UGC NET कहानियों की संक्षिप्त व्याख्या- दुलाई वाली, एक टोकरी भर मिट्टी, उसने कहा था

By Mohit Choudhary|Updated : June 18th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी कहानी। इसे 4 युगों प्रेमचंद पूर्व, प्रेमचंदयुगीन, प्रेमचंदोत्तर, स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी हिन्दी उपन्यास में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी कहानी के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के कहानियों से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।               

राजेन्द्रबाला घोष-दुलाई वाली

  • हिन्दी कहानी के प्रारम्भिक रचनाकारों में राजेन्द्रबाला घोष का स्थान सर्वोपरि है। ये बंग महिला के नाम से प्रसिद्ध हैं। राजेन्द्रबाला घोष हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी लेखिका के रूप में चिरस्मरणीय हैं। 
  • इन्होंने हिन्दी में बहुत सी बंगला कहानियों का अनुवाद प्रस्तुत करके आधुनिक हिन्दी कहानी का पथ-प्रशस्त किया। इन्होंने बाद में कुछ मौलिक कहानियाँ भी लिखीं जिनमें 'दुलाई वाली' प्रसिद्ध है। 'दुलाई वाली' कहानी को हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी माना गया है। 
  • यह वर्ष 1907 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई। स्थानीय रंगत, यथार्थ चित्रण तथा पात्रानुकूल भाषा की दृष्टि से यह कहानी उत्कृष्ट है।
  • 'दुलाई वाली' कहानी मनोरंजन प्रधान कहानी है। इस कहानी का प्रारम्भ काशी से होता है तथा अन्त इलाहाबाद तक की यात्रा पर होता है। कहानी में नायक वंशोधर मुगलसराय से लेकर इलाहाबाद तक जाने वाली रेलगाड़ी में अपने मित्र नवल किशोर को खोजता रहता है, किन्तु वह कहीं नहीं मिलता। 
  • अन्त में एक बूढ़ी औरत का वेश धारण करने वाला नवल किशोर जब अपने मुँह से दुलाई हटाकर अपना चेहरा दिखाता है, तो वहाँ भेद प्रकट होता है कि वही वंशीधर का मित्र नवल किशोर है जिसे आरम्भ में वंशीधर खोज रहा होता है तथा कौतुक का दृश्य उभरकर सामने आता है। 
  • फिर वे सभी हँसते-बोलते हुए इलाहाबाद में एक साथ अपने-अपने घर जाते हैं। आलोच्य कहानी की कथावस्तु बहुत साधारण है, किन्तु इस कहानी की घटनाओं को
  • रचनाकार ने बहुत सुन्दर ढंग से नियोजित कर औत्सुक्य (जिज्ञासा) उत्पन्न कर दिया है। यह जिज्ञासा अन्त तक बनी रहती है कि नवल किशोर और उसकी पत्नी कहाँ रह गए। अन्त में जिज्ञासा का समाधान होने पर रचनाकार के विवेक और उसकी मौलिक कल्पनाशीलता की कुशलता का परिचय मिलता है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  1. वंशीधर कहानी का मुख्य पात्र है, जो इलाहाबाद का रहने वाला है। वह सतर्क बुद्धिवाला तथा उत्साही व्यक्ति है। नवल किशोर वंशीधर का ममेरा भाई है। उसे हँसी मजाक करना पसन्द है।
  2. जानकीबाई वंशीधर की पत्नी है। वह एक सामान्य गृहस्थ महिला है। यह कहानी के विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है। 
  3. नवल किशोर की पत्नी, वंशीधर की सास, साला, साली, इक्केवाला, रेल के यात्री अन्य पात्र हैं, जो कथा में प्रसंगवश आते हैं तथा अपनी सक्रिय उपस्थिति से कथा को रोचक और जीवन्त बनाते हैं।

