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CTET -1 Mini Mock Test 2023 : 99

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Question 1

According to progressive model of education, socialisation of a child aims at

Question 2

_____________ is a place where every child is accepted supported by his or her peers and other members of the school community in the course of having his or her educational needs met.

Question 3

‘Out-of-the-box’ thinking is related to

Question 4

Which method proceed from conclusion to hypothesis.

Question 5

To stitch a shirt 2m 15cm cloth is needed. Out of 40m cloth, how many shirts can be stitched?

Question 6

How will you cater to the needs of visually challenged students of your classroom in an inclusive school?

Question 7

Which among the following painting depicts a story ?

Question 8

From the following which is not related to significance of environment;

Question 9

Jallikattu is the festival of which state?

Question 10

निर्देश: निम्नलिखित गघांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए :-
आज शिक्षक की भूमिका उपदेशक या ज्ञानदाता की-सी नहीं रही वह तो मात्र एक प्रेरक है की शिक्षार्थी स्वयं सीख सकें उनके किशोर मानस को ध्यान में रखकर शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान अध्ययन अध्यापन की परम्परागत विधियों से दो कदम आगे जाना पड़ेगा, ताकि शिक्षार्थी समकालीन यथार्थ और दिन-प्रतिदिन बदलते जीवन की चुनौतियों के बीच मानव-मूल्यों के प्रति अडिग आस्था बनाए रखने की प्रेरणा ग्रहण कर सके पाठगत बाधाओं को दूर कराते हुए विधार्थियों की सहभागिता को सही दिशा प्रदान करने का कार्य शिक्षक ही कर सकता है

भाषा शिक्षण की कोई एक विधि नहीं हो सकती जैसे मध्यकालीन कविता में अलंकार, छंदविधान, तुक आदि के प्रति आग्रह था किन्तु आज लय और प्रवाह का महत्त्व है कविता पढ़ाते समय कवि की युग चेतना के प्रति सजगता समझना आवश्यक है निबंध में लेखक के दृष्टिकोण और भाषा-शैली का महत्त्व है और शिक्षार्थी को अर्थग्रहण की योग्यता का विकास जरूरी है कहानी के भीतर बुनी अनेक कहानियों को पहचानने और उन सूत्रों को पल्लवित करने का अभ्यास शिक्षार्थी की कल्पना और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकता है कभी-कभी कहानी का नाटक में विधा परिवर्तन कर उसका मंचन किया जा सकता है

मूल्यांकन वस्तुत: सीखने की ही एक प्रणाली है, ऐसी प्रणाली जो रंटत प्रणाली से मुक्ति दिला सके परम्परागत साँचे का अनुपालन न करे, अपना ढाँचा निर्मित कर सके इसलिए यह गाँठ बाँध लेना आवश्यक है कि भाषा और साहित्य के प्रश्न बंधे-बंधाए उत्तरों तक सीमित नहीं हो सकते शिक्षक पूर्वनिर्धारित उत्तर कि अपेक्षा नहीं कर सकता विधार्थियों के उत्तर साँचे से हटकर किन्तु तर्क संगत हो सकते हैं और सही भी इस खुलेपन की चुनौती को स्वीकारना आवश्यक है

शिक्षक से किस प्रकार की बाधाएँ दूर करने की अपेक्षा की गई है?

Question 11

निर्देश: निम्नलिखित गघांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए :-
आज शिक्षक की भूमिका उपदेशक या ज्ञानदाता की-सी नहीं रही वह तो मात्र एक प्रेरक है की शिक्षार्थी स्वयं सीख सकें उनके किशोर मानस को ध्यान में रखकर शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान अध्ययन अध्यापन की परम्परागत विधियों से दो कदम आगे जाना पड़ेगा, ताकि शिक्षार्थी समकालीन यथार्थ और दिन-प्रतिदिन बदलते जीवन की चुनौतियों के बीच मानव-मूल्यों के प्रति अडिग आस्था बनाए रखने की प्रेरणा ग्रहण कर सके पाठगत बाधाओं को दूर कराते हुए विधार्थियों की सहभागिता को सही दिशा प्रदान करने का कार्य शिक्षक ही कर सकता है

भाषा शिक्षण की कोई एक विधि नहीं हो सकती जैसे मध्यकालीन कविता में अलंकार, छंदविधान, तुक आदि के प्रति आग्रह था किन्तु आज लय और प्रवाह का महत्त्व है कविता पढ़ाते समय कवि की युग चेतना के प्रति सजगता समझना आवश्यक है निबंध में लेखक के दृष्टिकोण और भाषा-शैली का महत्त्व है और शिक्षार्थी को अर्थग्रहण की योग्यता का विकास जरूरी है कहानी के भीतर बुनी अनेक कहानियों को पहचानने और उन सूत्रों को पल्लवित करने का अभ्यास शिक्षार्थी की कल्पना और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकता है कभी-कभी कहानी का नाटक में विधा परिवर्तन कर उसका मंचन किया जा सकता है

