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मुगल चित्रकला

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 25th, 2023

भारत में चित्रकला का विकास मुग़ल शासन के दौरान 16वीं और 18वीं शताब्दी के बीच हुआ है। इस समय मुगलों का भारत के एक बड़े भूभाग पर शासन था। मुगल चित्रकला की शुरूआत बाबर से मानी जाती है। उसने फारसी कलाकार बिहजाद को संरक्षण दिया था। इसके बाद चित्रकला अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के शासनकाल में विकसित होती गई। मुगल शासक जहाँगीर के शासन कल को चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है। मुगल चित्रकला का विकास चित्रकला की भारतीय शैली और फारसी चित्रकला की सफ़विद शैली के मिश्रण के परिणामस्वरुप हुआ था।

मुग़ल चित्रकला : इतिहास

  • मुगल चित्रकला शैली का विकास चित्रकला की स्वदेशी भारतीय शैली और फारसी चित्रकला की सफ़विद शैली के मिश्रण के परिणामस्वरुप हुआ था। जिसकी शुरूआत बाबर (1526-30) से मानी जाती है। क्योंकि बाबर ने फारसी कलाकार बिहजाद को संरक्षण दिया था।
  • इसके बाद मुगल चित्रकला हुमायूँ के शासनकाल में विकसित हुई। जब हुमायूँ अपने निर्वासन के बाद 1556 ई. में भारत लौटा तो वह अपने साथ दो महान फारसी चित्रकारों अब्दुल समद और मीर सैयद को लाया था। इन दोनों कलाकारों ने स्थानीय कलाकृतियों में में चित्रकारी कर धीरे-धीरे मुगल चित्रकला को विकसित किया।
  • मुग़ल सम्राट अकबर चित्रकला को अध्ययन और मनोरंजन के साधन के रूप में देखता था। अकबर के समय में फ़ारस का प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुस्समद भारत आया था।
  • मुग़ल शासक जहाँगीर के शासन काल में चित्रकला अपने चरम उत्कर्ष पर थी। जहांगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
  • शाहजहां ने अपने शासन काल में आरेखन और चित्रण की तकनीक में भी परिवर्तन किया। उसने आरेखन के लिए लकड़ी के कोयले की जगह पेंसिल का उपयोग करके आरेखन और रेखाचित्रण करने के लिए कलाकारों को प्रोत्साहित किया।
  • मुग़ल शासक औरंगजेब ने चित्रकला को प्रोत्साहित नहीं किया। इसके शासनकाल में चित्रकलाओं की गतिविधियों में रुकावट आई और मुगल चित्रकला धीरे धीरे समाप्त होने लगी।

मुगल चित्रकला : विकास

मुगल चित्रकला : बाबर के समय – 

  • बाबर का शासन काल बहुत छोटा था। इसलिए मुगल काल के चित्रों में बाबर के शासनकाल के दौरान ज्यादा विकास देखने को नहीं मिलता है।
  • बिहजाद को बाबर ने सरंक्षण दिया था , जो बाबर के समय का महत्त्वपूर्ण चित्रकार था बिहजाद को ‘पूर्व का राफेल’ कहा जाता है।
  • तैमूरी चित्रकला शैली को चरमोत्कर्ष पर ले जाने का श्रेय बिहजाद को जाता है।

मुगल चित्रकला : हुमायूँ के समय –

  • हुमायूँ ने अफग़ानिस्तान निर्वासन के दौरान मुगल चित्रकला की नींव रखी थी । फारस में ही हुमायूँ की मुलाकात मीर सैय्यद अली एवं ख्वाज़ा अब्दुस्समद से हुई थी। और मुगल चित्रकला की शुरुआत हुई।
  • मीर सैय्यद अली प्रसिद्ध चित्रकार बिहजाद का शिष्य था। मीर सैय्यद ने जो कृतियाँ तैयार की उसमें से कुछ जहाँगीर द्वारा तैयार गुलशन चित्रावली में संकलित है। अब्दुस्समद द्वारा बनाई गई कुछ कृतियों का संकलन जहाँगीर की ‘गुलशन चित्रावली’ में हुआ है।
  • हुमायूँ ने दोनों को दास्ताने-अमीर-हम्ज़ा (हम्ज़ानामा) की चित्रकारी का कार्य सौंपा था।
  • हम्ज़ानामा मुगल चित्रशाला की प्रथम महत्त्वपूर्ण कृति है। यह पैगंबर के चाचा अमीर हम्ज़ा के वीरतापूर्ण कारनामों का चित्रणीय संग्रह है। इसमें कुल 1200 चित्रों का संग्रह है।
  • मुल्ला अलाउद्दीन कजवीनी ने अपने ग्रंथ ‘नफाई-सुल-मासिरे में हम्ज़ानामा को हुमायूँ के मस्तिष्क की उपज बताया है।

