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उदारवाद – Liberalism

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 25th, 2023

उदारवाद एक विचारधारा है जिसके तहत मनुष्य को विवेकशील प्राणी मानकर सामाजिक संस्थाओं को मानवीय बुद्धि और सामूहिक प्रयास का परिणाम माना जाता है। उदारवाद की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी। जॉन लॉक को उदारवाद का जनक माना जाता है। प्रारंभिक दौर में एडम स्मिथ और जेरेमी बेंथम के नाम भी उदारवादी विचारधारा में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस लेख में हमने उदारवाद (लिबरलिस्म) क्या है, उदारवाद (लिबरलिस्म) के पक्ष|

उदारवाद क्या है? Liberalism Kya Hai?

  • उदारतावाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थन का राजनैतिक दर्शन है। वर्तमान विश्व में यह बहुत प्रतिष्ठित धारणा है।
  • पूरे इतिहास में अनेकों दार्शनिकों ने इसे बहुत महत्व एवं मान दिया है ।
  • उदारवाद के सिद्धांत के अनुसार बुद्धिमान व्यक्ति ही समाजिक संगठनों का निर्माण करते हैं। 
  • लास्की के अनुसार उदारवाद की व्याख्या करना या परिभाषा देना सरल कार्य नही है, क्योंकि उदारवाद कुछ सिधान्तो का समूह नही है; वह ‘मानव के सोचने की प्रवृति’ का भी परिचायक है|
  • उदारतावाद शब्द का प्रयोग, साधारणतया, व्यापक रूप से मान्य, कुछ राजनीतिक तथा आर्थिक सिद्धांतों, साथ ही, राजनीतिक कार्यों बौद्धिक आंदोलनों का भी परिणाम है। जो 16वीं शताब्दी से ही सामाजिक जीवन के संगठन में व्यक्ति के अधिकारों के पक्ष में, उसके स्वतंत्र आचरण पर प्रतिबंधों के विरुद्ध, कार्यशील रहे हैं। 
  • 1689 में लाक ने भी लिखा है कि , किसी को भी अन्य के स्वास्थ्य, स्वतंत्रता या संपत्ति को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए। अमरीकी स्वतंत्रता के घोषणापत्र (1776) ने और भी प्रेरक शब्दों में जीवन, स्वतंत्रता तथा सुखप्राप्ति के प्रयत्न के प्रति मानव के अधिकारों का ऐलान किया है।
  • इस सिद्धांत को फ्रांस के मानव अधिकारों के घोषणापत्र (1971) ने यह घोषित कर और भी संपुष्ट किया कि अपने अधिकारों के संबंध में मनुष्य स्वतंत्र तथा समान पैदा होता है, समान अधिकार रखता है। उ
  • दारतावाद ने इन विचारों को ग्रहण किया, परंतु व्यवहार में बहुधा यह अस्पष्ट तथा आत्मविरोधी हो गया, क्योंकि उदारतावाद स्वयं अस्पष्ट पद होने से अस्पष्ट विचारों का प्रतीक है। 
  • 19वीं शताब्दी में उदारतावाद का अभूतपूर्व उदय हुआ। राष्ट्रीयवाद के सहयोग से इसने इतिहास का पुननिर्माण किया। तथा इसका व्यावहारिक रूप स्थान-स्थान पर बदलता रहा है , इसका अर्थ, साधारणतया, प्रगतिशील ही रहा है।
  • नवें पोप पियस ने जब 1846 ई. में अपने को उदार घोषित किया तो उसका वैसा ही असर हुआ जैसा आज किसी पोप द्वारा अपने को कम्युनिस्ट घोषित करने का हो सकता है। 
  • 19वीं शताब्दी के तीन प्रमुख आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा वर्ग-स्वतंत्रता के लिए हुए थे।
  • राष्ट्रीयवादी, जो मंच पर पहले आए, विदेशी शासन से मुक्ति चाहते थे। उदारतावादी अपनी ही राष्ट्रीय सरकारों के हस्तक्षेप से मुक्ति चाहते थे।
  • समाजवादी कुछ देर बाद सक्रिय हुए। वे इस बात का आश्वासन चाहते थे कि शासन का संचालन संपत्तिशाली वर्ग के हितसाधान के लिए न हो।
  • उदारतावादी आंदोलन के यही तीन प्रमुख सूत्र थे। जिन्हें अक्सर भावनाओं एवं नीतियों की आकर्षक उलझनों में तोड़ मरोड़कर बाँट लिया जाता था।
  • ये सभी सूत्र, प्रमुखत: महान फ्रांसीसी राज्यक्रांति (1789-94) की भावनाओं और रूस जैसे महापुरुषों के विचारों की गलत सही व्याख्याओं से अनुप्राणित थे। 
  • इस प्रकार, उदारतावाद, भिन्न जगहों में भिन्न-भिन्न अर्थ रखता था। किंतु सभी की धारणा एक समान थी। 