मूल्यांकन वस्तुत: सीखने की ही एक प्रणाली है, ऐसी प्रणाली जो रंटत प्रणाली से मुक्ति दिला सके परम्परागत साँचे का अनुपालन न करे, अपना ढाँचा निर्मित कर सके इसलिए यह गाँठ बाँध लेना आवश्यक है कि भाषा और साहित्य के प्रश्न बंधे-बंधाए उत्तरों तक सीमित नहीं हो सकते शिक्षक पूर्वनिर्धारित उत्तर कि अपेक्षा नहीं कर सकता विधार्थियों के उत्तर साँचे से हटकर किन्तु तर्क संगत हो सकते हैं और सही भी इस खुलेपन की चुनौती को स्वीकारना आवश्यक है

कहानी के द्वारा लेखन विद्यार्थियों में कल्पनशीलता और अभिव्यक्ति की कुशलता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण गतिविधि हो सकती है।

Question 12

"बच्चे अनुकरण से ही भाषा सीखते हैं।" उपर्युक्त कथन:

Question 13

निर्देश: अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा उत्तराणि लिखत

महाशक्तिमता महाशिल्पिना भगवता विरचितं पुष्पवाटिकावत् सुन्दरम् इदं जगत् अतीव रहस्यपूर्णम्, वर्णनातीतञ्च वर्तते । किम् इदम् इति सुस्पष्टं न ज्ञायते केनापि । प्राणिनः कुतः आयान्ति, पुनः क्व निर्गच्छन्ति इति तेषाम् एवं परम्परया गमनागमनम् महदाश्चर्यं जनयति, विवेकवतां मानवानां मनस्सु । परन्तु एतदेव सत्यम् इति निर्बन्धं वक्तुं न केनापि अशक्यत्, शक्यते, शक्ष्यते च त्रिषु कालेषु कदाचित् । केवलं सः एव जानीयात्, किमिदं जगत् किमर्थञ्च इति यश्च एतत् सृष्टवान् । पुष्पवाटिकावत् एतस्य जगतः नियन्त्रणम्, व्यवस्थापनञ्च प्रतिक्षणं सः एव कुर्वन् अस्ति । कदा कुत्र किञ्च करणीयम् इति सर्वमपि तेन एव निरीक्ष्यते व्यवस्थाप्यते च प्रतिनिमेषम् । जगतः सृष्टि-स्थिति-संहारादयः तस्य द्वारा एव संभवेयुः ।

समये समये सः जगति मानवान् संहरति । पृथिव्याः भारसाम्यतायाः संरक्षणार्थं युद्ध-महामारि-रोगादीनां व्याजेन, अथवा तान् निमित्तीकृत्य जनसंख्यायाः न्यूनीकरोति । इत्थं प्रकारेण सम्प्रति 'कोरोना वायरस' इति नवविधेन रोगेण, यस्य च चिकित्सापद्धतिः अज्ञातगर्तैव अस्ति, तेन रोगेण विश्वजनता त्रस्तमाना कृता वर्तते, सम्प्रति बहवः मृताः अभवन्, मृयमाणाश्च सन्ति देशविदेशेषु ।

इदं जगत् कीदृशं रहस्यपूर्णं वर्णनातीतञ्च वर्तते ?

Question 14

निर्देश: अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा उत्तराणि लिखत

महाशक्तिमता महाशिल्पिना भगवता विरचितं पुष्पवाटिकावत् सुन्दरम् इदं जगत् अतीव रहस्यपूर्णम्, वर्णनातीतञ्च वर्तते । किम् इदम् इति सुस्पष्टं न ज्ञायते केनापि । प्राणिनः कुतः आयान्ति, पुनः क्व निर्गच्छन्ति इति तेषाम् एवं परम्परया गमनागमनम् महदाश्चर्यं जनयति, विवेकवतां मानवानां मनस्सु । परन्तु एतदेव सत्यम् इति निर्बन्धं वक्तुं न केनापि अशक्यत्, शक्यते, शक्ष्यते च त्रिषु कालेषु कदाचित् । केवलं सः एव जानीयात्, किमिदं जगत् किमर्थञ्च इति यश्च एतत् सृष्टवान् । पुष्पवाटिकावत् एतस्य जगतः नियन्त्रणम्, व्यवस्थापनञ्च प्रतिक्षणं सः एव कुर्वन् अस्ति । कदा कुत्र किञ्च करणीयम् इति सर्वमपि तेन एव निरीक्ष्यते व्यवस्थाप्यते च प्रतिनिमेषम् । जगतः सृष्टि-स्थिति-संहारादयः तस्य द्वारा एव संभवेयुः ।

समये समये सः जगति मानवान् संहरति । पृथिव्याः भारसाम्यतायाः संरक्षणार्थं युद्ध-महामारि-रोगादीनां व्याजेन, अथवा तान् निमित्तीकृत्य जनसंख्यायाः न्यूनीकरोति । इत्थं प्रकारेण सम्प्रति 'कोरोना वायरस' इति नवविधेन रोगेण, यस्य च चिकित्सापद्धतिः अज्ञातगर्तैव अस्ति, तेन रोगेण विश्वजनता त्रस्तमाना कृता वर्तते, सम्प्रति बहवः मृताः अभवन्, मृयमाणाश्च सन्ति देशविदेशेषु ।

गद्यांशानुसारं संप्रति केन रोगेण विश्वजनता त्रस्तमाना कृता वर्तते?

Question 15

रेखीय-अभिक्रमित- अनुदेशनस्य प्रारम्भकर्ता?
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Aug 22CTET & State TET Exams