UGC NET उपन्यासों की संक्षिप्त व्याख्या: मैला आँचल, झूठा सच, मानस का हंस

By Mohit Choudhary|Updated : June 15th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी उपन्यास। इसे 3 युगों प्रेमचंद पूर्व हिन्दी उपन्यास, प्रेमचंद युगीन उपन्यास, प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी उपन्यास में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी उपन्यास के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के उपन्यासों से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।     

'मैला आँचल' - फणीश्वरनाथ 'रेणु'

  • फणीश्वरनाथ 'रेणु' हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। उपन्यास को आंचलिक कहने तथा उसकी महत्ता की ओर आलोचकों का ध्यान आकृष्ट करने का श्रेय सुप्रसिद्ध उपन्यासकार 'फणीश्वरनाथ रेणु' को प्राप्त है। इन्होंने अपने उपन्यासों में आंचलिक जीवन की हर धुन, गन्ध, लय, ताल, सुर, सुन्दरता और कुरूपता को शब्दों में बाँधने की सफल कोशिश की है।
  • उनकी भाषा-शैली में एक चमत्कार है, जो पाठकों को अपने साथ बाँधकर रखता हैं। 'रेणु' जी को जितनी ख्याति हिन्दी साहित्य में अपने उपन्यास 'मैला आँचल' से मिली, उतनी अन्यत्र किसी कृति से नहीं मिली। इस रचना के लिए इन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
  • 'मैला आँचल' हिन्दी का प्रतिनिधि आंचलिक उपन्यास है और इस कारण इसके कथ्य में प्रायः वे सारी विशेषताएँ मिलती हैं, जो किसी भी आंचलिक उपन्यास में पाई जाती हैं। आंचलिक उपन्यास में जो परिवेश लिया जाता है, वह समय और स्थान के जीवन के जितने पक्ष हो सकते उन पक्षों के जितने चेहरे हो सकते हैं, वे सब उसमें पूरे विस्तार के साथ विद्यमान होते हैं। मैला आँचल भी ऐसे ही कथ्य को धारण करता है।
  • 'मैला आँचल' में 'मेरीगंज' गाँव की विस्तृत तथा समग्र कथा को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि अँचल ही नायक बन गया है। इस उपन्यास का उद्देश्य अँचल की समस्याओं को प्रकाशित करने का ही रहा है, हालाँकि उद्देश्य रचना प्रक्रिया में घुला हुआ है।
  • इसमें अँचल की सुन्दरता व कुरूपता दोनों का गहरा चित्रण किया गया है। इसमें जातिवाद, अफसरशाही, अवसरवादी राजनीति, मठों और आश्रमों का पाखण्ड भी दिखाया गया है। रेणु जी का मैला आँचल वस्तु और शिल्प दोनों स्तरों पर सबसे अलग है। इसमें एक नए शिल्प में ग्रामीण जीवन को दिखाया गया है।
  • इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका नायक कोई व्यक्ति नहीं है, अपितु पूरा का पूरा अँचल ही इसका नायक है। दूसरी प्रमुख बात यह है कि मिथिलांचल की पृष्ठभूमि पर रचे इस उपन्यास में उस अँचल की भाषा विशेष का अधिक-से-अधिक प्रयोग किया गया है और यह प्रयोग इतना सार्थक है कि वह वहाँ के लोगों की इच्छा-आकांक्षा, रीति-रिवाज, पर्व-त्यौहार, सोच-विचार को पूरी प्रामाणिकता के साथ पाठक के सामने उपस्थित करता है।

उपन्यास के प्रमुख पात्र

  1. डॉ. प्रशान्त उपन्यास का नायक तथा एक युवा डॉक्टर है, जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुनता है।
  2. कमली कहानी की नायिका है, जो किसी अज्ञात बीमारी से पीड़ित है। विश्वनाथ मलिक कमली के पिता हैं, जो ज़मींदारी व्यवस्था के प्रतीक हैं।

