मौलिक कर्तव्य, Fundamental Duties in Hindi - 11 मौलिक कर्तव्य, अनुच्छेद 51A

By Trupti Thool|Updated : April 18th, 2023

मौलिक कर्तव्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) और भाग 4 (A) में वर्णन किआ गया है | भारत में वर्तमान में 11 प्रकार के मौलिक कर्त्तव्य हैं जो की हर भारतीय नागरिक को पालन करना अनिवार्य हैं| यह 11 मौलिक कर्त्तव्य को 11वें को 2002 में 86वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। मौलिक कर्त्तव्य यानी फंडामेंटल दुतिएस का विचार रूस के संविधान (तत्कालीन सोवियत संघ) से प्रेरित है जिसे 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 (42nd Constitutional Amendment Act, 1976) द्वारा संविधान के भाग IV-A में शामिल किया गया था। राज्य के नीति निदेशक तत्व की तरह ही मौलिक कर्तव्य भी प्रकृति में गैर-न्यायिक हैं।

हम लेख के माध्यम से भारतीय संविधान के ' भाग IV क ' ' अनुच्छेद 51 क ' शामिल मूल कर्तव्य की चर्चा करेंगे। इसके अलावा जानें Fundamental Duties in Hindi पर विशेष वर्णन, 11 मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं, मौलिक कर्त्तव्य की सूचि, एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जो की BPSC, UPPSC परीक्षा में पूछे जाते हैं | मौलिक कर्तव्य क्या हैं और मौलिक कर्तव्य की आवश्यकता क्यों पड़ी, भारतीय नागरिकों के लिए मूल या मौलिक कर्तव्य कितने है, मौलिक कर्तव्य की परिभाषा एवं विशेषताएं आदि से जुडी समस्त जानकारी साझा की गयी है।

Table of Content

मौलिक कर्त्तव्य क्या है? - Maulik Kartavya Kya Hai?

मौलिक कर्त्तव्य प्रत्येक मानव के ऐसे बुनियादी कर्त्तव्य हैं जो व्यक्ति को अपनी विकास व उन्नति के लिए तथा समाज व देश को प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं।

भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने से पहले ही “चंद्र भवन बोर्डिंग तथा लॉजिंग बैंगलोर” बनाम “मैसूर व अन्य राज्य” मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक कर्तव्यों के संविधान में सम्मिलित होने पर कहा था कि यदि नागरिक अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे तो, नागरिकों के सभी अधिकारों की रक्षा कर पाना संविधान के लिए संभव नहीं हो पाएगा । अर्थात हमारे अधिकारों की रक्षा तभी हो पाएगी जब हम अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करें।

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मौलिक कर्तव्य - विशेषताएं

मौलिक कर्तव्य के अंतर्गत नैतिक और नागरिक दोनों ही प्रकार के कर्त्यव्य आते हैं। संविधान के अंतर्गत वर्णित मौलिक कर्तव्यों की निम्नलिखित विशेषताएं

मौलिक कर्तव्य PDF

  • मुल या मौलिक कर्तव्य केवल भारत के नागरिकों पर लागू होता है लेकिन कुछ मूल कर्तव्य भारतीय नागरिकों के साथ है साथ विदेशी नागरिकों के लिए भी है।
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की तरह मूल कर्तव्य के हनन के विरुद्ध कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य

भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों हेतु नागरिकों के लिए कुल 11 मौलिक कर्तव्यों को उल्लेखित किया गया है जिसे प्रत्येक नागरिक द्वारा मानना अनिवार्य है। मौलिक कर्तव्यों को 42 वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में अंगीकार किया गया था । भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान तत्कालीन सोवियत संघ ( रूस) के संविधान से प्रेरित है । सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर इसकी संरचना निर्धारित की गई हैं।

भारतीय संविधान में मूल कर्तव्यों के स्त्रोत

भारत और जापान जैसे लोकतन्त्रात्मक संविधानों में मूल कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। भारत के संविधान में मूल कर्तव्यों का आधार सोवियत संघ (USSR) के संविधान से लिया गया है।

कितने मौलिक कर्तव्य हैं? - Kitne Maulik Kartavya Hain?

प्रारम्भ में भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी। 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा एक मौलिक कर्तव्य को और जोड़ा गया। वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या 11 है।

मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद-51A)

मौलिक कर्त्तव्य नागरिकों के लिए 11 दिशानिर्देशों का एक समूह है। मूल संविधान में मूलभूत कर्तव्यों के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था। मूलभूत कर्तव्यों के विचार को पूर्व सोवियत संविधान से लिया गया है और अब ये रूस के पास नहीं है। शायद केवल जापान ही ऐसी एक बड़ा देश है, जिसमें बुनियादी कर्तव्यों से जुडा एक विशेष अध्याय है। नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को संविधान में 1976 में जोड़ा गया था। इसके बाद वर्ष 2002 में, एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया। इन्हें 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा गठित की गई स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था।

इसमें केवल 8 मूलभूत कर्तव्यों की सिफारिश की गई थी जिसके साथ ही साथ आर्थिक दंड भी शामिल था। हालांकि, सरकार ने सजा के प्रावधान को स्वीकार नहीं किया। एक नया भाग– 4 A, एक नया अनुच्छेद 51-A को 42 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 के आधार पर जोड़ा गया था। दस कर्तव्यों को 51 A में जोड़ा गया था। वर्तमान में ग्यारह कर्तव्य हैं। 11 वें मौलिक कर्तव्यों को 86 वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था।

भारतीय संविधान के 11 मौलिक कर्तव्य | Bhartiya Samvidhan Ke 11 Maulik Kartvya

मौलिक कर्तव्यों की सूची निम्न है:

  1. संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना,
  2. स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों का पालन करना;
  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और संरक्षित करना;
  4. देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करना जब ऐसा करने के लिए कहा जाये;
  5. धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या आंशिक विविधता से आगे बढ़कर भारत के सभी लोगों के बीच सामंजस्य और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना और महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं को त्यागना;
  6. देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत के महत्व को समझना और संरक्षित रखना;
  7. जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के लिए करुणा रखना;
  8. वैज्ञानिक मनोवृति, मानवतावादि विचारधारा का विकास और जांच और सुधार की भावना विकसित करना;
  9. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा को रोकना;
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र निरंतर उपलब्धि के उच्च स्तर पर बढ़े; तथा
  11. छह से चौदह वर्ष की उम्र के बीच अपने बच्चे के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करना। यह कर्तव्य 86 वीं संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था।

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