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विधान परिषद (Legislative Council)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
विधान परिषद विधानमण्डल का अंग है। विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतन्त्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। जिस प्रकार केंद्रीय विधायिका में उच्च सदन राजयसभा है उसी प्रकार राज्य विधायिका में उच्च सदन विधान परिषद है। विधान परिषद के सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। वर्तमान में आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश छः राज्यों में विधान परिषद है।
Table of content
विधान परिषद (Legislative Council): परिचय
- भारत में विधायिका की द्विसदनीय प्रणाली को अपनाया गया है।
- जिस प्रकार केंद्रीय विधायिका संसद के दो सदन होते हैं, राज्यसभा और लोकसभा। उसी प्रकार राज्यों में विधानमंडल के दो सदन होते हैं, विधानपरिषद और विधानसभा।
- परन्तु प्रत्येक राज्य में विधानपरिषद हो ये आवश्यक नहीं है।
- जिन राज्यों में विधायिका के दोनों सदन मौजूद होते है, वहां के विधानमंडल को द्विसदनीय विधानमंडल कहा जाता है।
- वर्तमान में द्विसदनीय विधायिका वाले छह राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, और कर्नाटक है।
- वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया था। परिषद को समाप्त करने के लिये भारत की संसद द्वारा इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जानी बाकी है।
- वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के माध्यम से जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया था।
विधान परिषद (Legislative Council) : गठन
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्यों में विधानमंडल के दो सदन होते हैं, विधान परिषद् और विधानसभा। परन्तु प्रत्येक राज्य में विधानपरिषद हो ये आवश्यक नहीं है।
- यदि सम्बंधित राज्य की विधानसभा राज्य में विधान परिषद् के गठन का प्रस्ताव विशेष बहुमत (विधानसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत) से पारित करती है और संसद इस इस प्रस्ताव को साधारण बहुमत से पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजती है। और अंत में राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर राज्य में विधान परिषद् का गठन हो सकता है।
- और यदि किसी राज्य में पहले से विधान परिषद् है तो उसे इसी प्रक्रिया के तहत समाप्त भी किया जा सकता है।
- अतः विधान परिषद् का गठन राज्यों में एक अस्थाई संक्रमणकालीन प्रावधान है।
विधान परिषद (Legislative Council) : संरचना
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 में विधान परिषद् की संरचना का उल्लेख है।
- राज्य की विधान परिषद् की अधिकतम सदस्य संख्या राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या का एक तिहाई (1/3) हो सकती है। और 40 से कम सदस्य नहीं होंगे।
- विधान परिषद् में सदस्य दो प्रकार से आते हैं , निर्वाचित होकर और मनोनीत होकर।
विधान परिषद (Legislative Council) : सदस्यों का निर्वाचन
- विधान परिषद् के सदस्य अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा निम्न प्रकार से चुने जाते है:
- 1/3 MLC राज्य के विधायकों द्वारा
- 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों जैसे- नगरपालिका और ज़िला बोर्डों आदि द्वारा
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोगों द्वारा
- 1/12 सदस्यों को राज्य में रह रहे 3 वर्ष से स्नातकों द्वारा
विधान परिषद (Legislative Council) : सदस्यों का मनोनयन
- राज्य विधान परिषद के सदस्यों में से 1/6 सदस्यों को राज्य का राजयपाल मनोनीत करता है। जो कि साहित्य, ज्ञान, कला, सहकारिता आंदोलन और समाज सेवा का विशेष ज्ञान तथा व्यावहारिक अनुभव रखते हैं।
विधान परिषद (Legislative Council) : सदस्यों की योग्यताएँ
विधान परिषद (Legislative Council) का सदस्य बनने हेतु निम्न योग्यताएँ आवश्यक है :
- भारत का नागरिक हो।
- 30 वर्ष की आयु पूर्ण हो।
- पागल , सजायाफ्ता व दिवालिया नहीं हो।
- क्षेत्र की मतदाता सूची में उसका नाम हो।
- संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं हो।
विधान परिषद (Legislative Council) : सदस्यों का कार्यकाल
- राज्य में विधान परिषद (उच्च सदन) एक स्थायी सदन है। अतः इसे कभी भी भंग नहीं किया जा सकता है।
- विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल में एक तिहाई सदस्य पद मुक्त होते हैं।
विधान परिषद (Legislative Council) : अधिकार और शक्तियाँ
- विधान परिषद राज्य विधानमंडल का द्वितीयक सदन है। राज्यसभा की तरह विधान परिषद् की शक्तियाँ सीमित है।
- राज्य विधान परिषद् विधानसभा द्वारा पारित किसी भी विधेयक में केवल सुझाव दे सकती है।
- विधानसभा, विधान परिषद द्वारा कानून में किये गए सुझावों/संशोधनों को रद्द कर सकती हैं।
- विधान परिषद्, विधानसभा द्वारा पारित धन विधेयक को अधिकतम 14 दिन के लिए रोक सकती है।
- विधान परिषद् के सदस्य राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते है।
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