मुगल चित्रकला : अकबर के समय –

  • अकबर के शासन काल में चित्रकला का भरपूर विकास हुआ।आईने अकबरी में कुल 17 चित्रकारों का उल्लेख है। जिनमे अकबर के समय के प्रमुख चित्रकार मीर सैय्यद अली, दसवंत, बसावन, ख्वाज़ा, अब्दुस्समद, मुकुंद आदि थे।
  • अकबर के दरबार में प्रमुख चित्रकार अब्दुस्समद था, जिसके नेतृत्व में अकबर ने चित्रकला का एक पृथक विभाग स्थापित किया था।
  • अकबर महाकाव्यों, कथाओं में रुचि रखता था इसलिए उसके काल के चित्र रामायण, महाभारत और फारसी महाकाव्य पर आधारित थे।
  • अकबर द्वारा शुरू की गई सबसे प्रारंभिक पेंटिंग परियोजनाओं में से तूतीनामा महत्त्वपूर्ण थी। यह 52 भागों में विभाजित थी। ‘टेल्स ऑफ-ए-पैरट जो कि वर्तमान में कला के क्लीवलैंड संग्रहालय में है।
  • दसवंत द्वारा बनाए गए चित्र रज़्मनामा नामक पांडुलिपि में मिलते हैं। अब्दुस्समद के राजदरबारी पुत्र मोहम्मद शरीफ ने रज़्मनामा के चित्रण कार्य का पर्यवेक्षण किया था। इसकी दो अन्य कृतियाँ हैं- ‘खानदाने तैमुरिया’ एवं ‘तूतीनामा’। रज़्मनामा पांडुलिपि को मुगल चित्रकला के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।
  • अकबर के समय में पहली बार ‘भित्ति चित्रकारी’ की शुरुआत हुई थी।
  • बसावन, अकबर के समय का सर्वोत्कृष्ट चित्रकार था। वह चित्रकला में सभी क्षेत्रों, रंगों का प्रयोग, रेखांकन, छवि चित्रकारी तथा भू-दृश्यों के चित्रण का सिद्धहस्त था। उसकी सर्वोत्कृष्ट कृति है- एक मृतकाय (दुबले-पतले) घोड़े के साथ एक मजनू का निर्जन क्षेत्र में भटकता हुआ चित्र है।
  • अकबर के काल में पुर्तगाली पादरियों द्वारा राजदरबार में यूरोपीय चित्रकला की भी शुरुआत हुई।
  • अकबर ने चित्रकार दसवंत को मुग़ल साम्राज्य अग्रणी कलाकार घोषित किया था।
  • अकबर ने ‘मीर सैय्यद अली’ को ‘नादिर-उल-अस्त्र’ तथा ‘अब्दुस्समद’ को ‘शीरी कलम’ की उपाधियों आदि से सम्मानित किया था।
  • मीर सैय्यद अली एवं ख़्वाजा अब्दुस्समद, इन दोनों ने मिलकर अकबर के लिए एक ‘उन्नत कला संगठन’ की स्थापना की थी।