उदारवाद के पक्ष

उदारवाद एक राजनीतिक और नैतिक दर्शन है जो स्वतंत्रता, शासक वर्ग की सहमति और कानून के साथ समानता पर केंद्रित है। उदारवाद प्रमुख रूप से सीमित सरकार, व्यक्तिगत अधिकारों (नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों सहित), पूंजीवाद (मुक्त बाज़ार ), लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, लिंग समानता, नस्लीय समानता और अंतर्राष्ट्रीयता का समर्थन करता है।
उदारवाद के प्रमुख तीन पहलू हैं:
1. आर्थिक उदारवाद: आर्थिक मामलों से सम्बंधित
2. राजनीतिक उदारवाद: राजनैतिक मामलों से सम्बंधित
3. सामाजिक उदारवाद: सामजिक मामलों से सम्बंधित

उदारवाद का वर्तमान परिदृश्य

  • वर्तमान में रूस के आलावा भारत, चीन, तुर्की, ब्राज़ील, फिलीपींस और यहांँ तक ​​कि यूरोप में भी अब अत्यधिक केंद्रीकृत राजनीतिक प्रणालियांँ उदारवाद की सामान्य विशेषताओं का विरोध कर रही हैं।
  • वर्तमान में इस प्रकार की प्रणालियों के समर्थक मानते हैं कि राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के लिये उदारवादी लोकतंत्र की तुलना में ये प्रणालियांँ बेहतर तरीके से काम कर रही हैं।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उदारवाद पश्चिम देशों में प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक विचारधारा रहा है लेकिन वर्तमान में पश्चिम देशों में भी उदारवाद की स्थिति गिरती जा रही है।
  • ब्रिटेन में ब्रेक्ज़िट का जनता द्वारा समर्थन, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों का समर्थन, हंगरी के राष्ट्रपति विक्टर ऑर्बन और पूर्व इतालवी उपप्रधानमंत्री माटेओ साल्विनी की लोकप्रियता यह प्रदर्शित करती है कि पश्चिम के समाज में भी प्रचलित मूल उदारवाद के स्वरूप वर्तमान में बदल रहा है।
  • अमेरिका द्वारा लागु की गई नई प्रवासी नीतियों के माध्यम से प्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश से रोका जा रहा है साथ ही जर्मनी द्वारा शरणार्थियों को स्वीकार करने की नीतियों से गलत परिणाम निकल रहें है।
  • पोलैंड और हंगरी हिंसा एवं युद्ध से भागे शरणार्थियों के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं तथा लगभग सभी यूरोपीय संघ के सदस्यों का मानना है कि यूरोपीय संघ में शरणार्थियों के प्रवेश से यूरोप के पूर्ण एकीकरण की योजना बुरी तरह प्रभावित हो सकती है ।
  • समलैंगिक विवाह को केवल कुछ देशों द्वारा ही मान्यता दी जा रही है, दूसरी ओर समलैंगिकता हेतु कई देशों में मौत की सज़ा का प्रावधान है। LGBTQ (Lesbian, Gay, Bisexual, Transgender, QUEER) के अधिकारों में बहुत कम प्रगति है, जबकि वर्तमान में सही है कि इस प्रकार के लोगों की शारीरिक संरचना प्रकृति द्वारा निर्धारित होती है।
  • कई देश पर्यावरण हित के विरुद्ध नीतियाँ बना रहें हैं इसमें स्वयं के संकीर्ण हितों को वैश्विक जलवायु परिवर्तन से ज़्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। हाल ही में ब्राज़ील के वनों में लगी आग हेतु सरकार की नीतियों को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है।
  • पर्यावरण संबंधी अभिसमयों की प्रकृति गैर-बाध्यकारी होने के कारण कई देश इस प्रकार के अभिसमयों से अलग होते जा रहे हैं। पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका का अलग होना संरक्षणवादी नीतियों को प्रदर्शित करता है।

उदारवाद (Liberalism)  नोट्स – Download PDF

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