हरिशंकर परसाई- इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर
- हरिशंकर परसाई हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। उन्होंने अपने व्यंग्य के माध्यम से पाठकों का ध्यान बार-बार समाज की कमजोरियों की और आकर्षित किया।
- उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं शोषण पर करारा व्यंग्य किया, जो हिन्दी साहित्य में अनूठा है। इस प्रकार परसाई जी ने हिन्दी साहित्य में व्यंग्य को नई पहचान दी और उसे एक अलग रूप प्रदान किया।
- 'इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर' हरिशंकर परसाई की लोकप्रिय व्यंग्य रचना है, जिसमें पुलिस के अत्याचारों की ओर देश की जनता का ध्यान ले जाने वाली व्यंग्य कथा वर्णित है। इस रचना से परसाई जी ने पुलिस प्रशासन की न सिर्फ कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया है, बल्कि हमारी कार्यपालिका के निर्णयों पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है।
- यह फैंटेसी शैली में लिखी गई रचना है। फैंटेसी का सहारा लेकर ही लेखक ने इंस्पेक्टर मातादीन को पुलिस व्यवस्था सुधारने के लिए चाँद पर भेजा है। कथा में हास्यजनक स्थितियों और विसंगतियों का भी वर्णन किया गया है।
कहानी के प्रमुख पात्र
- मातादीन कहानी का प्रमुख पात्र है, जिसके इर्द-गिर्द पूरी कहानी घूमती है। मातादीन पुलिस इंस्पेक्टर है, जिसके कार्य से खुश होकर पुलिस विभाग उसे चाँद की पुलिस को सुधारने के लिए भेजता है। इस प्रकार वह पूरे पुलिस विभाग का प्रतिनिधित्व करता है।
- पुलिस मंत्री कहानी का एक अन्य पात्र है, जो मातादीन को प्रोत्साहित करता है तथा ऐसा कार्य करने को कहता है, जिससे पुलिस विभाग की जय जयकार हो जाए।
- यान चालक चाँद से मातादीन को लेने आया है, जो मातादीन के अधिक प्रश्न करने पर टिप्पणी करता है कि चाँद के आदमी इतना नहीं बोलते हैं।
- कोतवाल और इंस्पेक्टर ये दोनों पात्र चाँद की पुलिस के सिपाही हैं, जो चाँद पर एक केस सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
ज्ञानरंजन - पिता
- 'पिता' ज्ञानरंजन की महत्त्वपूर्ण कहानियों में से एक है। 'ज्ञानरंजन' का दौर दरअसल आजादी के तुरन्त बाद वाला दौर न होकर उससे उबरने और सम्बन्धों में आई खटास को दूर करने और उन्हें मजबूत करने का दौर था, किन्तु इस दौर की विडम्बना यह थी कि संबंध बनाए रखने के चक्कर में हाथ से छूटते जा रहे थे। ज्ञानरंजन ने अपनी कहानियों की पृष्ठभूमि इन्हीं सम्बन्धों खासकर पारिवारिक सम्बन्धों को बनाया है।
- पारिवारिक सम्बन्धों के बदलते स्वरूप को दिखाते हुए ज्ञानरंजन की कहानी 'पिता' पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी में आए मानसिकता के बदलाव का चित्रण करती है, लेकिन इनके सम्बन्ध में किसी प्रकार का निष्कर्ष देने की कोशिश नहीं करती। पिता की पीढ़ी यदि अपनी समकालीन स्थितियों से नहीं जुड़ पा रही तो पुत्र की पीढ़ी भी अपने पिता की पीढ़ी को नहीं अपना पा रही है।
कहानी के प्रमुख पात्र
- पिता कहानी के मुख्य पात्र 'पिता' पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके लिए आधुनिक वातावरण के अनुसार ढल पाना कठिन है, किन्तु आधुनिक पीढ़ी को आधुनिक बनने से नहीं रोकते। उनके अन्दर आत्मनिर्भरता तथा स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है।
