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Question 1
Question 2
Question 3
Question 4
Question 5
Question 6
System.
Question 7
(1) For Indian Badminton, it is one of the best occasions in recent times to raise a toast. For Saina Nehwal, personally it has been three great weeks of consistent performance. Basically, there are three aspects that go into the making of a badminton star like in most other sports - technical, physical and mental. Abundance of all the three attributes is vital to be among the best in the world. She has it all. That is the major difference between her and the other Indian girls. Most often they have just two of these qualities.
(2) Saina is exceptional. She is technically sound, physical fit and mentally strong which gives her an edge over others. She does not give up easily even when the odds are against her.
(3) Personally, I have a very high regard for Indian sports women who excel at the highest level since they face a lot more challenges compared to men because of the nature of our society. This is more so during the early phase of their career and the parents have to make a lot of sacrifices to travel with them for their practice sessions as well as tournaments.
(4) Saina is already a big star at a young age. It will bring a lot of media attention. What is important is not to get carried away. It is equally important to realise that she has a long career ahead of her and a lot more tournaments to win. From whatever little I know of Saina, I am sure she will stay focused and it is only a matter of time before she becomes World No.1. Full credit to her coach Pullela Gopichand for the way he has planned and executed her progress as well as the support team of the physiotherapist and physical trainer who, as always work quietly behind the scenes.
(5) Saina, you have done all of us proud you have the ability to go all the way. In this format it will not be possible to win every tournament you enter. What is critical is choosing your tournaments carefully and resting enough between them to make sure that you remain in peak condition all the time and injury-free. This is just the beginning. Keep it up. The entire country is behind you.
(This is an excerpt from a letter written by Prakash Padukone to Saina Nehwal)
Question 8
Question 9
Question 10
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सृदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुन्दर बनता है। यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारम्भ से सुन्दर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के सांचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुन्दर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रह कर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती है ।
Question 11
प्रत्येक प्रभात सुंदर चीजे़ं लेकर उपस्थित होता है, पर यदि हमने कल तथा परसों के प्रभात की कृपा से लाभ नहीं उठाया तो आज के प्रभात से लाभ उठाने की हमारी शक्ति क्षीण होती जाएगी, और यही गति रही तो फिर हम उस शक्ति को बिल्कुल ही गँवा बैठेंगे। किसी विद्वान् ने ठीक ही कहा है कि खोई हुई सम्पत्ति कमख़र्ची और परिश्रम से प्राप्त की जा सकती है, भूला हुआ ज्ञान अध्ययन से प्राप्त हो सकता है, गँवाया हुआ स्वास्थ्य दवा और संयम से लौटाया जा सकता है परन्तु नष्ट किया हुआ समय सदा के लिए चला जाता है। वह बस स्मृति की एक चीज़ हो जाता है और अतीत की एक छाया-मात्र रह जाता है।
ग्लैडस्टोन सरीखा प्रतिभाशाली व्यक्ति अपनी जेब में एक छोटी-सी पुस्तक हमेशा लेकर निकलता था। उन्हें चिन्ता रहती थी कि कहीं कोई घड़ी व्यर्थ न चली जाए। तब हम जैसे साधारण मनुष्यों को अपने अमूल्य समय को नष्ट होने से बचाने के लिए क्या नहीं करना चाहिए? प्रतिभावान् पुरुष समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर महान हो जाते हैं और अपनी असफलता पर आश्चर्य करने वाले उन्हें यों ही उड़ जाने देते हैं। उन्हें जीवन-भर कभी समय का मूल्य मालूम ही नहीं हो पाता।
Question 12
Question 13
विश्वस्य सर्वान् जनान् प्रति बन्धुत्वस्य भाव: एव विश्वबन्धुत्वस्य इति कथ्यते । शान्तिमयाय जीवनाय विश्वबन्धुत्वस्य भावना नितरां महत्त्वं भजते । भावनैका अपरिहार्या आवश्यकता । सर्वजनहितं सर्वजनसुखं च बन्धुत्वं विना न सम्भवति। विश्वबन्धुत्वम् एव दृष्टौ निधाय केनापि मनीषिणा निर्दिष्टम् ।
संसारे सर्वेषु मानवेषु समानं रक्तं प्रवहति , सर्वेषां च नियन्तैक: एव अस्ति । एतत्सर्वं जानन्त: अपि जनाः स्वार्थपरायणतया परस्परं कलहं कुर्वन्ति । अस्य मूलकारणं विश्वबन्धुत्वस्य अभावः एव अस्ति । अतएव सर्वेषु विश्वबन्धुत्वस्य भावना नीतान्तम् अपेक्षिता वर्तते ।
Question 14
कस्मिंश्चिद् ग्रामे द्वौ दम्पती निवसन्तौ आस्ताम्। तयोः प्रधानकर्म कृषिकर्म आसीत्। कृषकः भैरवः प्रतिदिनं कृषिक्षेत्रे हलेन कर्षति स्म। तस्य पत्नी मानुषी तस्य साहाय्यं करोति स्म। कृषकस्य वृषभद्वयम् आसीत्। सः वृषभाभ्यां हलं कर्षति स्म। एकदा सः कृषकः अतीव श्रान्तः भूत्वा सायंकाले वृषभौ नीत्वा क्षेत्रात् गृहम् आगतवान्। कथञ्चित् सः वृषभौ बहिः बद्ध्वा गृहं प्रविश्य स्वपत्नीं उक्तवान् शीघ्रं किञ्चिद् भोजनं ददातु, अहम् अद्य अतीव श्रान्तः अस्मि। भोजनं कृत्वा शयनं करोमि इति। तस्य पत्नी अपि शीघ्रं भोजनं आनीय तस्मै दत्तवती। सः आनन्देन भोजनं कृत्वा शयनं कृतवान्। प्रातःकाले शयनात् उत्थाय सः दृष्टवान् बहिः तस्य एकः वृषभः तत्र नासीत्। सः तस्य पत्नीं पृष्टवान् अयि प्रिये! आवयोः एकः वृषभः कुत्रास्ति इति। सा मानुषी अपि बहिः गत्वा पश्यति , परन्तु तत्र एकः वृषभः नासीत्। तदा तौ द्वौ अपि चिन्तामग्नौ वृषभस्य अन्वेषणाय गतवन्तौ।
प्रातःकालात् सायंकालपर्यन्तं तौ वृषभस्य अन्वेषणं कृतवन्तौ आस्ताम् परन्तु वृषभं न प्राप्तवन्तौ।भैरवः अत्यन्तं दुःखितः अभवत्। कथमहं हलं कर्षामि, मत्समीपे धनमपि नास्ति इति चिन्तयित्वा सः भोजनमपि त्यक्तवान्। विषमे समयेऽस्मिन् तस्य पत्नी मानुषी तस्मै शान्तनां प्रदाय उक्तवती हे स्वामिन्। भवान् चिन्तां न करोतु। मत्समीपे किञ्चिद् धनम् अस्ति, एतत् स्वीकृत्य आवां श्वः विपणिं गत्वा अन्यमेकं वृषभं क्रेष्यावः इति। परेद्युः तौ उभावपि विपणिं गतवन्तौ। विपण्यां यत्र वृषभाणां विक्रयणं भवति तत्र तौ गतवन्तौ।
कृषकस्य पत्न्या: नाम किम् आसीत् ?
Question 15
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