भारतीय जीवन बीमा कंपनी (एलआईसी) भारत सरकार के स्वामित्व वाली बीमा समूह व निवेश कंपनी है। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना वर्ष 1956 में भारतीय संसद द्वारा भारतीय जीवन बीमा अधिनियम के पारित होने के साथ हुई थी। इस अधिनियम से देश में निजी बीमा उद्योग का राष्ट्रीयकरण हो गया था। जिसमें 245 से अधिक बीमा कंपनियों व भविष्य निधि संगठनों का विलय कर राज्य स्वामित्व वाली जीवन बीमा कंपनी का निर्माण किया गया।
चेयरमैन – श्री एस. के. रॉय
मुख्यालय – मुंबई, भारत
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा: बजट 2016–17 के अनुसार स्वाचालित मार्ग से 49% तक
भारत में जीवन बीमा देने वाली सर्वप्रथम कंपनी ओरिएण्टल लाइफ इनश्योरेंस कंपनी थी, जो कि 1818 में कोलकाता में स्थापित की गयी थी। भारत में बसे अंग्रेज इनका मुख्य बाजार थे, और यह भारतीयों से काफी मंहगा बीमा कराते थे। हांलाकि बाबू मुत्तीलाल सील जैसे विख्यात लोगों के प्रयासों से विदेशी जीवन बीमा कंपनियों ने भारतीयों का जीवन बीमा करना प्रारंभ कर दिया।
वर्ष 1870 में स्थापित बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी देश की पहली स्वदेशी बीमाकर्ता कंपनी थी।
1912 से पहले भारत में बीमा कंपनियों के नियमन के लिये कोई नियम नहीं थे। साल 1912 में जीवन बीमा कंपनी अधिनियम व भविष्य निधि अधिनियम पारित हुआ।
जीवन बीमा कंपनी अधिनियम 1912 में कंपनियों को प्रिमियम रेट टेबल व पेरियोडिकल वैल्यूएशन को एक्चुयरी (मुंशी) द्वारा प्रमाणित करवाना आवश्यक कर दिया गया। लेकिन अधिनियम में विदेशी व देशी कंपनियों के मध्य स्पष्ट भेदभाव किया गया, जिसका नुकसान भारतीय कंपनियों को हुआ।
बीमा अधिनियम, 1938 जीवन बीमा के साथ ही गैर-जीवन बीमा को नियंत्रित करने वाला प्रथम कानून था, इसके पारित होने से बीमा कंपनियों पर राज्य का कठोर नियंत्रण स्थापित हो गया। भारत में स्वतंत्रता से पूर्व स्थापित होने वाली अन्य बीमा कंपनियाँ क्रमश: हैं:
- भारत इंश्योरेंस कंपनी (1896)
- यूनाइटेड इंडिया (1906)
- नेशनल इण्डियन (1906)
- नेशनल इंश्योरेंस (1906)
- को-ऑपरेटिव एश्योरेंस (1906)
- हिंदुस्तान को-ऑपरेटिव (1907)
- इण्डियन मर्केंटाइल
- जनरल एश्योरेंस
- स्वदेशी लाइफ (बाद में बॉम्बे लाइफ)
राष्ट्रीयकरण:
देश में काफी समय से बीमा कंपनियों के राष्ट्रीयकरण की मांग लगातार की जा रही थी लेकिन वर्ष 1944 में संसद में जीवन बीमा अधिनियम के पारित होने पर इस मांग ने जोर पकड़ा।
और अंतत: 19 जून 1956 को भारतीय संसद ने भारतीय जीवन बीमा अधिनियम को ध्वनिमत से पारित किया, जो उस वर्ष सितम्बर से प्रभावी हो गया। इससे 245 निजी जीवन बीमाकर्ताओं व अन्य दूसरे जीवन बीमा देने वाले संस्थाओं जिसमें 154 जीवन बीमा कंपनियाँ, 16 विदेशी कंपनियाँ और 75 विदेश निधि कंपनियाँ आदि सभी को सम्मिलित किया गया।
जीवन बीमा व्यापार का राष्ट्रीयकरण 1956 के औद्योगिक नीति संकल्प का परिणाम था। इसमें अर्थव्यवस्था के कम से कम सत्रह अहम क्षेत्रों में राज्य के नियंत्रण विस्तार के लिये एक नीति ढांचा तैयार किया गया जिसमें जीवन बीमा भी एक था।
राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया:
- सबसे पहले एक अध्यादेश पारित कर कंपनियों के प्रबंधन को राज्य के अधीन किया गया।
- बाद में, विधेयक के माध्यम से कंपनियों के स्वामित्व पर राज्य का अधिकार हो गया।
उदारीकरण:
अगस्त 2000 में, भारत सरकार ने बीमा क्षेत्र के उदारीकरण का कार्यक्रम प्रारंभ किया और इसे निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया गया। ऐसा करने से एलआईसी अपनी बेहतर प्रदर्शन के दम पर लाभन्वित हुई, और इसकी निजी क्षेत्र की तुलना में बाजार में अधिक मजबूत पकड़ थी।
भारत में जीवन बीमा व्यवसाय में कुछ महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हैं:
1818: ओरिएण्टल लाइफ इनश्योरेंस कंपनी, भारतीय जमीन पर पहली जीवन बीमा कंपनी
1870: बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी, प्रथम भारतीय जीवन बीमा कंपनी ने कार्य शुरु किया।
1912: भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम, 1912 पारित; जीवन बीमा व्यवसाय के नियमन के लिये प्रथम कानून
1928: भारतीय बीमा कंपनी अधिनियम लागू हुआ, इससे सरकार को जीवन बीमा व गैर जीवन बीमा के सांख्यिकीय आंकड़े एकत्र करने का अधिकार मिला।
1938: पूर्व नियम को मिलाकर बीमा अधिनियम में संशोधन किया गया, इसका उद्देश्य जनता के हितों की रक्षा करना था।
1956: 245 देशी और विदेशी बीमा और भविष्य निधि संस्थाओं का स्वामित्व केन्द्र सरकार द्वारा लेकर उन्हें राष्ट्रीयकृत घोषित कर दिया गया। ससंद के एलआईसी एक्ट, 1956 के तहत एलआईसी की स्थापना भारत सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश के साथ की गई।
धन्यवाद!
Comments
write a comment