'झूठा सच'- यशपाल

  • यशपाल आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख कथाकार हैं। वे राजनीतिक तथा साहित्यिक दोनों क्षेत्रों में क्रान्तिकारी रहे हैं। हिन्दी के महान् उपन्यासकार होने के साथ ही वे मानव मन के कुशल चितेरे भी रहे हैं। इन्होंने प्रेमचन्द को यथार्थवादी परम्परा को आगे बढ़ाया। उनके उपन्यासों पर मार्क्सवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव पड़ा।
  • मार्क्सवादी दर्शन से प्रभावित होने के कारण यशपाल अपने उपन्यासों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वर्ग संघर्ष, क्रान्ति, चेतना जैसे तत्त्वों को प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों में रूढ़ि-जर्जर, वर्ग-विभाजित, हताश-परास्त समाज का वर्णन कर समता का विचार दिया।
  • 'झूठा-सच' यशपाल का महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जो दो भागों में विभाजित है पहला भाग 'वतन और देश' (1958 ई.) तथा दूसरा भाग 'देश का भविष्य (1960 ई.)। यह उपन्यास विभाजन के समय देश में होने वाले भीषण रक्तपात एवं भीषण अव्यवस्था तथा स्वतन्त्रता के उपरान्त चारित्रिक एवं विविध विडम्बनाओं का व्यापक फलक पर कलात्मक चित्र उकेरता है।
  • झूठा-सच के प्रमुख पात्र जयदेव पुरी, उसकी बहन तारा तथा जयदेव पुरी की पत्नी कनक हैं। तारा और जयदेव पुरी का एक परिवार है, कनक का दूसरा परिवार। इन दोनों परिवार की कहानियों के माध्यम से उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है और अत्यधिक विस्तार में जाकर बहुआयामी हो जाती है। झूठा सच की कहानी पर सन् 1947 में भारत की आज़ादी के समय हुए भयंकर दंगे की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है।

उपन्यास के प्रमुख पात्र

  • जयदेव पुरी इस उपन्यास का प्रमुख पात्र है, जो भोला पांडे के परिवार का बेटा है। यह मध्यवर्ग का प्रतिनिधि पात्र है, जो अपनी सारी कमजोरियों के साथ उपन्यास में उपस्थित है।
  • तारा जयदेव पुरी की बहन तथा उपन्यास की प्रमुख नारी पात्र है। सम्पूर्ण उपन्यास की कथा उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। वह एक प्रगतिशील सोच रखने वाली नारी पात्र है।
  • कनक एक सम्पन्न परिवार की लड़की है। वह भी तारा की तरह एक प्रगतिशील तथा नई सोच रखने वाली पात्र है। कनक जयदेव पुरी की पत्नी है।
  • इनके अतिरिक्त पण्डित गिरिधारीलाल, नैयर, डॉ. प्राणनाथ, सूद, शीला, उर्मिला तथा सोमनाथ आदि पात्र मध्यवर्गीय समाज के विभिन्न स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा कथा के विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

'मानस का हंस' - अमृतलाल नागर

  • अमृतलाल नागर हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं, उन्होंने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से हिन्दी की साहित्य साधना करते हुए समृद्ध साहित्य रचा। उपन्यास के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय उन्होंने सामाजिक, आंचलिक, ऐतिहासिक, पौराणिक तथा जीवनीपरक उपन्यासों की रचना की।
  • उनके उपन्यासों में तत्कालीन युग का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक चित्र उभरकर सामने आया है। अपने लखनवी अन्दाज और भारतीय संस्कृति के सजीव चित्रण के लिए नागर जी हिन्दी उपन्यास परम्परा में विशेष स्थान रखते हैं।
  • 'मानस का हंस' अमृतलाल नागर द्वारा रचित एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जो वर्ष 1973 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास 'तुलसीदास' के जीवन को आधार बनाकर लिखा गया है। इस उपन्यास में तुलसीदास को एक सहज मानव के रूप में चित्रित किया गया है। इसी कारण इस उपन्यास को हिन्दी उपन्यासों की श्रेणी में 'क्लासिक' का सम्मान प्राप्त हुआ है।
  • इस उपन्यास में तुलसी के जन्म से लेकर, मृत्युपर्यन्त तक जो घटनाएँ घटी, उनका कलात्मक प्रस्तुतीकरण दिया गया है। इसमें मूल कथा के साथ-साथ कुछ काल्पनिक कथाएँ भी जोड़ दी गई हैं। नागर जी ने इसे गहरे अध्ययन और मंथन के पश्चात् अपनी विशिष्ट लखनवी शैली में लिखा है। वृहद् होने पर भी यह उपन्यास अपनी रोचकता में अप्रतिम है।

उपन्यास के प्रमुख पात्र

  1. बाबा तुलसीदास इस उपन्यास का केन्द्रीय पात्र है, जिसको आधार बनाकर यह उपन्यास लिखा गया है। बचपन से ही तुलसीदास का जीवन संघर्षमय रहा। वह किशोर अवस्था में राम काम के द्वन्द्व में उलझे रहे, किन्तु अन्त में द्वन्द्व से जीतकर उन्होंने राम नाम के मार्ग को अपनाया।
  2. रतना तुलसीदास की पत्नी है, जो रूप सौन्दर्य की धनी है। रतना की फटकार के कारण ही तुलसी का मोहभंग हो गया तथा वे रामभक्ति में लीन हो गए।
  3. इनके अतिरिक्त मैना कहारिन, श्यामो की बुआ, सन्त बेनीमाधव, रामू द्विवेदी, पण्डित गणपति उपाध्याय आदि अन्य पात्र हैं, जो कथा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के उपन्यासों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank You.

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