माधवराज सप्रे - एक टोकरी भर मिट्टी

  • माधवराव सप्रे हिन्दी के आरम्भिक कहानीकारों में से एक प्रमुख कहानीकार हैं। वे एक सुप्रसिद्ध अनुवादक तथा हिन्दी के आरम्भिक सम्पादकों में मुख्य स्थान रखने वाले लेखक हैं। उन्हें हिन्दी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में भी जाना जाता है। 
  • उनके द्वारा लिखित कहानी 'एक टोकरी भर मिट्टी' को हिन्दी की पहली कहानी होने का श्रेय प्राप्त है। यह कहानी वर्ष 1901 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई।
  • 'एक टोकरी भर मिट्टी' माधवराव सप्रे की मौलिक कहानी है। यह कहानी अमीरी तथा गरीबी के वैमनस्य (विषमता) पर आधारित है, जिसमें जमींदार समाज के शोषक वर्ग का प्रतीक है तथा विधवा वृद्ध स्त्री शोषित वर्ग का प्रतीक है। कहानी का कथानक बहुत छोटा है, किन्तु सारगर्भित एवं व्यापक संवेदना से परिपूर्ण है।
  • एक जमींदार द्वारा वृद्ध विधवा की झोंपड़ी पर अपना अधिकार कर लेने का वर्णन कहानी में हुआ है।
  • हिन्दी की प्रथम कहानी होने के पश्चात् इस कहानी में तीन सामाजिक संवेदना है।
  • कहानी में जमीदार के अत्याचार को समस्या के रूप में न केवल उठाया गया है, बल्कि उस समस्या का प्रतिकार भी वृद्धा के माध्यम से किया गया है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  • विधवा कहानी की मुख्य पात्र है, जो गरीब तथा अनाथ है। उसकी झोंपड़ी जमींदार के महल के पास है।
  • जमींदार कहानी में शोषित वर्ग का प्रतीक है, जो महल के सामने से झोंपड़ी हटवाना चाहता है, उसे अपने धन पर गर्व है।
  • वृद्ध विधवा का पुत्र, पतोहू तथा पोती कथा के विकास में सहायक अन्य पात्र हैं, जिनका कहानी में केवल नामोल्लेख हुआ है।

चन्द्रघर शर्मा 'गुलेरी' - उसने कहा था

  • चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' प्रेमचन्द पूर्व युग के विशिष्ट कहानीकार है। कहानी को साहित्य की एक सशक्त एवं सफल विधा के रूप में प्रतिष्ठित करने में उनका आधारभूत योगदान है। 
  • गुलेरी जी ने कुछ ही कहानियाँ लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं- 'सुखमय जीवन', 'बुद्धू का काँटा' और 'उसने कहा था'। 'उसने कहा था ' प्रेमचन्द पूर्व हिन्दी कहानी की चरम उपलब्धि है। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने 'उसने कहा था' कहानी की रचना कर न केवल हिन्दी कहानी, अपितु विश्व कथा साहित्य को समृद्ध किया है।
  • वास्तविकता यह है कि उनकी प्रसिद्धि भी उसने कहा था' कहानी के द्वारा ही हुई। 'उसने कहा था' कहानी के आरम्भ में अमृतसर के चौक की एक दुकान पर बारह वर्ष का एक लड़का और आठ वर्ष की लड़की अकस्मात् मिलते हैं। 
  • दोनों एक-दूसरे से परिचित होने के बाद लड़का (लहना सिंह) लड़की से रोज पूछता है कि क्या तेरी शादी हो गई। वह रोज 'घत' कहकर दौड़ जाती है। उसके एक पक्षीय प्रेम को दर्शाने के बाद कहानी पच्चीस साल के बाद शुरू होती है। 
  • इससे कहानी और अधिक रोचक बन जाती है। वह लड़का लहना सिंह अपनी एक पक्षीय प्रेयसी के पति और पुत्र के प्राण बचाने के लिए अपने प्राण देता है। इस कथानक को मर्मस्पर्शी ढंग से लिखकर लेखक ने पाठकों के दिल में स्थायी स्थान प्राप्त कर लिया।

कहानी के प्रमुख पात्र

  • लहना सिंह कहानी का प्रमुख पात्र है, जो सेना का एक वीर सिपाही है, साथ ही वह वचनबद्ध व्यक्ति है। अपनी वचनबद्धता का प्रमाण वह अपने प्राणों को त्याग कर देता है।
  • सूबेदारनी कहानी की नायिका है। वह लहना सिंह की बचपन की प्रेयसी तथा सूबेदार वजीरा सिंह की पत्नी है।
  • वजीरा सिंह सूबेदार है तथा सूबेदारनी का पति है। बोधा सिंह सूबेदारनी तथा सूबेदार वजीरा सिंह का बेटा है। कीरत सिंह लहना सिंह का मित्र है।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you.

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