UGC NET कहानियों की संक्षिप्त व्याख्या- गैंग्रीन, तीसरी कसम, लाल पान की बेगम

By Mohit Choudhary|Updated : June 20th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी कहानी। इसे 4 युगों प्रेमचंद पूर्व, प्रेमचंदयुगीन, प्रेमचंदोत्तर, स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी हिन्दी उपन्यास में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी कहानी के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के कहानियों से सम्बंधित नोट्स  इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।               

अज्ञेय - गैंग्रीन

  • अज्ञेय आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख रचनाकार हैं। उन्होंने कविता, उपन्यास, और आलोचना के साथ-साथ कहानी लेखन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  • उनकी अधिकांश कहानियों का मूल स्वर व्यक्ति के अंतर्मन की खोज है। उन्होंने घटनाओं के स्थान पर सूक्ष्म विश्लेषण को कहानी का आधार बनाया। 'गैंग्रीन' अज्ञेय की सबसे प्रसिद्ध कहानी है।
  • इस कहानी में एक नवविवाहिता स्त्री के मन की गहरी उदासीनता और अकेलेपन की त्रासद अनुभूति का चित्रण हुआ है। कहानी में दिखाया गया है किसी भी प्रकार के नएपन से रहित जीवन में व्यक्ति और व्यक्तियों के सम्बन कैसे टूटते हैं। 
  • प्रस्तुत कहानी में नैरेटर (अतिथि या लेखक) के आगमन कहानी की घटना विहीनता अर्थ गर्भी, सांकेतिक और प्रतीकात्मक हो सकती वास्तव में नैरेटर ही कहानी केन्द्रित स्थितियों का ऑब्जर्वर भी है और व्याख्याकार भी।

कहानी के प्रमुख पात्र

  1. मालती कहानी की मुख्य पात्र है। वह एक विवाहित स्त्री तथा एक बच्चे (टिटी) की माँ है। विवाह के दो वर्ष बाद उसका जीवन नीरस-सा हो गया है।
  2. महेश्वर मालती का पति है, जो एक पहाड़ी गाँव की सरकारी डिस्पेन्सरी में डॉक्टर है।
  3. कथाकार (अतिथि) कथाकार मालती के दूर के रिश्ते का भाई है। मालती और कथाकार में परस्पर साख्य (मित्रता) सम्बन्ध था।

फणीश्वरनाथ 'रेणु' - तीसरी कसम

  • हिन्दी साहित्य में साठ के दशक के नए कहानीकारों में फणीश्वरनाथ 'रेणु' का अपना विशिष्ट स्थान है। रेणु की कहानियों का कथा विन्यास एकदम निजी है। 
  • उनका कथा क्षेत्र मुख्य रूप से स्वातंत्र्योत्तर भारत का ग्रामीण क्षेत्र है। उनके कथा साहित्य का उद्देश्य ग्रामीण जीवन की विषमता के साथ-साथ वहाँ के जीवन में व्याप्त सरलता, सहजता और मानवीय संवेदनाओं को उभारना रहा है, जिसमें वे पूर्णत: सफल हुए।
  • 'तीसरी कस- फणीश्वरनाथ 'रेणु' की बहुचर्चित कहानी है। इस कहानी की मूल संवेदना प्रेम है। हीरामन तथा हीराबाई के मध्य बैलगाड़ी के कुछ घंटों के सफर में एक आत्मीय सम्बन्ध स्थापित हो गया था। यह आत्मीय सम्बन्ध प्रेम का था, लेकिन कहानी में कहीं भी इस प्रेम की स्वीकारोक्ति नहीं मिलती है न स्वा से, न प्रेमी से न ही किसी अन्य पात्र से।
  • इस कहानी में हीरामन और हीराबाई का प्रेम कथित नहीं, अपितु व्यंजित हुन् है। कहानीकार ने स्थान-स्थान पर इसे बड़ी स्पष्टता से संकेतित किया हिरामन की गाड़ी में हीराबाई के सवारी के रूप में चढ़ने के बाद हिरामन पीठ में अजीब सी गुदगुदी का अहसास होना तथा अलग प्रकार की अनुभव होना इसी बात का द्योतक है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  1. हीरामन इस कहानी का नायक है, जो सीधा-सादा और भोला ग्रामीण युवक है। वह एक गाड़ीवान (बैलगाड़ी चलाने वाला) है। 
  2. हीराबाई नौटंकी में काम (अभिनय) करने वाली एक रूपवती स्त्री हैं जिसे सामान्य भाषा में बाई कहा जाता है।
  3. लालमोहर/धुन्नीराम/पलटदास ये हिरामन के गाँव के गाड़ीवान हैं, जो हिरामन के प्रतिस्पर्धी हैं। ये कहानी के विकास में अपनी भूमिका निभाते हैं।

फणीश्वरनाथ 'रेणु' - लाल पान की बेगम

  • फणीश्वरनाथ 'रेणु' ने अपनी चर्चित कहानी लाल पान की बेगम से स्त्री सशक्तिकरण की मिसाल पेश की थी। इस कहानी के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट करना चाहा है कि स्त्रियां भी अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। वह आत्मसम्मान चाहती है। पर्दे की प्रथा हो या ऐसी कोई और प्रथा जो उन्हें गुलामों का जीवन जीने को विवश करती हो, वह उन्हें अब स्वीकार्य नहीं है।
  • 'लाल पान की बेगम' कहानी में परम्परागत ढंग से कथा नहीं कही गई है, बल्कि बिरजू की माँ की मानसिक उथल-पुथल, कुछ पारिवारिक सन्दर्भी, क्रियाओं, आसपास की महिलाओं के व्यंग्यात्मक संवादों से आरम्भ में कथा निर्मित होती है और धीरे-धीरे बाहर-भीतर अपना विस्तार करती चलती है। 
  • एक छोटी-सी घटना के माध्यम से मानवीय व्यवहार की विभिन्न परतों को खोलना एवं दिखाना ही मानो कहानीकार का उद्देश्य रहा हो। 
  • कहानी की नायिका बिरजू की माँ एक सशक्त महिला है, जिसके कई सपने होते हैं, लालसा होती है। वह स्त्री सुलभ भावनाओं में जीती है। परिस्थिति अनुरूप उसकी मानसिकता में क्रमशः परिवर्तन होता जाता है। अपने मूल रूप में वह हृदय से बहुत ही सरल व सहज है, किन्तु प्रतिक्रियावादी है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  • बिरजू की माँ कहानी की नायिका व एक सशक्त महिला है, जो समाज और परिवार में तारतम्य बनाते हुए सबको साथ लेकर चलने वाली दबंग नारी है।
  • बिरजू के पिता कहानी में दब्बू इनसान के रूप में दिखते हैं, जो अपनी इच्छाओं को हमेशा दबाकर रखते हैं। 
  • बिरजू, चम्पिया कहानी के बाल पात्र तथा भाई-बहन हैं, जो समय- समय पर कहानी के विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मखनी बुआ गाँव की एक स्त्री पात्र है, जिसके आगे पीछे कोई नहीं है।
  • जंगी की पुतोहू गाँव की एक नई बहू है, जो झगड़ालू प्रवृत्ति की स्त्री है।
  • सुनरी गाँव की एक महिला पात्र है।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you.

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