- पुत्र कहानी में पुत्र की भूमिका महत्त्वपूर्ण पात्र के रूप में है। 'पुत्र' आधुनिक पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है। 'पुत्र' पिता को आधुनिक समय के अनुसार ढालना चाहता है।
कमलेश्वर - राजा निरबंसिया
- कमलेश्वर बीसवीं सदी के सबसे सशक्त रचनाकारों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तम्भ लेखन, फिल्म, पटकथा जैसी अनेक विधाओं में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। नई कहानी आन्दोलन को उन्होंने नई दिशा दी।
- 'राजा निरबंसिया' उनका प्रथम मौलिक कहानी संग्रह है, जिसमें कुल सात कहानियाँ सम्मिलित हैं-देवा की माँ, पानी की तस्वीर, धूल उड़ जाती है, सुबह का सपना, मुर्दा की दुनिया, आत्मा की आवाज और राजा निरबंसिया। इस कथा संकलन में उनकी सबसे सशक्त कहानी 'राजा निरबंसिया' है।
- मुख्यतः राजा निरबंसिया यह एक प्रयोगधर्मी कहानी है। इसमें कहानीकार ने किस्सागोई का प्रयोग किया है। कहानीकार माँ के द्वारा सुनाई गई राजा निरबंसिया की कहानी का उपकथा के रूप में सूत्रपात करता है।
- लेखक ने दो भिन्न युगों की कहानियों को समानांतर रूप से लिया है। एक राजा निरबंसिया की पौराणिक कथा तथा दूसरी ओर जगपति निरबंसिया की आधुनिक कथा है। दोनों कहानियों की घटनाएँ लगभग एक तरह की हैं, किन्तु प्रतिक्रियाएँ भिन्न हैं।
कहानी के प्रमुख पात्र
- जगपती लेखक का मित्र तथा कहानी का प्रमुख पात्र है, जो मैट्रिक पास करने के बाद गाँव के एक वकील के यहाँ मुंशी हो गया था।
- चन्दा जगपती की पत्नी तथा प्रमुख नारी पात्र है, जो सेवाभाव, संवेदनशील तथा सौन्दर्य के गुणों से पूर्ण है।
- बच्चन सिंह जिले के अस्पताल का कम्पाउण्डर है, जो जगपती की पत्नी चन्दा पर मोहित है।
- पौराणिक पात्र राजा, रानी तथा उनके दो पुत्र
निर्मल वर्मा - परिंदे
- परिन्दे 'एक दुनिया समानान्तर' में संकलित सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है, जिसके लेखक निर्मल वर्मा हैं। कथा साहित्य और यात्रा साहित्य में निर्मल वर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य में शिखर रचनाकार माने जाते हैं। परिन्दे कहानी की विशेषता यह है कि कुछ समीक्षकों ने इसी से नई कहानी आन्दोलन की शुरुआत मानी है।
- इस कहानी का केन्द्रीय कथ्य मध्यवर्गीय जीवन में व्याप्त अकेलापन है। सभी चरित्र न सिर्फ अकेले हैं, बल्कि कभी न खत्म होने वाले इन्तजार की प्रक्रिया में बोझिल, उदास और टूटे हुए हैं। इसी इन्तजार की समरूपता को आधार बनाकर लेखक ने इसका नाम 'परिन्दे' रखा है।
कहानी के प्रमुख पात्र
- लतिका कहानी की केन्द्रीय पात्र है, जिसके इर्द-गिर्द कहानी घूमती हैं। वह लड़कियों के एक मिशनरी स्कूल के छात्रावास की वार्डन है।
- मेजर गिरीश नेगी लतिका का पूर्व प्रेमी, जिसकी मृत्यु हो गई है, किन्तु लतिका अपने पूर्व प्रेमी की स्मृति में ही खोई रहती है।
- मि. ह्यूबर्ट लतिका का सहकर्मी है जो लतिका पर आकृष्ट है।
- डॉ. मुखर्जी भी लतिका का एक सहकर्मी है, जो अपनी पत्नी और देश से अत्यन्त प्रेम करता है, किन्तु दोनों ही उससे छूट जाते हैं। साथ ही वह लतिका को समझाने की कोशिश भी करता है।
- इनके अतिरिक्त जूली, मिस वुड आदि पात्र भी कहानी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
Thank you.
Download the BYJU’S Exam Prep App Now.
The most comprehensive exam prep app.
#DreamStriveSucceed
Comments
write a comment