रशिक्षण और अनुसंधान सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लाभार्थियों के लिए खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता तथा उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) सहित खाद्य उत्पाद प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षण भी आयोजित किया जा रहा है।
  • योजना के तहत 75 इन्क्यूबेशन सेंटरों को मंजूरी दी गई है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, तंजावुर (NIFTEM-T) के सहयोग से देश में इन्क्यूबेशन सेंटरों के विवरण, इन्क्यूबेशन सेंटरों के प्रस्तावों और एक डिजिटल मानचित्र प्रस्तुत करने हेतु एक ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित किया है।
  • PMFME योजना में कार्यशील पूंजी और खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में लगे स्वयं सहायता समूह (SHG) के प्रत्येक सदस्य के लिए छोटे उपकरणों की खरीद हेतु 40,000 रुपए की वित्तीय सहायता देने की परिकल्पना की गई है। अभी तक एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह सदस्यों की पहचान की गई है और 203 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी राशि जारी की जा चुकी है।
  • इस योजना के तहत पूरी मूल्य श्रृंखला के साथ लाभार्थियों को सहायता और समर्थन प्रदान करने तथा विपणन और ब्रांडिंग गतिविधियों को शुरू करने के लिए नेफेड एवं ट्राइफेड के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके तहत नैफेड के सहयोग से 10 ODOP  ब्रांड लॉन्च किए गए हैं। इस योजना में राज्य-स्तरीय ब्रांडों को विपणन सहायता प्रदान करने की भी परिकल्पना की गई है। अभी तक 2 राज्य-स्तरीय ब्रांड सफलतापूर्वक लॉन्च किए गए हैं, जिनमें पंजाब राज्य से ब्रांड "आसना" और महाराष्ट्र राज्य से "भीमथडी" ब्रांड शामिल हैं। इसके अलावा अन्य कई ब्रांड प्रक्रियाधीन हैं।
  • एक मासिक ई-न्यूज़लेटर भी प्रकाशित किया जाता है जिसमें सफलता की कहानियां, नवाचार की कहानियां, एक जिला एक उत्पाद आधारित कहानियां और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित शोध-आधारित लेख शामिल होते हैं। ई-न्यूज़लेटर में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के शिक्षाविदों और इस उद्योग के पेशेवरों के साथ साक्षात्कारों के साथ-साथ नवाचार एवं रुझान से संबंधित सामग्री होती है जो सूक्ष्म उद्यमों, स्वयं सहायता समूहों, एफपीओ और सहकारी समितियों को विकास करने और आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकती हैं।

 

      प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

4. डीआरडीओ द्वारा ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर की पहली सफल उड़ान

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर की पहली उड़ान का आयोजन कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित वैमानिकी परीक्षण रेंज (Aeronautical Test Range) से सफलतापूर्वक किया।
  • पूरी तरह स्वायत्त मोड में संचालित इस विमान ने एक आदर्श उड़ान का प्रदर्शन किया जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक आसान टचडाउन शामिल था। यह उड़ान भविष्य के मानव रहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को सिद्ध  करने के मामले में एक प्रमुख उपलब्धि है और यह सामरिक सुरक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • इस मानव रहित वायुयान का डिजाइन और विकास वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE), बेंगलुरु द्वारा किया गया है, जो डीआरडीओ की एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला है। यह एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित होता है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडरकैरिज और संपूर्ण उड़ान नियंत्रण व एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
  • यह स्वायत्त विमानों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में 'आत्मनिर्भर भारत' का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

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