दशानन में समास
समास शब्द निर्माण की एक प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक शब्द अलग-अलग और स्वतंत्र अर्थों के साथ मिलकर एक और स्वतंत्र शब्द बनाते हैं। यौगिक शब्दों को विभक्ति से अलग करके उनके सम्बन्धों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं। यह यौगिक निर्माण की उलटी प्रक्रिया है।
समास प्रक्रिया में जो दो शब्द संयुक्त होते हैं उनके अलग-अलग अर्थ होते हैं और इन दोनों के संयोजन से इन दोनों से अलग अर्थ वाला एक नया शब्द बनता है। दो शब्दों या पदों में पहले पद को 'पूर्वपद' और दूसरे पद को 'उत्तरपद' कहा जाता है।
समास का अर्थ होता है संक्षिप्तीकरण। इसके परिभाषा के अनुसार जब दो शब्द अपनी प्रधानता खोकर, किसी तीसरे शब्द को प्रधान बनाते हैं, उसे समास कहते हैं। इसके 6 प्रकार होते हैं और कुछ बहुब्रीहि समास का उदहारण नीचे बताए गए है ।
- कर्मधारय समास.
- द्विगु समास.
- अव्ययीभाव समास.
- तत्पुरुष समास.
- द्वन्द समास.
- बहुव्रीहि समास.
समास (समस्त पद) | समास-विग्रह |
त्रिनेत्र | तीन है नेत्र जिसके अर्थात् भगवान शंकर |
पीताम्बर | पीला है वस्त्र जिसका अर्थात् श्रीकृष्ण |
त्रिवेणी | तीन वेणिया मिलती है जहाँ अर्थात् प्रयाग |
पंकज | पंक यानि कीचड़ में जन्म लेने वाला अर्थात कमल |
चन्द्रभाल | चन्द्रमा है माथे पर जिसके अर्थात् शंकर |
Summary:
दशानन में कौन सा समास है?
बहुव्रीहि समास दशानन' शब्द में आता है। लंका के राजा रावण को दशानन कहा जाता है, क्योंकि उसके दस सिर थे। यहां दशानन का समास विग्रह है दस हैं आनन जिनके। इसमें “दस” और “आनन” शब्द ने अपनी प्रधानता अलग कर दशानन बनाया। अत: इसमें बहुब्रिही समास है।
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