मुगल चित्रकला : जहाँगीर के समय –

  • जहाँगीर के समय मुग़ल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर थी। इसलिए जहांगीर की शासन काल को चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
  • जहांगीर ने ‘हेरात’ के ‘आगारज़ा’ नेतृत्त्व में आगरा में एक ‘चित्रशाला’ की स्थापना की थी।
  • जहाँगीर के समय के प्रमुख चित्रकार ‘फारुख बेग’, ‘दौलत’, ‘मनोहर’, ‘बिसनदास’, ‘मंसूर’ एवं अबुल हसन थे।
  • ‘उस्ताद मंसूर’ एवं अबुल हसन जहाँगीर के समय के प्रमुख चित्रकार थे। जहांगीर ने उन्हें क्रमशः ‘नादिर-उल-अस्र’ एवं ‘नादिरुज्जमा’’ की उपाधि प्रदान की थी।
  • उस्ताद मंसूर पक्षी चित्र विशेषज्ञ तथा अबुल हसन व्यक्ति चित्र विशेषज्ञ था।
  • अबुल हसन ने जहांगीर की आत्मकथा ‘तुजुके जहाँगीर’ के मुख्य पृष्ठ के लिए चित्र बनाया था।
  • जहाँगीर चित्रकला का प्रेमी एवं कुशल पारखी था। अर्थात जहांगीर खुद एक अच्छा चित्रकार था।
  • शिकार, युद्ध और राज दरबार के दृश्यों को चित्रित करने के अलावा जहाँगीर के काल में मनुष्यों तथा जानवरों में चित्र बनाने की कला में भी विशेष प्रगति हुई।

मुगल चित्रकला : शाहजहाँ के समय –

  • शाहजहाँ के शासनकाल में रेखांकन और आरेखन वाले चित्रों की शुरुआअत हुई ।
  • शाहजहाँ के शासनकाल में प्रमुख चित्रकार अनूप, मीर हासिम, मुहम्मद फकीर उल्ला, हुनर मुहम्मद नादिर, चिंतामणि आदि थे।
  • शाहजहाँ का एक प्रसिद्ध चित्र भारतीय संग्रहालय में उपलब्ध है, जिसमें शाहजहाँ को सूफी नृत्य करते हुए दिखाया गया है।
  • शाहजहाँ काल के चित्रों के विशेष विषयों में यवन सुंदरियाँ, रंग महल, विलासी जीवन और ईसाई धर्म के चित्र शामिल हुए।
  • शाहजहाँ के समय स्याह कलम चित्र बने, जिन्हें कागज की फिटकरी और सरेस आदि के मिश्रण से तैयार किया जाता था। इनकी विशेषता बारीकियों का चित्रण करना था।
  • शाहजहाँ कालीन प्रमुख चित्र गुलिस्ताँ तथा सादी का बुस्तान है। जिसमे दरबारियों के बीच ऊँचे आसन पर विराजमान शाहजहाँ, पिता जहाँगीर और दादा अकबर की संगति में शाहजहाँ, जिसमें अकबर ताज शाहजहाँ को सौंप रहा है।

मुगल चित्रकला : औरंगजेब के समय –

  • औरंगजेब ने चित्रकला को इस्लाम के विरुद्ध मानकर उस पर पाबंदी लगा दी थी। औरंगजेब के शासन काल के अंतिम वर्षों के चित्रकारी के कुछ लघु चित्र जैसे शिकार खेलते हुए, दरबार लगाते हुए तथा युद्ध करते हुए मिलते हैं।
  • इतिहासकार मनूची के अनुसार “औरंगजेब की आज्ञा से अकबर के मकबरे वाले चित्रों को चूने से पोत दिया गया था।”
  • और इस प्रकार मुग़ल चित्रकला के पतन की शुरुआत हो गई।

मुगल चित्रकला : विषय –

  • मुगलकालीन चित्रकला में एक महान विविधता देखने को मिलती है, जिसमें चित्र, दृश्य जीवन की घटनाएँ , अंतरंग स्थानों में प्रेमियों को चित्रित करने वाले चित्र आदि हैं।
  • मुगल चित्रकला में लड़ाई, पौराणिक कहानियों, शिफा के दृश्य वन्यजीव, मानव जीवन जैसे चित्र हैं।
  • मुग़ल कालीन चित्र हिन्दू कथाओं , मुगल बादशाहों की कहानियों को बयान करते हुए भी देखने को मिलते हैं।
  • मुग़ल कालीन चित्रकारी में प्रकृति एवं पशु – पक्षियों पर आधारित चित्र भी देखने को मिलते हें।

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